अक्सर हमें यह खबर सुनने मिलती है कि फलां नेता ने नई पार्टी बनाने की घोषणा की। फलां पार्टी से अलग होकर अपनी नई पार्टी बना ली। और वैसे भी मतदान के वक्त चारों ओर राजनीतिक पार्टियों के पोस्टर बैनर आदि देख कर कभी न कभी आपके मन में सवाल आया ही होगा कि आखिर ये राजनीतिक पार्टियां बनती कैसी हैं? क्या वाकई नई पार्टी बना लेना इतना आसान है? जब देखों तब, जिसका मन करे मुंह उठाकर नई पार्टी बनाने की घोषणा कर देता है। ऐसे में सबसे बड़ा सवाल यह कि क्या कोई भी व्यक्ति या संगठन नई राजनीतिक पार्टी (Political Party) बना सकता है? यदि पार्टी बनना इतना ही आसान है, तो हमें भी इसके प्रोसेस को जानना और समझना चाहिए कि आखिर नई पार्टी बनती कैसे है और इसके लिए किन प्रक्रियाओं का पालन करना जरूरी होता है?
रिप्रज़ेन्टेशन ऑफ दी पीपल्स एक्ट, 1951 के सेक्शन 29A के तहत कोई भी व्यक्ति अपनी पार्टी बना सकता है
आपको बता दें कि लोक प्रतिनधित्वय अधिनियम, 1951 (रिप्रज़ेन्टेशन ऑफ दी पीपल्स एक्ट, 1951) के सेक्शन 29A के तहत कोई भी व्यक्ति अपनी राजनीतिक पार्टी (Political Party) बना सकता है। पार्टी का ऐलान करने के तीस दिन के भीतर आपको ‘रिप्रज़ेन्टेशन ऑफ दी पीपल्स एक्ट’ और ‘संविधान के अनुच्छेद’ ‘324’ के तहत पार्टी को ‘चुनाव आयोग’ में अपना आवेदन सबमिट करना होता है। और इसके साथ ही दो लोकल और दो राष्ट्रीय स्तर के अखबारों में नई पार्टी की जानकारी छपवानी होती है। इतना होने के बाद दो दिन का समय आपत्ति दर्ज करने के लिए दिया जाता है। ध्यान देने योग्य बात यह कि नई पार्टी के नाम के खिलाफ कोई भी आपत्ति दर्ज करा सकता है। अगर आपत्ति दर्ज की जाती है तो इसकी सुनवाई चुनाव आयोग के सामने होती है। और यदि किसी को कोई आपत्ति नहीं है तो चुनाव आयोग से आपको नई पार्टी बनाने की हरी झंडी मिल जाती है।
इस तरह होता है नई पार्टी का रजिस्ट्रेशन (Political Party Registration)
चुनाव आयोग की आधिकारिक वेबसाइट पर दी गई जानकारी के मुताबिक, सबसे पहले नई पार्टी बनाने वाले व्यक्ति को चुनाव आयोग की वेबसाइट पर उपलब्ध एक फॉर्म को डाउनलोड कर भरना होता है और उसे भरकर 30 दिन के भीतर वाया पोस्ट निर्वाचन आयोग को भेजना होता है। इसके लिए निर्वाचन आयोग को बतौर प्रोसेसिंग फीस 10 हजार रुपये भी देने होते हैं। जिसे डिमांड ड्राफ्ट (डीडी) के माध्यम से जमा किया जा सकता है। इसके बाद पार्टी संस्थापक को पार्टी का एक संविधान तैयार करवाना होता है, जिसमें पार्टी के नाम और पार्टी क्यों और किस तरह से काम करेगी इसकी विस्तृत जानकारी देनी होती है। इसी में पार्टी के कई नियमों का उल्लेख होता है, जिसमें अध्यक्ष आदि का चुनाव और अन्य नियम शामिल होते हैं। महत्वपूर्ण बात ये कि इसमें यह स्पष्ट होना चाहिए कि ‘पार्टी भारत के संविधान और समाजवाद, धर्मनिरपेक्षता और लोकतंत्र के सिद्धान्तों के प्रति सच्ची श्रद्धा और निष्ठा रखेगी।’
पार्टी बनने से पूर्व ही देनी होती है अध्यक्ष की जानकारी
एक बात और, पार्टी बनने से पूर्व ही आपको अध्यक्ष, जनरल सेक्रेटरी यानी महासचिव, पदाधिकारी, कार्यकारी समिति और कार्यकारी परिषद आदि की जानकारी देनी होती है। साथ ही एक हलफनामा भी देना होता है, जिसमें यह बताया जाता है कि ‘पार्टी का कोई भी सदस्य अन्य किसी दूसरी पार्टी से नहीं जुड़ा है। यही नहीं, संविधान की कॉपी पर उनके साइन, मुहर लगे होना भी अनिवार्य हैं। यदि पार्टी के नाम कोई बैंक अकाउंट है, तो उसकी जानकारी भी आपको देनी होगी। पार्टी में कम से कम 100 सदस्य होने चाहिए। इसके साथ ही ज्ञापन, पार्टी का संविधान और पार्टी के नियम कानून की एक-एक प्रति प्रिंटेड फॉर्म में चुनाव आयोग को सौंपनी होती है। इसके बाद चुनाव आयोग आपकी नई पार्टी का रजिस्ट्रेशन (Political Party Registration) कर लेता है।
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