Mahalaya 2024: दुर्गा पूजा से पहले महालया, बंगाल में क्यों है यह दिन बेहद खास

Mahalaya 2024

पश्चिम बंगाल में दुर्गा पूजा का महोत्सव विशेष धूमधाम से मनाया जाता है, लेकिन इस उत्सव की शुरुआत ‘महालया’ (Mahalaya) से होती है, जिसे बंगालियों के लिए अत्यंत पवित्र और महत्वपूर्ण दिन माना जाता है। महालया वह दिन है जब देवी दुर्गा के पृथ्वी पर आगमन की आधिकारिक घोषणा होती है। यह अश्विन माह की अमावस्या तिथि को मनाया जाता है और इसी दिन से दुर्गा पूजा की तैयारियों का आरंभ माना जाता है।

 देवी दुर्गा की प्रतिमा पर चढ़ाया जाता है रंग

इस दिन देवी दुर्गा की प्रतिमा पर रंग चढ़ाया जाता है, उनकी आंखों का निर्माण किया जाता है, और मंडप को सजाया जाता है। मां दुर्गा की मूर्ति बनाने वाले कारीगर पहले से ही अपने काम में जुट जाते हैं, लेकिन महालया के दिन मूर्ति को अंतिम रूप दिया जाता है। महालया के दिन पितृपक्ष समाप्त होता है और इसी दिन से देवी पक्ष की शुरुआत होती है। देवी पक्ष भी पितृपक्ष की तरह 15 दिन का होता है, जिसमें से 10 दिन नवरात्रि के होते हैं, और 15वें दिन लक्ष्मी पूजा के साथ देवी पक्ष समाप्त होता है, जो शरद पूर्णिमा के साथ समाप्त होता है।

महालया (Mahalaya) का धार्मिक महत्व

पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, महालया के दिन मां दुर्गा अपने परिवार के साथ धरती पर आती हैं और अपने भक्तों के दुखों का निवारण करती हैं। इस दिन देवी दुर्गा को पृथ्वी पर आह्वान किया जाता है, जो उनके विजय दशमी के दिन महिषासुर का वध करने की कथा से जुड़ा है। महालया के दिन सुबह-सुबह लोग ‘महिषासुर मर्दिनी’ का पारंपरिक पाठ सुनते हैं, जिसमें देवी दुर्गा की वीरता और महिषासुर का अंत करने की गाथा का वर्णन होता है।

तर्पण की परंपरा

महालया का एक और महत्वपूर्ण पहलू है तर्पण, जिसमें लोग अपने पूर्वजों को जल अर्पित कर उन्हें श्रद्धांजलि देते हैं। यह अनुष्ठान गंगा नदी के तट पर बड़ी संख्या में लोगों द्वारा संपन्न किया जाता है। इस दिन को ‘पितृ पक्ष’ के अंत के रूप में भी देखा जाता है, जिसके बाद ‘देवी पक्ष’ का शुभारंभ होता है।

बंगाल में महालया (Mahalaya) का सांस्कृतिक महत्व

महालया का महत्व केवल धार्मिक ही नहीं, बल्कि सांस्कृतिक भी है। इस दिन से दुर्गा पूजा की भव्य तैयारियों की शुरुआत होती है। पंडाल सजने लगते हैं, मूर्तिकार मां दुर्गा की मूर्तियों को अंतिम रूप देने में जुट जाते हैं, और चारों ओर उत्सव का माहौल बनने लगता है। बंगाली समाज में महालया के दिन का इंतजार हर व्यक्ति करता है, क्योंकि यह दिन दुर्गा पूजा के आगमन का प्रतीक है।

महालया पर विशेष कार्यक्रम

पश्चिम बंगाल में इस दिन विभिन्न सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन होता है। टीवी और रेडियो पर ‘महिषासुर मर्दिनी’ का प्रसारण होता है, जिसे सुनने के लिए लाखों लोग सुबह जल्दी उठते हैं। इस दिन को खास बनाने के लिए लोग नए वस्त्र पहनते हैं और घरों में विशेष भोजन पकाते हैं।

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