वीएचपी (विश्व हिंदू परिषद) विश्व का सबसे बड़ा हिंदू संगठन है जिसकी स्थापना 1964 में पूज्य स्वामी चिन्मया नन्द जी के मुंबई स्थित सांदीपनी आश्रम में 29 अगस्त 1964 को श्री कृष्ण जन्माष्टमी के पावन पर्व पर हुई थी। इसका उद्देश्य हिंदू समाज को संगठित करना, हिंदू धर्म की रक्षा और हिंदू समाज के धार्मिक, सामाजिक और सांस्कृतिक विषयों पर काम करना है। विहिप ने साठ वर्षों में कई प्रमुख उपलब्धियां प्राप्त की हैं, जिनमें से कुछ इस प्रकार हैं:
1. संत संपर्क:
सभी सम्प्रदायों के प्रमुख धर्माचार्यों व संतों ने एक मंच पर उपस्थित होकर घोषणा की ‘न हिन्दू पतितो भवेत्।’ धर्मान्तरण को रोक कर स्वधर्म वापसी का संकल्प भी इसी सम्मेलन में लिया गया। 1969 में उडुपि में संत सम्मेलन हुआ जिसमें डॉ. अम्बेडकर के मत के अनुसार पूज्य संतों ने एक स्वर में घोषणा की हिन्दू धर्म शास्त्रों में छुआ छूत का कोई स्थान नहीं है इस अभिशाप को समाप्त करेंगे। 1970 में जन जाति बंधुओं के बीच देश भर के साधू संतों ने नागा रानी गाईन्डिल्यू के साथ ये उद्धघोषणा की वन वासी बन्धु हिन्दू समाज का अनन्य हिस्सा हैं। इसके बाद मिशनरियों, अलगाववादियों के षड़यंत्रों पर विराम लगना प्रारम्भ हो गया।
2. गौ रक्षा:
विहिप ने भारत में गौ रक्षा के लिए भी महत्वपूर्ण प्रयास किए हैं। इसके अंतर्गत, संगठन ने गोहत्या के विरोध में कानूनों को सख्ती से लागू करने के लिए अभियान चालाया है, जिसके परिणाम स्वरुप देश में गौ वंश पर कड़े कानून बने हैं। गायों की रक्षा के लिए गोशालाओं की स्थापना की है। विहिप के गौ रक्षा विभाग ने भारतीय गौरक्षण एवं सवर्धन परिषद्, गौ वंश हत्या एवं मांस निर्यात निरोध परिषद् तथा राष्ट्रीय गौ रक्षा आंदोलन समिति के माध्यम से देश भर में गौ वंश आधारित अनेकों उपलब्धियां प्राप्त की हैं। 60 स्थानों पर देसी नस्लों का संवर्धन का कार्य किया जा रहा है। भारत में गौ रक्षा विभाग द्वारा 1200 गौशालाएँ चलाई जा रही है। घरेलू उपचार व औषधियों का निर्माण पंचगव्य के आधार पर 40 स्थानों पर चल रहा है। अर्थोपार्जन की दृष्टि से 5 गायों से 50000 रुपए मासिक आया का प्रयोग सफलता पूर्वक चल रहा है। गौ तस्करों एवं गौ हत्यारों से अभी तक लगभग 25 लाख से अधिक गौ वंश को बचाया गया है।
3. अवैध धर्मातरण को रोकना तथा धर्मातरितों को स्वधर्म में वापस लाना:
विहिप ने अभी तक लगभग 40 लाख से अधिक भाई बहनों को धर्म परिवर्तन से बचाया है तथा 9 लाख हिन्दू भाईयों बहनों को स्वधर्म में वापस लाए हैं तथा पिछले एक साल में 8 हज़ार बहनों को लव जिहाद के षड्यंत्र से बचाया है।जो हिंदू लोभ, लालच और भय के कारण मुस्लिम या ईसाई बन गये हैं, उन्हें स्वधर्म में वापस लाने के कई अभियान चलाए हैं। इसके परिणाम स्वरूप देशभर में लाखों हिंदू अपने घर यानि स्वधर्म में वापस आये हैं। राजस्थान के ब्यावर परियोजना में 340 विद्यालयों, 32 छात्रावासों, 100 से अधिक संस्कार केन्द्रों के माध्यम से लगभग 1 लाख 10 हजार मुस्लिम धर्म धर्मान्तरित हिन्दुओं को घर वापस लाया जा चुका है। बाँसवाड़ा में भी ईसाई बन चुके पचास हज़ार हिंदुओं की घर वापसी कराई गई है,यहाँ पिछले 15 सालों में एक भी हिंदू ईसाई नहीं बना।इसी प्रकार उडीसा के 7 जिलों में 15 विद्यालय तथा 700 सत्संगों के माध्यम से लगभग प्रतिवर्ष 2000 से अधिक धर्म परिवर्तित हिन्दुओं की घर वापसी होती है।
