अगस्ता वेस्टलैंड हेलीकॉप्टर घोटाला भारत में हुए रक्षा सौदों के इतिहास में एक बहुत बड़ा धब्बा है। यह घटना 2010 की है, जिसमें इतालवी (Italian) कंपनी फिनमेकेनिका (अगस्ता वेस्टलैंड की मूल कंपनी) पर आरोप था कि उसने वीवीआईपी हेलीकॉप्टरों की खरीद के लिए भारतीय वायुसेना के कुछ अधिकारियों को रिश्वत दी थी। अगस्ता वेस्टलैंड हेलीकॉप्टर घोटाला भारत के रक्षा क्षेत्र में एक काला अध्याय है। इस मामले ने देश की सुरक्षा और छवि दोनों को नुकसान पहुंचाया है। भविष्य में इस तरह की घटनाओं को रोकने के लिए सतर्क रहना और रक्षा खरीद प्रक्रिया में पारदर्शिता लाना जरूरी है।
क्या है ये आरोप?
- भारत को 12 वीवीआईपी हेलीकॉप्टरों की आपूर्ति के लिए 2010 में एक समझौता किया गया था।
- आरोप है कि इस सौदे का 10% यानी लगभग 350 करोड़ रुपये रिश्वत के रूप में दिए गए थे।
- इतालवी पुलिस के अनुसार, भारतीय वायुसेना के पूर्व प्रमुख एयर चीफ मार्शल शशिकांत शर्मा को भी इस घोटाले में रिश्वत मिली थी।
मामले का खुलासा कब हुआ?
फरवरी 2013 में इतालवी राष्ट्रीय सैन्य पुलिस ने फिनमेकेनिका के सीईओ को गिरफ्तार कर लिया था। इस गिरफ्तारी के बाद भारत में भी रक्षा मंत्रालय ने सीबीआई जांच के आदेश दिए।
घोटाले का क्या प्रभाव पड़ा था?
- इस घोटाले के कारण भारत सरकार की रक्षा सौदों को लेकर छवि धूमिल हुई।
- वायुसेना के हेलीकॉप्टरों की आपूर्ति पर भी रोक लगा दी गई।
- हालांकि, अभी तक किसी को भी इस मामले में आरोपी नहीं ठहराया गया है, जांच जारी है।
अगस्ता वेस्टलैंड हेलीकॉप्टर घोटाला रक्षा क्षेत्र में भ्रष्टाचार की समस्या को उजागर करता है। इससे रक्षा खरीद प्रक्रिया में पारदर्शिता लाने और भ्रष्टाचार को रोकने के लिए सख्त कदम उठाने की जरूरत पर बल देता है।
सीबीआई और ईडी द्वारा इस मामले की व्यापक जांच की गई।
कई लोगों को गिरफ्तार किया गया, जिनमें भारतीय वायुसेना के पूर्व प्रमुख और फिनमेकेनिका के अधिकारी भी शामिल हैं।
इस घटना का राजनीतिक प्रभाव
इस मामले का इस्तेमाल कई चुनावों में भी किया गया।
इस घोटाले ने भारत की राजनीति को भी गरमा दिया।
विपक्षी दलों ने सत्तारूढ़ सरकार पर भ्रष्टाचार को संरक्षण देने का आरोप लगाया।