हाल ही में वियतनाम और कंबोडिया की यात्रा कर के भारत लौटे केरल के एक 75 वर्षीय व्यक्ति को बैक्टीरियल डिजीज म्यूरिन टाइफस से पीड़ित पाया गया। अपने इस ट्रिप के बाद रोगी ने शरीर में दर्द और थकावट जैसी समस्याएं महसूस की थी। म्यूरिन टाइफस (Murine Typhus) एक दुर्लभ रोग है और यह राज्य में इस बीमारी का पहला मामला है। म्यूरिन टाइफस को फ्लीबोर्न या एंडेमिक टायफस भी कहा जाता है। यह एक रिकेट्सियल रोग है, जो रिकेट्सिया टाइफी (Rickettsia typhi) के कारण होता है। रिकेट्सिया एक प्रकार का बैक्टीरिया है। एक अन्य जीव आर. फेलिस (R. felis)’ भी म्यूरिन टाइफस पैदा करने में भूमिका निभा सकता है। आइए जानें म्यूरिन टाइफस (Murine Typhus) के बारे में विस्तार से।
म्यूरिन टाइफस (Murine Typhus) के बारे में जानकारी
सेंटर्स फॉर डिजीज कंट्रोल और प्रिवेंशन (Centers for Disease Control and Prevention) के अनुसार म्यूरिन टाइफस के लक्षण संक्रमित पिस्सू या पिस्सू की गंदगी के संपर्क के 3-14 दिनों के भीतर शुरू होते हैं। जानिए क्या हो सकते हैं म्यूरिन टाइफस के लक्षण?
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म्यूरिन टाइफस के लक्षण
टाइफस दो प्रकार के जीवाणुओं के कारण होता है जिसका नाम है रिकेट्सिया टाइफी और रिकेट्सिया प्रोवाजेकी। म्यूरिन टाइफस के लक्षण इस प्रकार हैं:
- बुखार और ठंड लगना
- शरीर में दर्द और मांसपेशियों में दर्द
- सिरदर्द
- भूख न लगना
- जी मिचलाना
- उलटी आना
- पेट में दर्द
- खांसी
- रैशेज
म्यूरिन टाइफस का उपचार
म्यूरिन टाइफस का उपचार एंटीबायोटिक डॉक्सीसाइक्लिन (Antibiotic doxycycline) से किया जाता है। डॉक्सीसाइक्लिन का उपयोग सभी उम्र के लोगों में किया जा सकता है। इस बीमारी के लक्षण शुरू होने के तुरंत बाद दिए जाने पर एंटीबायोटिक्स सबसे अधिक प्रभावी होते हैं।डॉक्सीसाइक्लिन से जल्दी इलाज कराने वाले लोग आमतौर पर जल्दी ठीक हो जाते हैं।
डॉक्सीसाइक्लिन से उपचार से इस बीमारी की अवधि कम हो जाती है। जब सही एंटीबायोटिक दवाईयों से इलाज नहीं किया जाता है, तो बुखार 2-3 सप्ताह तक रह सकता है और बीमारी गंभीर हो सकती है। दुर्लभ मामलों में म्यूरिन टाइफस घातक हो सकता है।
म्यूरिन टाइफस से बचाव
म्यूरिन टाइफस (Murine Typhus) से बचाव के लिए कोई भी वैक्सीन उपलब्ध नहीं है। इसके होने के रिस्क को पिस्सुओं से बचाव से कम किया जा सकता है। इससे बचाव के कुछ उपाय इस प्रकार हैं:
- अपने पालतू जानवरों को पिस्सुओं से बचाएं। जो जानवर ज्यादा बाहर रहते हैं, उन्हें पिस्सू होने की संभावना अधिक रहती है।
- पालतू जानवरों के लिए पिस्सू नियंत्रण उत्पादों, जैसे पिस्सू कॉलर, दवा या टॉपिकल फली प्रिवेंशन प्रोडक्ट्स के बारे में पशुचिकित्सक से बात करें।
- पर्मेथ्रिन का प्रयोग नहीं किया जाना चाहिए।
- जंगली जानवरों को अपने घर, कार्यस्थल आदि से दूर रखें।
- अपने घर के बाहर खराब सामान, पत्थर के ढेर, कबाड़ आदि को हटा दें।
- अपने घर में उन छिद्रों को सील कर दें, जहां से यह जीव प्रवेश कर सकते हैं।
- जंगली या आवारा जानवरों को न खिलाएं और न ही पालें।
- यदि आप किसी बीमार या मृत जानवरों को मैनेज कर रहे हैं, तो हमेशा दस्ताने पहनें।
- बाहर समय बिताते समय अपनी त्वचा और कपड़ों पर एनवायर्नमेंटल प्रोटेक्शन एजेंसी-रजिस्टर्ड इंसेक्ट रिपेल्लेंट्स का उपयोग करें।
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