भाजपा (BJP) की केंद्रीय चुनाव समिति हरियाणा विधानसभा चुनाव (Haryana Assembly Elections) में उम्मीदवारों के नामों पर मंथन करने के लिए आज बैठक करने जा रही है। लोकसभा चुनाव में लगे तगड़े झटके के बाद भाजपा अब हरियाणा के अंदर नए सामाजिक समीकरण बैठाने में जुटी है। कहा जा रहा है कि हरियाणा में इस बार एंटी एंबेसी नजर आ रही है, जिसे देखते हुए भाजपा अपने आधे से ज्यादा मौजूदा विधायकों का टिकट काट सकती है। इसकी जगह नए और युवा चेहरों को वरियता दी जाएगी।
कुछ मीडिया रिपोर्ट्स ने भाजपा सूत्रों के हवाले से दावा किया है कि पार्टी ने यह फैसला अपनी अंदरूनी सर्वे के बाद लिया है। पार्टी सर्वे में मौजूदा विधायकों के खिलाफ लोगों में भारी नाराजगी नजर आई। जिसकी वजह से भाजपा इन विधायकों का टिकट काट नए चेहरों को टिकट देने पर विचार कर रही है। केंद्रीय चुनाव समिति की आज शाम होने वाली बैठक में सभी सीटों पर उम्मीदवारों के नाम पर मंथन होगा। जिसके बाद पार्टी उम्मीदवारों की पहली लिस्ट जारी कर सकती है।
भाजपा को सरकार विरोधी लहर का डर
बता दें, भाजपा (BJP) ने हरियाणा में 10 साल पहले 2014 में पूर्ण बहुमत से सरकार बनाई थी। साथ ही लोकसभा चुनाव में भी सभी 10 सीटों पर जीत दर्ज की थी। 2019 में हुए लोकसभा चुनाव में भी भाजपा ने सभी 10 सीटों पर जीत दर्ज की, लेकिन विधानसभा चुनाव में बहुमत हासिल नहीं कर पाई। भाजपा इस 90 सीटों में से सिर्फ 40 सीटें ही जीत सकी और जजपा के साथ मिलकर सरकार बनाई। बीते 10 साल से सत्ता में रहने के कारण इस बार सरकार विरोधी लहर नजर आ रही है। साथ ही किसानों, पहलवानों और बेरोजगारी का मुद्दा भी राज्य के अंदर हावी है। इसलिए भाजपा अब नए सामाजिक समीकरण साधने में जुटी है।
जाट समुदाय को साधने में जुटी भाजपा
भाजपा (BJP) बीते दो चुनावों में गैर जाट ध्रुवीकरण की राजनीति कर सरकार बनाने में सफल रही, लेकिन अब हालात बदल चुके हैं। अब दलित व पिछड़ा समुदाय भी कांग्रेस के पाले में जाता नजर आ रहा है। साथ ही क्षत्रिय समाज भी अपनी विभिन्न मांगों को लेकर भाजपा से नाराज है। इसलिए भाजपा अब गैर जाट समुदाय को अपने पाले में रोकने के साथ जाट समुदाय को भी साधने की कोशिश कर रही। ताकि जाट समुदाय का ध्रुवीकरण कांग्रेस के साथ न हो।
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