4. सेवा कार्य:
विहिप के सेवा विभाग द्वारा संचालित 4500 सेवा प्रकल्प चलते हैं। जिनमें 31 प्रांतों के 93 स्थानों पर 840 संस्कार शालाएं संचालित है जिनमें 17000 बच्चे पढ़ते हैं। अनसुचित जनजातीय क्षेत्रों में छात्रावास संचालित होते हैं इसी प्रकार चिकित्सा की दृष्टि से गोवा में रुग्ण सहायता केन्द्र के माध्यम से रोगियों की सहायता की जाती है। बाड़, भूकंप, और अन्य प्राकृतिक आपदाओं के समय विहिप के कार्यकर्ता तन मन धन से राहत—सेवा कार्य करना।
5. राम जन्मभूमि आंदोलन
विहिप ने अयोध्या में श्री राम जन्मभूमि मंदिर की मुक्ति के लिए व्यापक आंदोलन चलाया। इस आंदोलन के कारण 6 दिसंबर 1992 को बाबरी ढाँचे को हिंदू समाज ने ध्वस्त कर दिया।2019 में, सुप्रीम कोर्ट ने श्री राम जन्म भूमि के पक्ष में निर्णय दिया। श्रीराम जन्म भूमि पर भव्य मंदिर निर्माण हेतू श्रीराम जन्मभूमि निधि समर्पण अभियान के द्वारा पांच लाख गांव के लगभग साढ़े बारह करोड़ परिवारों से निधि एकत्र की गई। २२ जनवरी २०२४ प्राण प्रतिष्ठा के दिन देश भर के लाखों मंदिरों में हिन्दू समाज के साथ यहाँ तक कि भव्य मंदिर का निर्माण भी हुआ और श्री रामलला अपने स्वगृह में प्राणप्रतिष्ठा के पश्चात बिराजमान भी हो गये हैं।
6.धार्मिक यात्रायें
जम्मू कश्मीर में बूढ़ा अमर नाथ यात्रा। 1995 में अंतकियों ने अमरनाथ यात्रा को बंद करने की धमकी देते हुए कहा था कि अगर कोई आऐगा तो वापस नहीं जाएगा। संतों के आह्वान पर इस चुनौती को स्वीकार किया और 51000 बजरंगी एक लाख अन्य शिव भक्तों के साथ इस दुर्गम यात्रा पर आए। आज लाखों शिव भक्त अमरनाथ यात्रा पर आते हैं तथा बाबा के दर्शन करते हैं। कश्मीर में आतंकियों के भय से बूढ़ा अमरनाथ यात्रा बंद हो गई थी तभी बजरंग दल ने पुंछ राजोरी में हिन्दुओं के आत्म विश्वास को जगाकर बूढ़ा अमरनाथ की यात्रा प्रारंभ की। आज लाखों शिव भक्त यहां यात्रा पर आते हैं। उत्तराखण्ड की पाँच तीर्थ यात्रा, हरियाणा के मेवात में नल्हड़ महादेव यात्रा, कर्नाटक में दत्तापीठ यात्रा, भाग्यनगर में गणेश उत्सव समिति, भाग्यनगर में ही भाग्यलक्ष्मी माता मंदिर के लिये आंदोलन, उड़ीसा में जगन्नाथ नव कलेवर यात्रा, राम जानकी बारात यात्रा। इन धर्म यात्राओं से देश धर्म के प्रति जागरण, सामाजिक समरसता और एकात्मकता के भाव का जागरण हुआ है। कांग्रेस शासन में पर्यावरण की रक्षा की आड में राम सेतू के अस्तिव को नकार दिया था तब 2007 में संपूर्ण देश में विश्व हिन्दू परिषद ने आन्दोलन किया तथा देश व्यापी बंद का आह्वान किया इस राष्ट्र व्यापी बंद के आगे सरकार को झूकना पड़ा और सरकार ने स्पष्ट किय कि वे राम सेतू को हाथ लगाए बिना बैकल्पिक योजना बनाएंगे।
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