Hijab Ban In Tajikistan: हिजाब पर पाबंदी और ताजिकिस्तान की पहचान, क्यों गरमाया है यह मुद्दा?

Hijab Ban In Tajikistan

ताजिकिस्तान में हिजाब प्रतिबंध (Hijab ban in Tajikistan)? क्या आपने कभी सोचा है कि कपड़े पहनने की आजादी भी किसी देश के लिए इतना बड़ा मुद्दा बन सकती है? ऐसा ही कुछ हो रहा है ताजिकिस्तान में, जहां सरकार ने हिजाब पहनने पर रोक लगा दी है। चलिए समझते हैं कि आखिर यह मामला क्या है और क्यों इतना गरमाया हुआ है।

ताजिकिस्तान के बारे में थोड़ा जान लें

ताजिकिस्तान मध्य एशिया का एक छोटा सा देश है। यहां की ज्यादातर जनता, यानी 95 फीसदी लोग मुसलमान हैं। लेकिन हाल ही में वहां की सरकार ने एक ऐसा फैसला लिया है जिसने सबको चौंका दिया है। उन्होंने हिजाब पहनने पर रोक लगा दी है। अब आप सोच रहे होंगे कि आखिर ऐसा क्यों किया गया?

ताजिकिस्तान में हिजाब प्रतिबंध (Hijab ban in Tajikistan) की कहानी

यह कहानी कुछ सालों पहले शुरू हुई थी। 2000 के बाद से ही ताजिकिस्तान की सरकार धीरे-धीरे धार्मिक कपड़ों और शिक्षा पर रोक लगा रही थी। पहले उन्होंने स्कूलों और कॉलेजों में लड़कियों को हिजाब पहनने से मना किया। फिर 2017 में एक बड़ा कानून आया, जिसमें कहा गया कि सभी लोगों को “देसी कपड़े” पहनने चाहिए। इसमें हिजाब जैसे इस्लामी कपड़े शामिल नहीं थे।

सरकार क्या कहती है?

ताजिकिस्तान के राष्ट्रपति, इमोमाली रहमोन, कहते हैं कि हिजाब जैसे कपड़े बाहर के देशों से आए हैं। उनका मानना है कि ये कपड़े ताजिकिस्तान की पुरानी संस्कृति के खिलाफ हैं। वे चाहते हैं कि लोग ताजिकिस्तान के पारंपरिक कपड़े पहनें।

सरकार का एक और बड़ा डर है कि हिजाब पहनने से कट्टरपंथी विचार फैल सकते हैं। वे सोचते हैं कि इससे देश की सुरक्षा को खतरा हो सकता है। इसलिए उन्होंने ताजिकिस्तान में हिजाब प्रतिबंध (Hijab ban in Tajikistan) लगाया है।

लोग क्या कहते हैं?

जैसा कि आप सोच सकते हैं, इस फैसले पर लोगों की अलग-अलग राय है। कुछ लोग सरकार के साथ हैं। वे मानते हैं कि यह फैसला देश को सुरक्षित रखने के लिए जरूरी है।

लेकिन बहुत सारे लोग इस फैसले से नाराज हैं। खासकर महिलाएं और धार्मिक समूह इसे अपने अधिकारों पर हमला मानते हैं। वे कहते हैं कि हिजाब पहनना उनकी निजी बात है और सरकार को इसमें दखल नहीं देना चाहिए।

दुनिया क्या कहती है?

ताजिकिस्तान में हिजाब प्रतिबंध (Hijab ban in Tajikistan) की खबर पूरी दुनिया में फैल गई है। कई इस्लामी देशों ने इस फैसले की आलोचना की है। वे कहते हैं कि यह धार्मिक आजादी के खिलाफ है।

मानवाधिकार संगठन भी इस फैसले से खुश नहीं हैं। वे कहते हैं कि ताजिकिस्तान में धीरे-धीरे धार्मिक आजादी कम हो रही है और यह ठीक नहीं है।

ताजिकिस्तान की संस्कृति और कपड़े

ताजिकिस्तान की अपनी पुरानी संस्कृति है जिसमें कई धर्म और रीति-रिवाज मिले-जुले हैं। यहां की औरतें पारंपरिक रूप से ढीले-ढाले कपड़े और सिर पर स्कार्फ पहनती हैं। लेकिन यह स्कार्फ हिजाब की तरह चेहरा नहीं ढकता।

सरकार चाहती है कि लोग इन्हीं पुराने कपड़ों को पहनें। उनका मानना है कि इससे देश की पहचान बनी रहेगी और बाहर के प्रभाव कम होंगे।

ताजिकिस्तान में हिजाब प्रतिबंध (Hijab ban in Tajikistan) का असर

इस फैसले का असर ताजिकिस्तान के लोगों पर गहरा पड़ा है। कई महिलाओं को अपने कपड़े बदलने पड़े हैं। कुछ लोग डर के मारे हिजाब पहनना छोड़ रहे हैं, तो कुछ इसे अपने अधिकारों की लड़ाई मान रहे हैं।

यह फैसला सिर्फ कपड़ों का नहीं है। यह धर्म, संस्कृति और देश की पहचान से जुड़ा हुआ है। इसलिए इस पर बहस अभी खत्म होने वाली नहीं है।

आगे क्या होगा?

ताजिकिस्तान में हिजाब प्रतिबंध (Hijab ban in Tajikistan) अभी नया-नया है। इसलिए यह कहना मुश्किल है कि आगे क्या होगा। क्या यह फैसला देश को सुरक्षित रखने में मदद करेगा? या फिर इससे लोगों में और नाराजगी बढ़ेगी? यह तो वक्त ही बताएगा।

लेकिन एक बात तय है कि यह मुद्दा सिर्फ ताजिकिस्तान तक सीमित नहीं रहेगा। दुनिया भर में लोग इस पर नजर रखेंगे। क्योंकि यह सिर्फ कपड़ों का मामला नहीं है, बल्कि यह धार्मिक आजादी, सुरक्षा और एक देश की पहचान से जुड़ा हुआ है।

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