Game of fake documents: बेंगलुरु में ‘नाम बदलो, पहचान छुपाओ’ पाकिस्तानी परिवार का फर्जी हिंदू अवतार

Game of fake documents

बेंगलुरु शहर में एक ऐसा मामला सामने आया है जो हर किसी को हैरान कर देने वाला है। यहां एक पाकिस्तानी परिवार पिछले कई सालों से छुपी पहचान (Hidden identity) के साथ रह रहा था। इस परिवार ने अपनी असली पहचान छिपाकर खुद को हिंदू परिवार के रूप में पेश किया था। पुलिस ने जब इस परिवार को पकड़ा तो सभी चौंक गए।

परिवार की कहानी

यह कहानी है राशिद अली सिद्दीकी की, जो पाकिस्तान के कराची का रहने वाला है। राशिद ने अपना नाम बदलकर शंकर शर्मा रख लिया था। उसकी पत्नी आयशा ने खुद को आशा रानी बताया। राशिद के पिता हनीफ मोहम्मद और मां रुबीना ने अपने नाम राम बाबू शर्मा और रानी शर्मा रख लिए थे। ये सभी बेंगलुरु के बाहरी इलाके राजपुरा गांव में रह रहे थे।

कैसे खुला राज

इस परिवार का राज कैसे खुला, यह भी एक दिलचस्प कहानी है। दरअसल, चेन्नई एयरपोर्ट पर दो पाकिस्तानी नागरिकों को पकड़ा गया। जब उनसे पूछताछ की गई तो उन्होंने बेंगलुरु में रह रहे इस परिवार के बारे में बताया। इसके बाद पुलिस ने छापा मारकर इस परिवार को गिरफ्तार कर लिया।

जाली दस्तावेजों का खेल (Game of fake documents)

इस परिवार ने अपनी पहचान छिपाने के लिए जाली दस्तावेजों का खेल (Game of fake documents) खेला था। उन्होंने फर्जी आधार कार्ड और पासपोर्ट बनवा लिए थे। इन दस्तावेजों में उनकी हिंदू पहचान दर्ज थी। इसी के सहारे वे पिछले कई सालों से यहां रह रहे थे और किसी को शक तक नहीं हुआ।

धर्म परिवर्तन का मामला

पुलिस जांच में एक और चौंकाने वाली बात सामने आई है। राशिद सिद्दीकी और उसका परिवार यहां के हिंदुओं को इस्लाम में धर्म परिवर्तन करवाने का काम भी कर रहे थे। इसके लिए उन्हें पाकिस्तान से पैसे मिलते थे। साथ ही, बेंगलुरु के कुछ स्थानीय मुसलमान भी उनकी मदद कर रहे थे।

परिवार का इतिहास

पुलिस जांच में पता चला है कि राशिद सिद्दीकी की पत्नी बांग्लादेश की रहने वाली है। उनकी शादी ढाका में हुई थी। 2014 में यह जोड़ा दिल्ली आया था। फिर 2018 में वे बेंगलुरु आ गए। यहां वे किराए के मकान में रह रहे थे।

गिरफ्तारी का वक्त

जब पुलिस इस परिवार को गिरफ्तार करने पहुंची, तब वे अपना सामान पैक कर रहे थे। लगता है कि उन्हें अपनी पोल खुलने का अंदेशा हो गया था और वे भागने की तैयारी में थे। लेकिन पुलिस ने उन्हें वक्त पर पकड़ लिया।

घर की तलाशी

पुलिस ने जब इस परिवार के घर की तलाशी ली तो कुछ और भी सबूत मिले। घर की दीवार पर ‘मेहंदी फाउंडेशन इंटरनेशनल जश्न-ए-यूनुस’ लिखा हुआ था। साथ ही, कुछ मौलवियों की तस्वीरें भी मिलीं। इससे साफ है कि वे अपनी असली पहचान को पूरी तरह से नहीं छिपा पाए थे।

पुलिस की कार्रवाई

पुलिस ने इस पूरे परिवार के खिलाफ केस दर्ज कर लिया है। अब उनसे पूछताछ की जा रही है। पुलिस यह पता लगाने की कोशिश कर रही है कि क्या इस परिवार का कोई बड़ा नेटवर्क है। साथ ही, यह भी जांच की जा रही है कि वे यहां किन-किन गतिविधियों में शामिल थे।

आगे की चुनौतियां

इस मामले ने कई सवाल खड़े कर दिए हैं। सबसे बड़ा सवाल यह है कि कैसे एक विदेशी परिवार इतने सालों तक यहां रह सका और किसी को पता भी नहीं चला। इससे देश की सुरक्षा व्यवस्था पर भी सवाल उठ रहे हैं। अब देखना यह है कि पुलिस इस मामले की जांच कैसे आगे बढ़ाती है और क्या नतीजे सामने आते हैं।

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