Haryana Assembly Elections में बागियों ने बढ़ाई भाजपा की मुश्किलें, कई सीटों पर अपनों ने ही बढ़ाई टेंशन

Haryana Assembly Elections

हरियाणा विधानसभा चुनाव (Haryana Assembly Elections) में बागियों ने भाजपा को टेंशन में डाल दिया है। राज्य के कई सीटों पर अब अपने ही भाजपा के खिलाफ चुनावी मैदान में नजर आ रहे हैं। नामांकन के आखिरी दिन भाजपा ने महेंद्रगढ़ विधानसभा सीट पर रामबिलास शर्मा को नामांकन वापस लेने के लिए तो राजी कर लिया, लेकिन फरीदाबाद, सोनीपत और पानीपत से लेकर हिसार तक भाजपा को कई सीटों पर अभी भी बगावत का सामना करना पड़ रहा है। 

भाजपा को हराने की कोशिश में जुटे नाराज बागी 

हरियाणा विधानसभा चुनाव (Haryana Assembly Elections) में टिकट न मिलने से नाराज बागी अब भाजपा को हराने की कोशिश में जुट गए हैं। इन नेताओं की लिस्ट में देश की सबसे अमीर महिला सावित्री जिंदल भी शामिल हैं। भाजपा से टिकट न मिलने के बाद भी सावित्री जिंदल हिसार सीट से निर्दलीय चुनावी मैदान में उतरी हैं। इसके अलावा सोनीपत सीट से पूर्व मंत्री कविता जैन और अटेली विधानसभा सीट से संतोष यादव बागी होकर चुनाव लड़ रहे। संतोष यादव अभी भी प्रदेश भाजपा के उपाध्यक्ष हैं। इसके अलावा पानीपत सीट पर हिमांशु शर्मा और महम सीट पर शमशेर खरखरा जैसे नाराज नेता भी भाजपा के रास्ते में मुश्किलें पैदा कर रहे हैं।

भाजपा के जीत में बागी सबसे बड़ा रोड़ा 

हरियाणा विधानसभा चुनाव (Haryana Assembly Elections) में भाजपा को विपक्ष से ज्यादा मुश्किल अपने ही बागी नेताओं से हो रही है। भाजपा इन बागी नेताओं को मनाने की पूरी कोशिश कर रही है, लेकिन ये अब पीछे हटने को तैयार नहीं हैं। पृथला सीट से चुनावी मैदान में उतरे दीपक डार को मनाने की काफी कोशिश हुई, लेकिन दीपक पीछे नहीं हटे। यही हाल हथीन और फरीदाबाद सीट पर भी है। हथीन से जहां बागी केहर सिंह रावत चुनावी मैदान में उतर चुकी हैं, वहीं फरीदाबाद सीट से नागेंद्र भड़ाना चुनाव लड़ने पर अड़े हैं। 

बागियों को मनाने की है भाजपा की कोशिश

भाजपा के इन सभी नेताओं ने टिकट की दावेदारी की थी और चुनाव प्रचार भी कर रहे थे, लेकिन टिकट नहीं मिला। जिससे नाराज होकर निर्दलीय ही चुनावी मैदान में उतर गए। हालांकि कई ऐसे नेता भी हैं, जिनके तेवर अब ढीले पड़ चुके हैं। इन नेताओं में पूर्व मंत्री कर्णदेव कंबोज और करनाल की पूर्व मेयर रेनू बाला गुप्ता प्रमुख हैं। इन दोनों ने भाजपा के आलाकमान से बात करने के बाद भाजपा के साथ बने रहने का फैसला किया। भाजपा की कोशिश है की जल्द से जल्द कुछ और बागियों को मना लिया जाए।

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