किसान आंदोलन (Farmers Protest) के 200 दिन पूरे होने पर शंभू बॉर्डर पर एक नया जोश देखने को मिला। इस खास मौके पर ओलंपियन रेसलर विनेश फोगाट (Vinesh Phogat) ने किसानों के साथ कंधे से कंधा मिलाया। आइए जानते हैं इस किसान आंदोलन की पूरी कहानी और विनेश के समर्थन की वजह।
विनेश फोगाट: किसानों की नई उम्मीद
शनिवार को शंभू बॉर्डर पर पहुंची विनेश फोगाट (Vinesh Phogat) का किसानों ने गर्मजोशी से स्वागत किया। उन्हें माला पहनाकर सम्मानित किया गया। विनेश ने किसानों के हक में आवाज उठाते हुए कहा, “किसान लंबे समय से अपने अधिकारों के लिए यहां बैठे हैं, लेकिन उनकी हिम्मत अब भी कम नहीं हुई है। मैं खुद एक किसान परिवार से हूं और मुझे इस बात का गर्व है।”
उन्होंने आगे कहा, “जब हम अपनी मांगों के लिए आवाज उठाते हैं, तो यह हमेशा राजनीतिक नहीं होता। सरकार को हमारी बात सुननी चाहिए। यह सिर्फ जाति या किसी एक मुद्दे की बात नहीं है। मैं प्रार्थना करती हूं कि आपको आपके हक मिलें।” विनेश का यह समर्थन किसान आंदोलन को नई ऊर्जा देने वाला साबित हुआ है। एक प्रसिद्ध खिलाड़ी का इस तरह किसानों के साथ खड़ा होना दिखाता है कि यह मुद्दा सिर्फ किसानों तक ही सीमित नहीं है, बल्कि पूरे देश को प्रभावित कर रहा है।
किसान आंदोलन: 200 दिनों का लंबा सफर
शंभू बॉर्डर पर किसानों का यह आंदोलन (Farmers Protest) पिछले 200 दिनों से चल रहा है। इस दौरान कई उतार-चढ़ाव आए, लेकिन किसानों की मांगें अभी भी पूरी नहीं हुई हैं। किसान नेता सरवन सिंह पंधेर ने बताया, “हमारा आंदोलन शांतिपूर्ण है, लेकिन हम अपनी मांगों पर डटे हुए हैं। केंद्र सरकार हमारे संकल्प की परीक्षा ले रही है।” अभी वर्तमान में करीब 400 किसान शंभू बॉर्डर पर डेरा डाले हुए हैं। हालांकि, फसल की रोपाई के समय कुछ किसान अपने खेतों में लौट गए थे। दुखद बात यह है कि इस आंदोलन के दौरान अबतक कुल 24 से ज्यादा किसानों की जान चली गई है। इन 200 दिनों में किसानों ने कई मुश्किलों का सामना किया है। गर्मी की तपती धूप हो या सर्दी की कड़ाके की ठंड, बारिश का मौसम हो या कोरोना महामारी, किसान अपनी मांगों के लिए डटे रहे। यह उनके संकल्प और एकजुटता का प्रतीक है।
किसानों की प्रमुख मांगें: न्याय की गुहार
किसान मजदूर मोर्चा (केएमएम) और संयुक्त किसान मोर्चा इस किसान आंदोलन (Farmers Protest) का नेतृत्व कर रहे हैं। उनकी मुख्य मांगें हैं:
- 24 फसलों के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) की गारंटी: किसान चाहते हैं कि सरकार उनकी फसलों के लिए एक न्यूनतम कीमत की गारंटी दे, ताकि उन्हें अपनी मेहनत का उचित मूल्य मिल सके।
- बुजुर्ग किसानों और मजदूरों के लिए मासिक पेंशन: वृद्ध किसानों और खेत मजदूरों के लिए एक सम्मानजनक जीवन सुनिश्चित करने के लिए पेंशन की मांग की जा रही है।
- किसानों के कर्ज माफी: कई किसान कर्ज के बोझ तले दबे हुए हैं। वे चाहते हैं कि सरकार उनके कर्ज माफ करे ताकि वे एक नई शुरुआत कर सकें।
इन मांगों के अलावा, किसान नए कृषि कानूनों को भी वापस लेने की मांग कर रहे हैं। उनका मानना है कि ये कानून बड़ी कंपनियों को फायदा पहुंचाएंगे और छोटे किसानों को नुकसान होगा।
सरकार और न्यायपालिका का रुख: उलझा हुआ मामला
इस मामले में सुप्रीम कोर्ट भी शामिल हो गया है। पिछली सुनवाई में कोर्ट ने सरकार को किसानों के साथ बातचीत जारी रखने का निर्देश दिया था। पंजाब और हरियाणा सरकार ने किसानों के साथ हुई मीटिंग की रिपोर्ट भी कोर्ट को सौंपी थी। अगली सुनवाई 2 सितंबर को होनी है। सरकार का कहना है कि वह किसानों की बात सुनने को तैयार है, लेकिन नए कृषि कानूनों को वापस लेना संभव नहीं है। दूसरी ओर, किसान नेताओं का मानना है कि सरकार उनकी मांगों को अधिक गंभीरता से नहीं ले रही है।
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