Pitru Paksha में वंश वृद्धि का आशीर्वाद पाने के लिए जरूर जलाएं इस तेल का दीपक

पितृपक्ष (Pitru Paksha) हिंदू धर्म में एक अत्यंत महत्वपूर्ण समय माना जाता है। यह वह समय होता है जब लोग अपने पितरों यानी पूर्वजों की आत्मा की शांति के लिए तर्पण, पिंडदान, और अन्य धार्मिक कार्य करते हैं। पितृपक्ष के दौरान पितरों की पूजा और श्राद्ध कर्म को अत्यधिक फलदायी माना जाता है। कहा जाता है कि इस समय किए गए उपायों से पितरों की आत्मा को शांति मिलती है और उनका आशीर्वाद प्राप्त होता है, जो वंश वृद्धि, सुख-समृद्धि और परिवार में शांति का कारण बनता है।

वंश वृद्धि के लिए पितृपक्ष में दीपक जलाने का महत्व

पितृपक्ष  (Pitru Paksha) में दीपक जलाना एक प्राचीन और पारंपरिक मान्यता है। ऐसा माना जाता है कि पितरों की आत्मा दीपक के प्रकाश के माध्यम से प्रसन्न होती है और अपनी संतानों को आशीर्वाद देती है। खासतौर पर जब इस दीपक में सरसों का तेल डाला जाता है, तो इसका महत्व और भी बढ़ जाता है। सरसों का तेल पितरों की तृप्ति और वंश वृद्धि के लिए श्रेष्ठ माना जाता है। 

क्यों सरसों के तेल का ही दीपक?

सरसों के तेल का पितरों के लिए विशेष महत्व होता है। धर्मशास्त्रों में कहा गया है कि सरसों के तेल का दीपक जलाने से पितरों की आत्मा संतुष्ट होती है और वे अपने वंशजों को आशीर्वाद देते हैं। इसके साथ ही, दीपक के प्रकाश से घर में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है और पितृ दोष दूर होते हैं। अगले दिन दीपक में तिल के दो दाने डालें, फिर उसके अगले दिन तीन दाने डालते जाएँ। इसी प्रकार 16 दिनों तक तिल डालते रहेंगे, और अंतिम दिन दीपक में 16 तिल के दाने डालें। यह तेल का दीपक थोड़े समय के लिए जलाया जाता है, जैसे 10-15 मिनट या अधिकतम आधे घंटे तक, उससे अधिक नहीं। यह मान्यता है कि पितरों की कृपा से वंश वृद्धि होती है और परिवार में खुशहाली आती है। 

सरसों के तेल का दीपक जलाने का सही तरीका

ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, 15 दिनों के पितृ पक्ष  (Pitru Paksha) में पितरों को स्मरण किया जाता है। इस दौरान दक्षिण दिशा में दीपक जलाना बेहद शुभ माना जाता है, क्योंकि वास्तु शास्त्र के अनुसार, पितरों का निवास दक्षिण दिशा में होता है। धार्मिक ग्रंथों के अनुसार, पितृ पक्ष को पितरों का आशीर्वाद पाने के लिए सबसे शुभ समय माना गया है। इन दिनों में पीपल के पेड़ के नीचे दीपक जलाना आवश्यक बताया गया है। मान्यता है कि पीपल के पेड़ में देवी-देवताओं के साथ-साथ पितरों का भी निवास होता है। इसलिए इन 15 दिनों में घी का दीपक पीपल के पेड़ के पास जरूर जलाएं। दीपक जलाते समय “ॐ पितृभ्यः नमः” मंत्र का जाप करें और पितरों से वंश वृद्धि और सुख-समृद्धि का आशीर्वाद मांगे।

दीपक जलाने के अन्य फायदे

पितृपक्ष  (Pitru Paksha) के दौरान सरसों के तेल का दीपक जलाने से न केवल पितरों की आत्मा को शांति मिलती है, बल्कि यह घर के वातावरण को भी शुद्ध करता है। इसके अलावा, इस उपाय से घर के सदस्यों के स्वास्थ्य में सुधार होता है और घर में सुख-शांति बनी रहती है। 

वंश वृद्धि और पितरों की कृपा प्राप्त करने के अन्य उपाय

दीपक जलाने के साथ-साथ पितृपक्ष के दौरान कुछ अन्य उपाय भी किए जा सकते हैं:

  • पितरों के निमित्त गरीबों और ब्राह्मणों को भोजन करवाएं और दान दें।
  • पितरों के लिए तर्पण और पिंडदान करें।
  • पितरों की आत्मा की शांति के लिए विष्णु भगवान की पूजा और सत्यनारायण कथा का पाठ करें।
  • तुलसी के पौधे के नीचे घी का दीपक जलाएं, इससे पितरों को मोक्ष की प्राप्ति होती है।

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