Akhand Bharat: अखंड भारत संकल्प दिवस

Akhand Bharat

भारत के करोड़ों लोग हर दिन अखण्ड भारत का सपना देखते हैं। यह सिर्फ एक सपना नहीं है बल्कि इन लोगों की श्रद्धा और निष्ठा है। ये वो लोग हैं, जो भारत भूमि को एक मां के रूप में देखते और पूजते हैं। प्रात: उठकर वन्देमातरम् राष्ट्रघोष के साथ इस भूमि की मिट्टी को माथे से लगाते हैं। ऐसे असंख्य भारतवासी अपने मातृभूमि के विभाजन की वेदना को कैसे भूल सकते हैं, फिर से अखण्ड भारत के संकल्प को कैसे त्याग सकते हैं? ऐसे लोगों के लिए ही हर साल 14 अगस्‍त को अखंड भारत (Akhand Bharat) संकल्प दिवस मनाया जाता है।

15 अगस्त 1947 को हमें अंग्रेंजों की कैद से आजादी तो मिल गई, लेकिन इसके साथ ही हमारी प्यारी मातृभूमि को विभाजन का गहरा घाव भी मिला। विभाजन का यह दर्द आज भी भारतवासियों के दिल में नासूर बनकर हर दिन चुभता है। क्‍योंकि इस बंटवारे ने केवल भूमि ही नहीं बांटी, इसने हमारी मातृभूमि का हजारों साल पुराने ऐतिहासिक और सांस्कृतिक धरोहरों को भी बांट दिया।    

विभाजन और इसके परिणाम

अंग्रेजों ने 15 अगस्‍त 1947 को भारत को आजाद करने से एक दिन पहले यानी 14 अगस्‍त को इस भूमि को तीन हिस्‍सों में बांट दिया। एक हिस्‍सा भारत, दूसरा पश्चि‍मी पाकिस्‍तान और तीसरा पूर्वी पाकिस्‍तान जो भारत की मदद से 26 मार्च 1971 में बांग्‍लादेश बना। इस विभाजन के दौरान लाखों लोग मारे गए और विस्थापित हुए। साथ ही हमने सिंधु नदी, कोट लखपत जेल, हिंगलाज माता, नानकाना साहिब जैसे कई महत्वपूर्ण ऐतिहासिक और सांस्कृतिक विरासत खो दिए।

अखंड भारत (Akhand Bharat) की आवश्यकता क्‍यों?

ऐतिहासिक और सांस्कृतिक एकता अखंड भारत के लिए आवश्यक है। हालांकि इस लक्ष्य तक पहुंचने के लिये हमें यथार्थ के कंकरीले-पथरीले और कांटेदार रास्‍ते से होकर गुजरना होगा, क्‍योंकि आज कई धार्मिक, राजनीतिक और अंतरराष्ट्रीय शक्तियां अखंड भारत के रास्‍ते में बांधा बनकर खड़ी हैं। इस सबके बाद भी आरएसएस जैसे कई हिन्‍दू संगठन अखंड भारत के लक्ष्य को पाने के लिए काम कर रहे हैं।

अखंड भारत के लाभ

भारत फिर से अखंड होगा, यह समय की बात है, लेकिन ऐसा होने पर कई लाभ मिल सकते हैं। अखंड भारत होने पर दुश्‍मनों की संख्‍या कम हो जाएगी, जिससे रक्षा बजट में लगने वाले धन का खर्च देश के विकास और सार्वजनिक जनकल्याण में किया जा सकता है। साथ ही अभी दूसरे देशों में मौजूद धार्मिक और ऐतिहासिक स्‍थलों तक पहुंचना आसान हो जाएगा। एकता होने पर देश के विकास और प्रगति को भी गति मिलेगी। 

खंडित भारत को अखंड बनाने के लिए सैन्य सामर्थ्य भारत के पास है। लेकिन क्या सैन्य कार्रवाई या आक्रमण से जीत के बाद अखंड भारत बन सकता है? शायद नहीं, क्‍योंकि  जब लोगों में मनोमिलन होता है, तभी राष्ट्र का निर्माण होता है। अखंडता का मार्ग सांस्कृतिक और धार्मिक है। भारत की अखंडता का आधार भी भूगोल से ज्यादा संस्कृति इतिहास में है। इसलिए, हमें धार्मिक और संस्कृति एकता के साथ ही अखंड भारत के तरफ बढ़ना होगा। 

चलो कंधे से कंधा मिलाकर अखंड भारत के सपने को हकीकत में बदलने का काम करते हैं।

– भारत माता की जय! 

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