मालदीव के राष्ट्रपति मोहम्मद मुइज्जू जल्द ही भारत आने वाले हैं। यह खबर हर किसी को हैरान कर रही है। क्यों? क्योंकि कुछ समय पहले तक मुइज्जू भारत के खिलाफ बोल रहे थे। लेकिन अब लगता है कि उनकी सोच बदल गई है। आइए जानते हें इस बदलाव के पीछे की कहानी।
मुइज्जू की भारत यात्रा: एक नई शुरुआत?
मुइज्जू अक्टूबर के दूसरे हफ्ते में भारत आएंगे। वे 6 से 10 अक्टूबर तक यहां रहेंगे। इस दौरान वे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से भी मिलेंगे। यह मुलाकात 7 अक्टूबर को हो सकती है। यह यात्रा बहुत अहम है। क्योंकि पिछले कुछ समय से भारत और मालदीव के रिश्ते अच्छे नहीं चल रहे थे। मुइज्जू के राष्ट्रपति बनने के बाद से ही दोनों देशों के बीच तनाव बढ़ गया था। लेकिन अब लगता है कि मुइज्जू इस तनाव को कम करना चाहते हैं।
मुइज्जू का बदला रुख: क्या है वजह?
हाल ही में मुइज्जू ने कुछ ऐसी बातें कहीं जो सबको चौंका देने वाली थीं। उन्होंने कहा कि वे किसी भी देश के खिलाफ नहीं हैं। यहां तक कि उन्होंने ‘इंडिया आउट’ अभियान से भी इनकार कर दिया। यह वही अभियान था जिसके तहत मालदीव से भारतीय सैनिकों को निकालने की मांग की जा रही थी। मुइज्जू ने कहा कि “मालदीव के लोगों को अपने देश में किसी भी विदेशी सेना की मौजूदगी पसंद नहीं है। लेकिन उन्होंने यह भी साफ किया कि यह सिर्फ भारत के खिलाफ नहीं था। वे नहीं चाहते कि किसी भी देश के सैनिक मालदीव में रहें।”
भारत-मालदीव संबंधों में आई खटास: पीछे की कहानी
पिछले साल नवंबर से ही भारत और मालदीव के रिश्ते खराब होने लगे थे। जब मुइज्जू राष्ट्रपति बने तब से ही उनका झुकाव चीन की ओर दिखने लगा था। उन्होंने भारत से कहा था कि वह अपने करीब 90 सैनिकों को वापस बुला ले। ये सैनिक मालदीव में भारत द्वारा दिए गए हवाई जहाजों को चला रहे थे। भारत ने 10 मई तक अपने सभी सैनिकों को वापस बुला लिया। उनकी जगह पर नागरिक कर्मचारियों को भेज दिया गया। ये कर्मचारी अब वहां के विमानों और हेलीकॉप्टरों को चला रहे हैं।
मुइज्जू का सख्त रुख: प्रधानमंत्री मोदी का अपमान बर्दाश्त नहीं
मुइज्जू ने एक और बड़ी बात कही। उन्होंने कहा कि उन्होंने अपने मंत्रियों को सोशल मीडिया पर प्रधानमंत्री मोदी का अपमान करने के लिए सजा दी थी। उन्होंने कहा कि वे किसी का भी अपमान बर्दाश्त नहीं करेंगे चाहे वो कोई नेता हो या आम आदमी। इस साल की शुरुआत में मालदीव के कुछ मंत्रियों ने सोशल मीडिया पर प्रधानमंत्री मोदी के खिलाफ गलत बातें लिखी थीं। इसके बाद उन्हें अपने पद से हटा दिया गया था। यह घटना तब हुई थी जब मोदी लक्षद्वीप गए थे। कुछ लोगों को लगा था कि मोदी लक्षद्वीप को मालदीव का विकल्प बनाना चाहते हैं।
मालदीव-भारत संबंधों में सुधार (Improvement in Maldives-India relations) की ओर बढ़ते कदम
मुइज्जू की आने वाली भारत यात्रा से उम्मीद की जा रही है कि दोनों देशों के रिश्ते फिर से अच्छे हो जाएंगे। यह यात्रा दिखाती है कि मालदीव अब भारत के साथ अच्छे संबंध चाहता है। इससे हिंद महासागर क्षेत्र में शांति और स्थिरता बढ़ सकती है। इस यात्रा से यह भी संकेत मिलता है कि शायद मालदीव को चीन से उम्मीद के मुताबिक फायदा नहीं मिला। इसलिए अब वे फिर से भारत की ओर रुख कर रहे हैं। यह बदलाव पूरे क्षेत्र के लिए अच्छा हो सकता है।
खैर, आने वाले दिनों में यह देखना दिलचस्प होगा कि मुइज्जू की यात्रा कैसे बीतती है और इसके बाद दोनों देशों के रिश्तों में क्या बदलाव आता है। एक बात तो साफ है कि इस यात्रा से पूरे हिंद महासागर क्षेत्र की राजनीति पर असर पड़ेगा।
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