
संथारा प्रथा: जैन धर्म की मोक्ष यात्रा या नैतिक विवाद?
असल में संथारा (Santhara Pratha Jainism), जैन धर्म की एक ऐसी परम्परा है, जिसमें मृत्यु को भी एक महोत्सव के रूप आत्मसात किया जाता है। इसे जैन धर्म में एक सर्वोच्च व्रत माना जाता है। यह प्रथा असल में स्वेच्छा से देह त्यागने की परंपरा है। जैन धर्म (Jain Dharma) में इसे जीवन की अंतिम साधना माना जाता है, जो एक धार्मिक संकल्प भी है। इस प्रथा में भगवान महावीर के उपदेशानुसार जन्म की तरह ही मृत्यु को भी उत्सव का रूप दिया जाता है।। क्या है संथारा? जब किसी व्यक्ति को यह आभास होता है कि उसकी जीवन यात्रा अब समाप्ति की ओर है, तो वह अपने अंत समय में सभी सांसारिक इच्छाओं को नियंत्रित करते हुए अन्न और जल का त्याग कर देता है। संथारा (Santhara) अपनाने वाला व्यक्ति पहले धीरे-धीरे भोजन कम करता है और फिर एक समय के बाद जल ग्रहण करना भी बंद कर देता है। इसकी शुरुआत सूर्योदय के बाद पहले 48 मिनट तक उपवास से होती है, जिसमें पानी भी नहीं लिया जाता। इस प्रारंभिक व्रत को नौकार्थी कहा जाता है। संथारा लेने से पूर्व व्यक्ति को अपने परिवार के सदस्यों और गुरु से अनुमति लेना अनिवार्य होता है — बिना उनकी स्वीकृति के यह व्रत नहीं लिया जा सकता। संथारा के लिए अनुमति क्यों जरूरी है: जब कोई व्यक्ति संथारा (Santhara Pratha Jainism) लेने की इच्छा जताता है, तो सबसे पहले उसे अपने परिवार और समाज से इसकी स्वीकृति प्राप्त करनी होती है। इसके पश्चात वह किसी आचार्य या धर्मगुरु से औपचारिक अनुमति मांगता है। इस संपूर्ण प्रक्रिया में व्यक्ति की शारीरिक और मानसिक स्थिति का गहन आकलन किया जाता है।उदाहरण के लिए, यदि कोई 20 वर्षीय युवा गंभीर शारीरिक या मानसिक कष्ट में है, तो उसे संथारा की अनुमति मिल सकती है। लेकिन दूसरी ओर, यदि कोई 90 वर्षीय वृद्ध व्यक्ति शारीरिक और मानसिक रूप से पूरी तरह स्वस्थ है, तो उसे संथारा की अनुमति नहीं दी जाती। इसे भी पढ़ें:- शिवधाम की ओर आध्यात्मिक सफर फिर से शुरू, जानिए तारीखें और पंजीकरण प्रक्रिया संथारा कब लिया जा सकता है: जैन धर्म (Jain Dharma) के अनुसार संथारा की अनुमति केवल गृहस्थ व्यक्तियों, मुनियों या साधुओं को होती है। यह व्रत तब लिया जा सकता है जब कोई व्यक्ति ऐसी गंभीर बीमारी से जूझ रहा हो जिसका इलाज संभव न हो, या जब उसका शरीर पूरी तरह से जवाब दे चुका हो। संथारा की प्रक्रिया शुरू करने के बाद भी व्यक्ति डॉक्टरी सलाह ले सकता है; ऐसा करने से इस व्रत में कोई बाधा नहीं मानी जाती। नोट: यहां दी गई जानकारी धर्म से जुड़े ग्रंथों के अनुसार साझा की गई है। अगर आप कोई विशेष पूजा करवाना चाहते हैं, तो अपने धर्म गुरुओं के बताये अनुसार करें। Latest News in Hindi Today Hindi News Santhara Pratha Jainism #SantharaRitual #JainMoksha #FastingToDeath #JainPhilosophy #SantharaDebate #ReligiousRituals #SpiritualPath #MokshaJourney #SantharaControversy #JainTradition