India blocks Turkey: पाकिस्तान से यारी तुर्किये को पड़ी भारी, यहां भारत ने लगाई तुर्किये की एंट्री पर रोक

पाकिस्तान से यारी तुर्किये

पाकिस्तान से करीबी तुर्किये को अब जाकर भारी पड़ती दिख रही है। तुर्किये ने सोचा भी नहीं होगा कि इसका खामियाजा उसे ब्रिक्स की सदस्यता न पाकर चुकाना होगा। दरअसल, जर्मन अखबार ‘बिल्ड’ ने अपनी एक रिपोर्ट यह दावा किया है कि भारत के चलते तुर्किये को ब्रिक्स में सदस्यता नहीं मिल पाई। रिपोर्ट के मुताबिक तुर्किये ने ब्रिक्स की सदस्यता हेतु आवेदन किया था, लेकिन भारत की वजह से उसे खारिज कर दिया गया। हालांकि 24 अक्टूबर को आयोजित ब्रिक्स प्लस की समिट में तुर्किये के राष्ट्रपति रेसेप तैयप एर्दोगन ने हिस्सा भी लिया था। ऐसे में सोचना लाजमी है कि आखिर किस वजह के चलते भारत ने तुर्किये की सदस्य्ता पर रोक लगाई (India blocks Turkey) । तो आपको बता दें कि तुर्किये का पाकिस्तान से बड़ा करीबी संबंध है। कई मर्तबा वो कश्मीर मुद्दे पर भारत के खिलाफ बयानबाजी कर चुका है। 

भारत के विरोध होने की वजह से तुर्किये की ख़ारिज हुई सदस्यता 

गौरतलब हो कि हाल ही में रूस के कजान में आयोजित 16वें ब्रिक्स समिट के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने बयान में कहा था कि “संगठन की योजनाएं संस्थापक देशों की सर्वसम्मति से बननी चाहिए।” हालांकि कयास यह भी लगाया जा रहा है कि प्रधानमंत्री मोदी के इस बयान और भारत के विरोध होने की वजह से तुर्किये को ब्रिक्स की सदस्यता को ख़ारिज कर दिया गया (India blocks Turkey)। यही नहीं, रूसी राष्ट्रपति व्लादिमिर पुतिन ने भी ब्रिक्स समिट के दौरान अपने भाषण में कहा था कि “नए देशों को शामिल किए जाने से पहले ये विशेष ध्यान रखा जाएगा कि इससे समूह की कार्य क्षमता पर कोई असर न पड़े।” शायद इसकी वजह से भी नए आवेदनों को टाल दिया गया हो।

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विश्व के विकासशील देशों को साथ लाने के उदेश्य से की गई थी ब्रिक्स की स्थापना

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ब्रिक्स की स्थापना विश्व के महत्वपूर्ण विकासशील देशों को साथ लाने तथा उत्तरी अमेरिका और पश्चिमी यूरोप के धनी देशों की राजनीतिक और आर्थिक शक्ति को चुनौती देने के लिए की गई थी। ब्रिक्स समूह से पहले ये ब्रिक समूह था। साल 2006 ब्राजील, रूस, भारत और चीन ने मिलकर ब्रिक समूह बनाया। 2010 में दक्षिण अफ़्रीका भी इसमें शामिल हो गया और यह ब्रिक्स बन गया। यानी कुल-मिलाकर ब्रिक्स में सिर्फ 5 देश ही थे। लेकिन इसी वर्ष जनवरी में चार और देश सऊदी अरब, ईरान, संयुक्त अरब अमीरात, इथियोपिया और मिस्र के शामिल होने से संख्या 5 से 9 हो चुकी है। जनवरी में ये चारों देश इस साल शिखर सम्मलेन में सदस्य के रूप में शामिल भी हुए थे। 

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