Bank Fraud In 2024: 28 गुना बढ़े बैंक धोखाधड़ी के मामले, पहली छमाही में हुई कुल 21,367 करोड़ रुपये की ठगी
जैसे-जैसे टेक्नॉलॉजी एडवांस होती गई है वैसे-वैसे बैंक धोखाधड़ी के मामलों में वृद्धि भी हुई है। ग्राहकों को अच्छी सुविधा देने के बाद नाम बैंक ने टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल तो किया लेकिन होने वाली धोखाधड़ी को रोकने में असफल रहा। खैर, इस बीच आपको जानकर हैरानी होगी कि इस वित्त वर्ष की पहली छमाही (अप्रैल-सितंबर) में बैंक धोखाधड़ी के मामलों में तेजी से वृद्धि हुई है। इस अवधि दौरान बैंक धोखाधड़ी (Bank Fraud In 2024:) की कुल 18,461 घटनाएं हुईं। जो कुल 21,367 करोड़ रुपये थी। दरअसल, भारतीय रिजर्व बैंक की एक रिपोर्ट के अनुसार यह पिछले वित्त वर्ष की समान अवधि की तुलना में मामलों की संख्या (वित्त वर्ष 24 के अप्रैल-सितंबर में 14,480) में लगभग 28 प्रतिशत की वृद्धि और कुल राशि (2,623 करोड़ रुपये) में आठ गुना से अधिक की वृद्धि है।
सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों को सबसे अधिक वित्तीय धोखाधड़ी (Bank Fraud In 2024) का सामना करना पड़ा
बता दें कि केंद्रीय बैंक ने अपनी ट्रेंड एंड प्रोग्रेस ऑफ बैंकिंग इन इंडिया रिपोर्ट में जानकारी देते हुए कहा कि “वित्त वर्ष 2023-24 में, इंटरनेट और कार्ड फ्रॉड की कुल धोखाधड़ी राशि का 44.7 प्रतिशत और कुल मामलों का 85.3 प्रतिशत हिस्सा रहा।” रिपोर्ट में आगे कहा गया कि “निजी क्षेत्र के बैंकों ने सभी धोखाधड़ी (Bank Fraud In 2024) के मामलों में से 67.1 प्रतिशत की रिपोर्ट की, जबकि सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों को सबसे अधिक वित्तीय प्रभाव का सामना करना पड़ा।” रिपोर्ट में यह भी बताया गया है कि “2023-24 में कार्ड और इंटरनेट धोखाधड़ी का हिस्सा सबसे अधिक था। बात जब प्रवर्तन कार्रवाइयों की आती है, तो बता दें कि बैंकों पर लगाए गए कुल जुर्माने 2023-24 में 86.1 करोड़ रुपये तक पहुंच गई।
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सहकारी बैंकों पर लगाए गए जुर्माने की राशि में वर्ष के दौरान हुई कमी
आपको बता दें कि आरबीआई की रिपोर्ट में कहा गया कि “साल 2023-24 में कुल जुर्माना राशि दोगुनी से भी अधिक हो गई। जिसमें सार्वजनिक और निजी क्षेत्र के बैंक सबसे आगे हैं। इस बीच सहकारी बैंकों पर लगाए गए जुर्माने की राशि में वर्ष के दौरान कमी आई, जबकि जुर्माना लगाने के मामलों में वृद्धि हुई।” आरबीआई ने कहा कि “बैंकों को अपने जोखिम प्रबंधन मानकों, आईटी गवर्नेंस व्यवस्थाओं और ग्राहकों को जोड़ने तथा लेनदेन निगरानी प्रणालियों को मजबूत करने की निरंतर आवश्यकता है ताकि संदिग्ध और असामान्य लेनदेन सहित बेईमान गतिविधियों पर लगाम लगाई जा सके।” खैर इस बीच आरबीआई ने कहा कि “ग्राहकों को इन सेवाओं की वैधता सत्यापित करने में मदद मिल सके इसलिए केंद्रीय बैंक डिजिटल लेंडिंग ऐप्स के सार्वजनिक संग्रह पर काम कर रहा है।”
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