जानिए Supreme Court ने क्यों कहा कि ‘स्त्रीधन’ पर लड़की के पिता का भी नहीं है कोई अधिकार? 

Supreme Court

सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने एक महत्वपूर्ण और ऐतिहासिक फैसला सुनाते हुए कहा कि “स्त्रीधन पर सिर्फ महिला का ही अधिकार है। तलाक के बाद महिला के पिता को उसके पूर्व ससुराल वालों से उन उपहारों को वापस मांगने का कोई अधिकार नहीं है।” सुप्रीम कोर्ट ने साफ कहा कि “शादी के समय माता-पिता की तरफ से दिए जाने वाले सोने के आभूषण और अन्य सामान पर सिर्फ महिला का ही अधिकार है। बिना महिला की अनुमति के पिता को कोई अधिकार नहीं है कि वो बेटी के पूर्व ससुराल वालों से स्त्रीधन वापस मांगे।”  

जानिए क्या था मामला 

दरअसल, पी वीरभद्र राव की बेटी की शादी दिसंबर 1999 में हुई थी। शादी के बाद पति और पत्नी दोनों अमेरिका चले गए। अपनी शादी के 16 साल बाद बेटी ने तलाक की अर्जी दी। मिसौरी में लुइस काउंटी सर्किट कोर्ट ने फरवरी 2016 में आपसी सहमति से तलाक की मंजूरी दे दी। संपत्ति और धन संबंधी मामले आपसी समझौते के जरिये दोनों पक्षों द्वारा सुलझाए लिए गए। तलाक के बाद महिला ने मई 2018 में दोबारा शादी कर ली। फिर शादी के तीन साल बाद महिला के पिता पी वीरभद्र राव ने हैदराबाद में बेटी के पूर्व ससुराल वालों के खिलाफ उसका स्त्रीधन वापस करने हेतु एफआईआर दर्ज करवा दी। जिसके बाद महिला के ससुराल वालों ने एफआईआर को रद्द करने के लिए तेलंगाना हाईकोर्ट का रुख किया। लेकिन वहां उन्हें निराशा ही हाथ लगी। महिला के पूर्व ससुराल वालों ने तेलंगाना हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) में अपील दायर की। जस्टिस जेके माहेश्वरी और जस्टिस संजय करोल की पीठ ने ससुराल वालों के खिलाफ मामला खारिज कर दिया। सुप्रीम कोर्ट कहा कि “पिता के पास अपनी बेटी के स्त्रीधन को मांगने का कोई अधिकार नहीं है, क्योंकि वह पूरी तरह से उसका अपना था। 

न सिर्फ पति बल्कि पिता को भी नहीं है स्त्रीधन मांगने का अधिकार 

सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) के जस्टिस संजय करोल ने अपने फैसले में कहा कि “आम तौर पर मंजूर नियम, जिसे न्यायिक रूप से मान्यता प्राप्त है, वो यह है कि ‘महिला का स्त्रीधन पर अपना पूरा अधिकार है। अदालत, महिला के स्त्रीधन की एकमात्र मालिक होने के एकमात्र अधिकार के संबंध में साफ है। पति के पास कोई अधिकार नहीं है। और तब यह आवश्यक रूप से निष्कर्ष निकाला जाना चाहिए कि जब बेटी जीवित है, स्वस्थ है और अपने स्त्रीधन की वसूली जैसे निर्णय लेने में पूरी तरह सक्षम है, तो पिता को भी उसे मांगने का कोई अधिकार नहीं है।

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