उत्तर प्रदेश की धरती पर गायों की सुरक्षा का मुद्दा आज फिर सुर्खियों में है। उन्नाव जिले में हुई एक घटना ने पूरे राज्य का ध्यान अपनी ओर खींच लिया है। गोहत्या पर कार्रवाई (Action on cow slaughter) करते हुए पुलिस ने एक आरोपी को गोली मार दी है। यह खबर आग की तरह पूरे प्रदेश में फैल गई है।
गाय की सुरक्षा: सरकार की पहल
उत्तर प्रदेश सरकार पिछले कुछ समय से गायों की सुरक्षा को लेकर बहुत सजग हो गई है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने इस मामले में कोई ढील न बरतने के सख्त निर्देश दिए हैं। उनका कहना है कि गाय हमारी संस्कृति का अभिन्न हिस्सा है और इसकी रक्षा करना हर नागरिक का कर्तव्य है। इसी के चलते पूरे प्रदेश में गोहत्या पर कार्रवाई (Action on cow slaughter) तेज हो गई है। उन्नाव की घटना ने एक बार फिर इस मुद्दे को गरमा दिया है। यहां के सदर कोतवाली क्षेत्र में गायों को काटने के सबूत मिले थे। स्थानीय लोगों ने पुलिस को सूचना दी, लेकिन शुरू में कोई कार्रवाई नहीं हुई। जब मामला बढ़ा, तो पुलिस हरकत में आई। उन्होंने जांच शुरू की और गोहत्या की पुष्टि हुई।
पुलिस की कार्रवाई: आरोपी को गोली
जैसे ही गोहत्या की पुष्टि हुई, पुलिस एक्शन मोड में आ गई। देर रात को उन्होंने एक बड़ी कार्रवाई की। गोहत्या में शामिल एक आरोपी, जिसकी पहचान महताब आलम कुरैशी के रूप में हुई है, उसे पुलिस ने गोली मार दी। यह गोली उसके पैर में लगी है। फिलहाल उसे अस्पताल में भर्ती कराया गया है। इस घटना ने एक बार फिर यह साबित कर दिया है कि उत्तर प्रदेश सरकार गोहत्या के मामले में कितनी गंभीर है। पुलिस की यह कार्रवाई सीधे तौर पर मुख्यमंत्री के निर्देशों का नतीजा है। योगी आदित्यनाथ ने साफ कर दिया है कि गोहत्या करने वालों के खिलाफ कड़ी से कड़ी कार्रवाई की जाएगी।
पूरे प्रदेश में सख्ती
उन्नाव की यह घटना अकेली नहीं है। पूरे उत्तर प्रदेश में उत्तर प्रदेश में गोहत्या विरोधी अभियान (Anti-cow slaughter campaign in Uttar Pradesh) चल रहा है। मिर्जापुर में गोकशी की शिकायत पर बड़ी कार्रवाई हुई है। वहां चौकी इंचार्ज समेत 10 पुलिसकर्मी सस्पेंड कर दिए गए हैं। इससे साफ है कि सरकार न सिर्फ अपराधियों पर, बल्कि लापरवाह अधिकारियों पर भी कार्रवाई कर रही है।
सरकार गौशालाओं के विकास पर भी दे रही है ध्यान
यह अभियान सिर्फ कानूनी कार्रवाई तक सीमित नहीं है। सरकार गौशालाओं के विकास पर भी ध्यान दे रही है। बेसहारा गायों के लिए नए आश्रय बनाए जा रहे हैं। किसानों को प्रोत्साहित किया जा रहा है कि वे अपने खेतों में गायों को रखें। इससे न सिर्फ गायों की रक्षा होगी, बल्कि जैविक खेती को भी बढ़ावा मिलेगा। हालांकि, इस पूरे मामले में कुछ चुनौतियां भी हैं। गोवंश की बढ़ती संख्या और उनके रखरखाव का खर्च बड़ी समस्या है। कई किसान बूढ़ी और दूध न देने वाली गायों को छोड़ देते हैं, जो फिर सड़कों पर घूमती रहती हैं। इस समस्या के समाधान के लिए सरकार को लंबी अवधि की योजना बनानी होगी।
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