AIMIM कहीं ‘चलो मुंबई रैली’ की आड़ में आज़ाद मैदान दंगा दोहराने की साजिश तो नहीं कर रही?

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महाराष्ट्र में विधानसभा चुनावों का ऐलान होने को है। ऐसे सभी राजनीतिक पार्टियां वोटो के तुष्टिकरण और ध्रुवीकरण में लगी हुई हैं। जिसकी बानगी महाराष्ट्र की राजधानी मुंबई में देखी जा सकती है। रामगिरी महाराज और बीजेपी नेता नितेश राणे के खिलाफ कार्रवाई की मांग का मामला तूल पकड़ा दिख रहा है। असुदद्दीन ओवैसी की अगुवाई वाली ऑल-इंडिया-मजलिस-ए-इत्तेहादुल-मुस्लिमीन (AIMIM) ने औरंगाबाद से लेकर मुंबई तक शक्ति प्रदर्शन करते हुए तिरंगे के साथ संविधान रैली निकाली है। दरअसल, वो रामगिरी महाराज और बीजेपी नेता नितेश राणे के मुसलमानों को निशाना बनाने वाली कथित टिप्पणियों को लेकर भड़के हैं।

मुंबई पुलिस ने कर रखे हैं पुख्ता इंतजाम

औरंगाबाद के पूर्व सांसद इम्तियाज जलील और कई मुस्लिम संगठनों की अगुवाई में निकली यात्रा में काफी भीड़ जुटी रही है। इस भीड़ की वजह से कई इलाकों में जाम की स्थिति भी बन गई है। हालांकि, पुलिस की कोशिश है कि वो मुंबई के अंदर न घुस सकें। इसलिए मुंबई के प्रत्येक एंट्री पॉइंट पर मुंबई पुलिस और ठाणे पुलिस ने कड़ा बंदोबस्त किया हुआ है। एहतियातन बड़ी तादाद में मुंबई पुलिस और ठाणे पुलिस के लोग मौजूद हैं और बैरिकेट लगना शुरू कर दिया गया है।

बीजेपी नेता नितेश राणे हिंदू संत रामगिरी महाराज के खिलाफ चाहते हैं कार्रवाई

इम्तियाज जलील की मांग है कि “महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे अल्यसंख्यकों के खिलाफ बोलने वाले बीजेपी नेता नितेश राणे के खिलाफ कार्रवाई करेंगे। जलील इसके अलावा हिंदू संत रामगिरी महाराज के खिलाफ भी कार्रवाई चाहते हैं।” उनका का आरोप है कि “रामगिरी महाराज ने हाल ही में इस्लाम और पैंगबर मुहम्मद के खिलाफ अपमानजनक टिप्पणियां की थीं। और नितेश राणे ने भी मुसलामानों को मस्जिद में घुसकर मारने की धमकी दी थी। वैसे महाराष्ट्र में मुसलमानों को निशाना बनाकर बयान देने के चलते नितेश राणे के खिलाफ कई मामले दर्ज हो चुके हैं। आपको बता दें कि 11 सितंबर को ही इम्तियाज जलील ने 23 सितंबर के दिन मुंबई कूच का ऐलान किया था। अपने ऐलान में उन्होंने कहा था कि “वो मुंबई जाकर महायुति के नेताओं और वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों को संविधान की प्रतियां भेंट करेंगे।”

महाराष्ट्र में मुसलमानों को खुलेआम दी जा रही हैं गालियां

AIMIM के नेता इम्तियाज जलील ने कहा कि “देश कानून से चलेगा। हम चाहते हैं कि देश के अंदर कानून बने ताकि कोई भी किसी की जाति, धर्म, महापुरुष के बारे में कोई गलत बयानी न करे। इन लोगों ने नीतिश राणे जैसे लोग छोड़ रखे हैं कि वो कुछ भी बोलें, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं होगी। उन्होंने आगे कहा कि “सरकार जानती है कि महाराष्ट्र के अंदर जो हरकत हो रही है, वो सरकार द्वारा ही की जा रही है। महाराष्ट्र में खुलेआम मुसलमानों को गालियां दी जा रही हैं। क्या इसमें कार्रवाई नहीं होनी चाहिए?”

24 घंटे के लिए पुलिसकर्मियों को छुट्टी दे दी जाए, हम अपनी ताकत दिखा देंगे

आपको बता दें कि असुदद्दीन ओवैसी की पार्टी एआईएमआईएम पहले से ही राम गिरी महाराज और राणे के खिलाफ मोर्चा खोले हुए हैं, वहीं दूसरी तरफ नितेश राणे भी खुलकर दो-दो हाथ करने के मूड में हैं। हाल ही में उन्होंने एक सभा को संबोधित करते हुए कहा कि “ज्यादा नहीं सिर्फ 24 घंटे के लिए पुलिसकर्मियों को छुट्टी दे दी जाए। इसके बाद हम अपनी ताकत दिखा देंगे। हम उन्हें यह एहसास दिला देंगे कि हममें कितना दम है।” कहने की जरूरत नहीं इसके बाद हंगामा होना ही था। AIMIM नेता वारिस पठान ने पलटवार कहा कि “उन्होंने भी चूड़ियां नहीं पहन रखी हैं।” पाठन ने राज्य सरकार को आड़े हाथों लेते हुए कहा कि “महाराष्ट्र सरकार भड़काऊ भाषण सुनने के बाद भी कार्रवाई नहीं करना चाहती है।” उनका आरोप है कि “रामगिरी महाराज ने इस्लाम और पैगंबर मोहम्मद के बारे में कथित रूप से अपमानजनक टिप्पणी की थी।” अब वो चाहते हैं कि “नितेश राणे के अलावा हिंदू संत रामगिरी महाराज के खिलाफ सख्त से सख्त कार्रवाई हो।”

साल 2012 में हुए आज़ाद मैदान दंगे को दोहराने की मंशा तो नहीं?

खैर, AIMIM नेता नबी की शान में गुस्ताखी के खिलाफ मार्च कर रहे हैं। वो लब्बैक या रसूल अल्लाह, लब्बैक या रसूल अल्लाह, लब्बैक या रसूल अल्लाह के नारे लगाते हुए मुंबई की तरफ बढ़ रहे हैं। कुल-मिलाकर महत्वपूर्ण बात यह कि इतनी तादात में बाहरी लोगों को मुंबई बुलाकर आखिर AIMIM के नेता क्या साबित करना चाहते हैं? कहीं इसके पीछे उनकी मंशा साल 2012 में हुए आज़ाद मैदान दंगे को दोहराने की तो नहीं? क्योंकि असामाजिक तत्वों को भीड़ को उकसाने और उकसा कर इस तरह के दंगे करवाने में जरा भी देर नहीं लगेगी। कौन जाने कब देखते ही देखते भीड़ उग्र होकर बेकाबू हो जाये क्या पता? ऐसे में अब सारा दारोमदार राज्य सरकार पर है कि किसी भी तरह की अनहोनी न होने दे। क्योंकि देश के दुश्मन तो मौके की ताड़ में तो बैठे ही हैं।

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