Chitragupta Puja 2024: जानिए पूजा की तारीख, शुभ मुहूर्त और आवश्यक जानकारी

Chitragupta Puja 2024

चित्रगुप्त पूजा (Chitragupta Puja), जो मुख्य रूप से कायस्थ समुदाय द्वारा मनाई जाती है, भगवान चित्रगुप्त की आराधना का विशेष पर्व है। यह पूजा हर साल कार्तिक मास की शुक्ल पक्ष की एकादशी को मनाई जाती है। इस वर्ष, चित्रगुप्त पूजा 03 नवंबर को मनाई जाएगी। इस अवसर पर भक्त भगवान चित्रगुप्त (Bhagwan Chitragupta) की आराधना करते हैं, जो कि लेखा-जोखा रखने वाले देवता माने जाते हैं।

चित्रगुप्त का महत्व

Chitragupta Puja 2024

भगवान चित्रगुप्त का संबंध यमराज से है। मान्यता है कि उन्होंने अपने लेखा-जोखा के माध्यम से संसार के सभी लोगों के कर्मों का विवरण रखा है। इस पूजा के माध्यम से भक्त अपने पितरों को स्मरण करते हैं और उनके प्रति श्रद्धांजलि अर्पित करते हैं। यह पूजा जीवन में सुख, समृद्धि और स्वास्थ्य की कामना करने के लिए की जाती है।

शुभ मुहूर्त

चित्रगुप्त पूजा  (Chitragupta Puja) के लिए शुभ मुहूर्त 2 नवंबर 2024 को सुबह रात में 8 बजकर 21 मिनट से शुरू होगा और इसका समापन 3 नवंबर की रात में 10 बजकर 5 मिनट पर होगी। इस दौरान भक्तों को भगवान चित्रगुप्त की विशेष पूजा करनी चाहिए।

पूजा सामग्री

चित्रगुप्त पूजा  (Chitragupta Puja) के लिए कुछ आवश्यक सामग्री की आवश्यकता होती है, जैसे:

  • सुपारी: पूजा के दौरान सुपारी का विशेष महत्व होता है। इसे भगवान चित्रगुप्त को अर्पित किया जाता है।
  • बेलपत्र: बेलपत्र को भी पूजा में शामिल किया जाता है, क्योंकि यह भगवान शिव का प्रिय पत्र है और इसके माध्यम से भगवान चित्रगुप्त को प्रसन्न किया जाता है।
  • घी का दीपक: दीपक जलाकर उसे भगवान के समक्ष रखकर आरती करनी चाहिए।
  • खीर या मिठाई: खीर या मिठाई को भगवान को अर्पित किया जाता है, जिसे बाद में परिवार के सदस्यों में बांटा जाता है।
  • फूल और धूप: पूजा में फूल और धूप का उपयोग भी किया जाता है।

पूजा विधि

  1. स्नान: पूजा से पहले भक्त को स्नान करना चाहिए और स्वच्छ वस्त्र धारण करना चाहिए।
  2. स्थापना: भगवान चित्रगुप्त की मूर्ति या चित्र को स्थापित करें और उसके आगे पूजा सामग्री रखें।
  3. आरती और भोग: भगवान को भोग अर्पित करें और फिर आरती करें।
  4. प्रयोजन: पूजा के बाद, भगवान चित्रगुप्त से अपने परिवार की भलाई और समृद्धि की कामना करें।
  5. पितृ श्राद्ध: इस दिन पितरों को भी याद किया जाता है। उनके लिए तर्पण आदि करने से उनकी आत्मा को शांति मिलती है।

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कलम-दवात पूजा क्या है?

चित्रगुप्त पूजा  (Chitragupta Puja) के अवसर पर व्यापारी वर्ग और कायस्थ समाज में कलम-दवात, खाता-बही, नोटबुक और कागज की पूजा की जाती है। यह दिन व्यापारियों के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण होता है, क्योंकि इस दिन नई किताबों पर ‘श्री’ लिखकर कार्य की शुरुआत की जाती है। सभी आय-व्यय का हिसाब लिखकर इसे भगवान को समर्पित किया जाता है, जिसे ‘कलम-दवात पूजा’ कहा जाता है। मान्यता है कि इस पूजा के द्वारा व्यापार में उन्नति होती है। कलम-दवात पूजा के दिन भगवान चित्रगुप्त का स्मरण करने से कार्य में प्रगति, आकर्षक वाणी, और बुद्धि की वृद्धि का आशीर्वाद प्राप्त होता है।

मान्यताएँ

चित्रगुप्त पूजा (Chitragupta Puja) के मौके पर कायस्थ समुदाय के लोग अपने घरों में इस दिन को विशेष धूमधाम से मनाते हैं। चित्रगुप्त जी की कथा और आरती की जाती है। मान्यता है कि इस दिन विधिपूर्वक की गई पूजा से पितरों की आत्मा को शांति मिलती है और परिवार में सुख-समृद्धि का वास होता है।

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