यह लेख भारतीय कुश्ती की महान खिलाड़ी विनेश फोगाट (Vinesh Phogat) के जीवन के एक महत्वपूर्ण मोड़ पर केंद्रित है। इसमें पेरिस ओलंपिक के बाद उनकी वापसी, दिल्ली एयरपोर्ट पर उनका भावुक स्वागत, ओलंपिक में उनके संघर्ष और अंततः कुश्ती से संन्यास लेने के फैसले के बारे में विस्तार से बताया गया है।
विनेश फोगाट : एक चैंपियन की कहानी
विनेश फोगाट (Vinesh Phogat) एक ऐसा नाम है जो हर भारतीय के दिल में बसा है। वे सिर्फ एक कुश्ती खिलाड़ी नहीं हैं, बल्कि लाखों लड़कियों के लिए एक मिसाल हैं। आज हम उनके जीवन के एक बहुत ही अहम मोड़ के बारे में बात करेंगे। आइए जानते हैं कि क्या हुआ जब विनेश पेरिस ओलंपिक के बाद भारत लौटीं।
दिल्ली एयरपोर्ट पर ढोल-नगाड़ों के साथ स्वागत
जब विनेश फोगाट (Vinesh Phogat) का विमान दिल्ली के इंदिरा गांधी हवाई अड्डे पर उतरा, तो वहां का नजारा देखने लायक था। एयरपोर्ट पर ढोल-नगाड़े बज रहे थे और लोग उनका इंतजार कर रहे थे। जैसे ही विनेश बाहर आईं, लोगों ने उन्हें फूलों की मालाएं पहनाईं। इतना प्यार देखकर विनेश की आंखों में आंसू आ गए। विनेश के साथी खिलाड़ी बजरंग पुनिया और साक्षी मलिक भी वहां मौजूद थे। उन्होंने विनेश को गले लगाया और उनका हौसला बढ़ाया। यह देखकर लगा जैसे पूरा देश विनेश के साथ खड़ा है।
पेरिस ओलंपिक: एक सपने का टूटना
पेरिस ओलंपिक में विनेश के लिए चीजें उम्मीद के मुताबिक नहीं रहीं। उन्हें अपने वजन वर्ग में हिस्सा लेने से रोक दिया गया क्योंकि उनका वजन तय सीमा से ज्यादा था। यह खबर सुनकर विनेश और उनके फैन्स बहुत दुखी हुए। विनेश ने इस फैसले के खिलाफ अपील की। उन्होंने कोर्ट ऑफ आर्बिट्रेशन फॉर स्पोर्ट में अपना केस रखा। लेकिन 14 अगस्त को उनकी अपील खारिज कर दी गई। इसका मतलब था कि विनेश को सिल्वर मेडल नहीं मिलेगा।
एक चैंपियन का अलविदा
इस निराशाजनक खबर के बाद, विनेश ने एक बड़ा फैसला लिया। उन्होंने सोशल मीडिया पर एक पोस्ट लिखकर कुश्ती से संन्यास लेने की घोषणा कर दी। उन्होंने लिखा, “मैं हार गई। मुझे माफ करना आपका सपना, मेरी हिम्मत सब टूट चुके। अलविदा कुश्ती 2001-2024। आप सबकी हमेशा ऋणी रहूंगी।” यह पढ़कर हर किसी को दुख हुआ। विनेश (Vinesh Phogat) ने वर्षों तक कुश्ती की दुनिया में राज किया था। उन्होंने कई मेडल जीते और देश का नाम रोशन किया। लेकिन अब वे इस खेल से दूर हो रही थीं।
ओलंपिक में विनेश का सफर
विनेश का ओलंपिक सफर आसान नहीं रहा। 2016 के रियो ओलंपिक में उन्हें घुटने में चोट लग गई थी। इस वजह से वे मेडल नहीं जीत पाईं। 2020 के टोक्यो ओलंपिक में भी उन्हें हार का सामना करना पड़ा। और अब 2024 के पेरिस ओलंपिक में भी उनका सपना अधूरा रह गया। लगातार तीन ओलंपिक में ऐसी निराशा किसी भी खिलाड़ी के लिए बहुत मुश्किल होती है। शायद यही वजह है कि विनेश ने कुश्ती छोड़ने का फैसला किया।
विनेश फोगाट (Vinesh Phogat) की विरासत
हालांकि विनेश ने कुश्ती छोड़ दी है, लेकिन उनकी कहानी हमेशा याद की जाएगी। उन्होंने दिखाया कि एक लड़की कुछ भी कर सकती है। वे कई युवा खिलाड़ियों के लिए प्रेरणा हैं। विनेश ने अपने करियर में कई मेडल जीते। उन्होंने कॉमनवेल्थ गेम्स और एशियन गेम्स में गोल्ड मेडल जीता। वे पहली भारतीय महिला रेसलर थीं जिन्होंने वर्ल्ड चैंपियनशिप में मेडल जीता।
राजनीति में आ सकती हैं विनेश फोगाट (Vinesh Phogat)
विनेश की कहानी हमें सिखाती है कि जीत और हार जीवन का हिस्सा हैं। जरूरी यह है कि हम हार से सीखें और आगे बढ़ें। विनेश ने हमेशा अपना सर्वश्रेष्ठ देने की कोशिश की और इसी वजह से वे एक सच्ची चैंपियन हैं। अब जबकि विनेश ने कुश्ती छोड़ दी है, तो सवाल यह है कि वे आगे क्या करेंगी। कई लोगों को उम्मीद है कि वे युवा खिलाड़ियों को ट्रेनिंग देंगी। उनका अनुभव और ज्ञान नई पीढ़ी के लिए बहुत मददगार हो सकता है। कुछ लोग सोचते हैं कि विनेश राजनीति में आ सकती हैं। वे अपनी आवाज का इस्तेमाल खिलाड़ियों के हक में कर सकती हैं। जो भी हो, एक बात तय है कि विनेश फोगाट का नाम हमेशा याद किया जाएगा।
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