बांग्लादेश में बीते दिनों हिंदू आध्यात्मिक नेता चिन्मय कृष्ण दास (Chinmay Krishna Das arrest) को देशद्रोह के आरोप में हिरासत में लिया गया था। इसके बाद बांग्लादेश में रह रहे अल्पसंख्यक हिन्दुओं ने इस गिरफ्तारी को अवैध ठहराते हुए जमकर विरोध प्रदर्शन किया। उनकी गिरफ्तारी के बाद मंगलवार को झड़पें हुईं। इस झड़प में सहायक सरकारी वकील सैफुल इस्लाम की हत्या कर दी गई। वहां के अल्पसंख्यक समुदाय ने भारत सरकार से हस्तक्षेप कर मदद की गुहार भी लगाई। इस बीच बांग्लादेश की अपदस्थ प्रधानमंत्री शेख हसीना ने चिन्मय कृष्ण दास की गिरफ्तारी की सख्त लहजे में निंदा करते हुए कहा कि “उन्हें तुरंत रिहा किया जाना चाहिए। दास को इस सप्ताह के शुरू में शेख हसीना ने अपने एक बयान में कहा कि “सनातन धर्म के एक शीर्ष आध्यात्मिक नेता को अन्यायपूर्ण तरीके से गिरफ्तार किया गया है, उन्हें तुरंत रिहा किया जाना चाहिए।”
चटगांव में एक मंदिर को दिया गया जला – Chinmay Krishna Das arrest
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक अवामी लीग की ओर से सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर किए गए एक पोस्ट में पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना ने कहा कि “चटगांव में एक मंदिर को जला दिया गया है। इससे पहले, अहमदिया समुदाय की मस्जिदों, दरगाहों, चर्चों, मठों और घरों पर हमला किया गया। तोड़फोड़ की गई। लूटपाट की गई और आग लगा दी गई। सभी समुदायों के लोगों की धार्मिक स्वतंत्रता और जीवन एवं संपत्ति की सुरक्षा सुनिश्चित की जानी चाहिए।” बता दें कि बांग्लादेश में आरक्षण प्रणाली को लेकर अवामी लीग के नेतृत्व वाली सरकार के खिलाफ व्यापक स्तर पर विरोध प्रदर्शन के बाद हसीना ने पांच अगस्त को भारत में शरण ली थी। इसके बाद नोबेल पुरस्कार विजेता यूनुस सलीम को सरकार के मुख्य सलाहकार का पदभार सौंपा गया था।
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बांग्लादेश के उच्च न्यायालय ने इस्कॉन की गतिविधियों पर प्रतिबंध लगाने की याचिका को कर दिया था खारिज
हैरत यह कि यूनुस के सत्ता संभालने के बाद भी बांग्लादेश के कई हिस्सों में हिंदू (Chinmay Krishna Das arrest) अल्पसंख्यक समुदाय के सदस्यों के खिलाफ अत्याचार जारी ही है। जमात-ए-इस्लामी जैसे चरम कट्टरपंथी समूहों द्वारा आये दिन हिंदुओं पर हमले की ख़बरें आती रहती हैं। यही नहीं, बांग्लादेश उच्चतम न्यायालय के वकीलों के एक समूह ने बुधवार को बांग्लादेश सरकार को एक कानूनी नोटिस भेजकर इस्कॉन पर प्रतिबंध लगाने की मांग करते हुए इसे एक कट्टरपंथी संगठन बताया था। हालांकि, बांग्लादेश के उच्च न्यायालय ने इस्कॉन की गतिविधियों पर प्रतिबंध लगाने की याचिका को खारिज कर दिया था।
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