चुनावों में अक्सर देखा गया है कि टिकट न मिलने पर प्रत्याशी या तो पार्टी से बगावत कर निर्दलीय चुनाव लड़ते हैं या फिर विरोधी खेमे में जाकर खेला खराब कर देते हैं। यह कोई नया चलन नहीं है। हर चुनाव में इस तरह की बानगी देखी जाती है। खैर, महाराष्ट्र का चुनावी दंगल भी इससे अछूता नहीं है। यहां भी टिकट न मिलने पर बागी महायुति और विपक्षी महा विकास आघाडी (एमवीए) के लिए सिरदर्द बन गए हैं। गौरतलब हो कि राज्य की 288 सदस्यीय विधानसभा के लिए 20 नवंबर को चुनाव होना है। नामांकन दाखिल करने की आखिरी तारीख 29 अक्टूबर थी और उम्मीदवारों के नामांकन पत्रों की जांच 30 अक्टूबर को की जाएगी।
150 बागी महायुति और एमवीए के लिए बन सकते हैं सिर दर्द
जैसा कि नामांकन वापस लेने की अंतिम तिथि 4 नवंबर है, इसलिए सभी दलों के पास मतभेदों को सुलझा कर बागियों को मनाने हेतु तकरीबन सप्ताह भर का समय है। इसके बाद ही मैदान में बचे बागियों की संख्या स्पष्ट हो पायेगी। कहने की जरूरत नहीं, जिन्हें टिकट नहीं मिला वो महायुति और विपक्षी महाविकास अघाड़ी के लिए सिरदर्द बनेंगे ही। खबर के मुताबिक 150 करीबी बागी महायुति और एमवीए के सिर दर्द बन सकते हैं। बता दें कि महायुति में भारतीय जनता पार्टी, मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे के नेतृत्व वाली शिवसेना और उपमुख्यमंत्री अजित पवार की राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी शामिल हैं तो वहीं विपक्षी एमवीए में कांग्रेस, शिवसेना (यूबीटी) और शरद पवार की एनसीपी शामिल हैं।
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भाजपा ही सबसे ज्यादा परेशान है बागियों से
यदि बात की जाए सभी दलों की, तो 288 सदस्यीय विधानसभा में सबसे ज्यादा बीजेपी ने 148 सीटों पर अपने प्रत्याशी उतारे हैं। यह तो ठीक, लेकिन हैरत की बात यह कि सबसे ज्यादा भाजपा ही बागियों से परेशान है। भाजपा को मुंबई के साथ-साथ राज्य के अन्य हिस्सों में बागियों से निपटने की चिंता सता रही है। यही नहीं, महायुति और एमवीए के प्रमुख नेताओं ने स्वीकार किया कि बागी उनके लिए सबसे बड़ी चिंता का सबब हैं। इन पार्टियों को हर हाल में इससे निपटना ही होगा।
गोपाल शेट्टी हैं भाजपा के सबसे बड़ी बागी
बात करें महायुति के बागियों की तो इनमें सबसे बड़ा नाम आता है, गोपाल शेट्टी का। वह दो बार विधायक और मुंबई से लोकसभा सदस्य रह चुके हैं। उन्होंने मुंबई की बोरीवली विधानसभा सीट से बीजेपी के आधिकारिक उम्मीदवार संजय उपाध्याय के खिलाफ निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में पर्चा भरा है। गौरतलब हो कि साल 2024 में हुए लोकसभा चुनाव का टिकट उन्हें न देकर केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल दिया गया। हालांकि कई लोगों को उम्मीद थी कि शेट्टी को विधानसभा चुनाव में बोरीवली से मैदान में उतारा जाएगा, लेकिन भाजपा ने उनके बजाय संजय उपाध्याय को टिकट दे दिया। कमाल देखिये मुंबई भाजपा इकाई के प्रमुख आशीष शेलार और विधायक योगेश सागर द्वारा मनाने के बावजूद शेट्टी ने अपना नामांकन दाखिल कर दिया।
मुंबादेवी सीट से शाइना एनसी ने ठोकी है ताल
इसी तरह दूसरा नाम आता है अतुल शाह का, जिन्होंने मुंबई की मुंबादेवी सीट से अपना नामांकन दाखिल किया है। इस सीट पर शाइना एनसी सहयोगी शिवसेना की आधिकारिक उम्मीदवार हैं। यही नहीं, चंद्रपुर जिले में भाजपा ने राजुरा निर्वाचन क्षेत्र से देवराव भोंगले पर दांव लगाया है। पार्टी के इस फैसले से खफा होकर दो पूर्व विधायकों, संजय धोटे और सुदर्शन निमकर निर्दलीय ही मैदान में कूद पड़े हैं। तो वहीं नागपुर पूर्वी विधानसभा सीट पर भाजपा के मौजूदा विधायक कृष्णा खोपड़े को एनसीपी की बागी आभा पांडे से कड़ी चुनौती मिल रही है।
कार्यकर्ताओं के लिए जमीन स्तर पर हो रही हैं खासा मुश्किलें
करीब सूत्रों का दबी जुबान में कहना है कि “सत्तारूढ़ गठबंधन में एनसीपी के प्रवेश ने भाजपा और शिवसेना के लिए चुनौतियां खड़ी कर दी हैं। भाजपा और शिवसेना द्वारा पारंपरिक प्रतिद्वंद्वी राकांपा के साथ जाने से पार्टी कार्यकर्ताओं के लिए जमीन स्तर पर खासा मुश्किलें हो रही हैं।” यही नहीं कई ऐसे मामले भी हैं, जहां सहयोगी दलों ने एक-दूसरे के खिलाफ उम्मीदवार खड़े कर रखे हैं। ऐसे में यह कहने की जरूरत नहीं कि यदि बागी चुनाव मैदान में डटे रहते हैं, तो वे पार्टी के आधिकारिक उम्मीदवारों के लिए खाई खोदने का काम करेंगे। इतना ही नहीं वे महायुति और एमवीए के चुनावी गणित को बिगाड़ने का काम भी करेंगे।
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