भारत में Antibiotic resistance में हो रही है वृद्धि: ICMR

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एंटीबायोटिक्स ऐसी दवाइयां हैं, जो बैक्टीरिया को मारकर या उन्हें प्रजनन से रोककर बैक्टीरियल  इंफेक्शंस का इलाज कर सकती हैं। एंटीबायोटिक्स बीमारी को फैलने से भी बचा सकती हैं और गंभीर डिजीज कॉम्प्लीकेशन्स को कम कर सकती हैं। लेकिन, ऐसा पाया गया है कि कुछ एंटीबायोटिक्स जो बैक्टीरिया इंफेक्शंस के लिए खास उपचार हुआ करते थे, अब उतना अच्छा काम नहीं करती हैं। इंडियन कॉउंसिल ऑफ़ मेडिकल रिसर्च की एक रिपोर्ट के मुताबिक एंटीबायोटिक्स का यूटीआई, टाइफाइड, निमोनिया पर एंटीबायोटिक्स का असर नहीं हो रहा है। आइए पाएं जानकारी एंटीबायोटिक रेजिस्टेंस और आईसीएमआर की रिपोर्ट (Antibiotic resistance and ICMR report) के बारे में विस्तार से। यह भी जानें कि एंटीबायोटिक्स का सही से इस्तेमाल कैसे करें?

एंटीबायोटिक रेजिस्टेंस और आईसीएमआर की रिपोर्ट (Antibiotic resistance and ICMR report)

इंडियन कॉउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (Indian Council of Medical Research) की रिपोर्ट बुखार, डायरिया, निमोनिया और अन्य ब्लडस्ट्रीम इंफेक्शंस जैसी स्थितियों के इलाज के लिए अक्सर इस्तेमाल की जाने वाली एंटीबायोटिक दवाओं पर केंद्रित है। पाएं इसके बारे में जरूरी जानकारी।

एंटीबायोटिक रेजिस्टेंस के बारे में क्या कहती है रिपोर्ट?

इंडियन कॉउंसिल ऑफ़ मेडिकल रिसर्च ने अपनी रिपोर्ट में यह बताया है कि यूटीआई, ब्लड इंफेक्शन जैसी बीमारियों ने आमतौर पर इस्तेमाल होने वाले एंटीबायोटिक दवाओं के प्रति प्रतिरोध विकसित कर लिया है, जिससे उपचार अधिक कठिन हो गया है। यह रिपोर्ट एंटीबायोटिक रेसिस्टेंट में चिंताजनक वृद्धि और सामान्य बैक्टीरिया की घटती संवेदनशीलता पर प्रकाश डालती है। 

रिपोर्ट में ब्लड, यूरिन, रेस्पिरेटरी ट्रेक्ट और अन्य इंफेक्शंस के सैंपल में पाए जाने वाले ई. कोलाई (E. coli), , क्लेबसिएला निमोनिया (Klebsiella pneumoniae), स्यूडोमोनास एरुगिनोसा (Pseudomonas aeruginosa)और स्टैफिलोकोकस ऑरियस (Staphylococcus aureus) जैसे बैक्टीरिया पर एंटीबायोटिक दवाओं का परीक्षण किया गया। इस रिपोर्ट में विशेष रूप से कृषि में एंटीबायोटिक दवाओं के दुरुपयोग के बारे में भी जानकारी दी गयी है, जो एंटीबायोटिक की बढ़ती रेजिस्टेंस में योगदान देती है।  

एंटीबायोटिक रेजिस्टेंस और आईसीएमआर की रिपोर्ट (Antibiotic resistance and ICMR report) में शोधकर्ताओं ने इस बात पर प्रकाश डाला है कि गैस्ट्रोएंटेराइटिस के लिए जिम्मेदार बैक्टीरिया, जैसे कि साल्मोनेला टाइफी, ने फ्लोरोक्विनोलोन के प्रति 95% से अधिक रेजिस्टेंस विकसित किया है, जो आमतौर पर गंभीर इंफेक्शन के लिए इस्तेमाल किए जाने वाले एंटीबायोटिक दवाओं की एक क्लास है।

एंटीबायोटिक्स का सही से इस्तेमाल कैसे करना चाहिए?

जब हम एंटीबायोटिक्स लेते हैं, तो इसे सही से लेना जरूरी है। इसके लिए इन बातों का ध्यान रखें:

  • जब भी एंटीबायोटिक्स लें, तो डॉक्टर की सलाह का पूरी तरह से पालन करना चाहिए। अगर आप अच्छा भी महसूस कर रहे हैं, तब भी अपनी दवाई को पूरा खत्म करें। अगर आप इन्हें बीच में ही लेना बंद कर देंगे, तो कुछ बैक्टेरिया बच सकते हैं और आपको फिर से इंफेक्शन हो सकता है। 
  • एंटीबायोटिक्स को बाद के लिए न बचा कर रखें अपनी एंटीबायोटिक्स को किसी अन्य व्यक्ति के साथ शेयर न करें। किसी अन्य व्यक्ति की सलाह के बाद एंटीबायोटिक्स को न लें। ऐसा करना नुकसानदायक हो सकता है। डॉक्टर की सलाह के बाद भी इन्हें लें।

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