शारदीय नवरात्रि के छठे दिन (Shardiya Navratri Day 6) मां कात्यायनी की पूजा का विशेष महत्व है। उनकी उपासना से सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं और जीवन में शक्ति, साहस व समृद्धि का संचार होता है। दरअसल नवरात्रि के नौ दिनों में हर दिन का विशेष महत्व होता है और इन दिनों में मां दुर्गा के नौ रूपों की पूजा की जाती है। छठे दिन भक्त मां कात्यायनी (Maa Katyayani) की पूजा-अर्चना करते हैं। मां कात्यायनी को शक्ति, साहस और विजय का प्रतीक माना जाता है, और उनकी उपासना से भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं। शास्त्रों में मां कात्यायनी को ब्रजमंडल की अधिष्ठात्री देवी भी कहा गया है, और यह माना जाता है कि उन्होंने ब्रजवासियों की रक्षा के लिए अवतार लिया था।
मां कात्यायनी का स्वरूप और महत्व
मां कात्यायनी का स्वरूप अत्यंत दिव्य और सौम्य है। वे चार भुजाओं वाली देवी हैं, जिनके हाथों में कमल और तलवार है। उनका वाहन सिंह है, जो शक्ति और साहस का प्रतीक है। मां कात्यायनी को शक्ति का रूप माना जाता है और उनका रंग सुनहरी होता है, जो तेज और आभा का प्रतीक है। ऐसा कहा जाता है कि मां कात्यायनी (Maa Katyayani) की कृपा से भक्तों को शारीरिक और मानसिक बल प्राप्त होता है। वे सभी प्रकार की कठिनाइयों और शत्रुओं से रक्षा करती हैं।
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मां कात्यायनी को कात्यायन ऋषि की तपस्या के फलस्वरूप पुत्री के रूप में जन्म लेने का वरदान मिला था, इसीलिए उन्हें कात्यायनी कहा जाता है। मान्यता है कि मां कात्यायनी (Maa Katyayani) ने ही महिषासुर का वध करके देवताओं को उनके कष्टों से मुक्ति दिलाई थी। इसलिए, मां कात्यायनी की पूजा से शत्रुओं पर विजय प्राप्त होती है और जीवन में आने वाली सभी बाधाएं दूर हो जाती हैं।
उपासना विधि
मां कात्यायनी की पूजा के लिए प्रातःकाल स्नान करके स्वच्छ वस्त्र धारण करने चाहिए। इसके बाद मां कात्यायनी (Maa Katyayani) की प्रतिमा या चित्र के सामने दीपक जलाना चाहिए। उन्हें लाल फूल, विशेषकर गुड़हल का फूल अर्पित करना चाहिए, जो उनकी पसंदीदा मानी जाती है। मां कात्यायनी को शहद का भोग भी लगाया जाता है। पूजा में दुर्गा सप्तशती का पाठ या मां कात्यायनी के विशेष मंत्रों का जप किया जाता है।
मां कात्यायनी का मंत्र इस प्रकार है:
“ॐ देवी कात्यायन्यै नमः”
इस मंत्र का जाप करने से सभी प्रकार की मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं। विशेषकर, जो लोग विवाह संबंधी समस्याओं का सामना कर रहे हैं, उनके लिए मां कात्यायनी (Maa Katyayani) की उपासना अत्यंत फलदायी मानी जाती है। कुंवारी कन्याएं भी अपने मनचाहे जीवनसाथी की प्राप्ति के लिए मां कात्यायनी का व्रत करती हैं और उनकी पूजा करती हैं।
मां कात्यायनी की कथा
पौराणिक कथाओं के अनुसार, कात्यायन नामक ऋषि ने मां दुर्गा की कठोर तपस्या की थी। वे मां दुर्गा के अनन्य भक्त थे और उन्होंने मां दुर्गा (Maa Durga) से यह वरदान मांगा कि वे उनकी पुत्री के रूप में जन्म लें। मां दुर्गा ने उनकी तपस्या से प्रसन्न होकर कात्यायन ऋषि के घर पुत्री के रूप में अवतार लिया। इसी कारण उनका नाम कात्यायनी पड़ा। मां कात्यायनी (Maa Katyayani) ने महिषासुर नामक राक्षस का वध किया था, जो देवताओं को पराजित कर स्वर्ग पर अधिकार कर बैठा था। मां कात्यायनी ने अपने साहस और शक्ति से महिषासुर का अंत किया और देवताओं को उनका अधिकार वापस दिलाया।
पूजा का महत्व
मां कात्यायनी की पूजा से व्यक्ति के जीवन में शक्ति, साहस और समृद्धि का संचार होता है। उनका आशीर्वाद प्राप्त करने से व्यक्ति को शारीरिक, मानसिक और आध्यात्मिक बल मिलता है। विशेषकर, जिन लोगों को जीवन में कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा हो, उनके लिए मां कात्यायनी की उपासना अत्यंत लाभकारी मानी जाती है। मां कात्यायनी (Maa Katyayani) की कृपा से सभी कष्टों का निवारण होता है और जीवन में सफलता प्राप्त होती है। उनकी पूजा से व्यक्ति को भय, रोग और शत्रुओं से मुक्ति मिलती है।
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