India truck drivers health: भारत में 55% ट्रक ड्राइवरों की आंखें खराब, अधिकतर बीपी-डायबिटीज के शिकार

India truck drivers health

सड़क पर चलते समय अक्सर आपने भारी भरकम ट्रकों को तेज रफ़्तार में भागते देखा ही होगा। दिन-रात एक कर देने वाले ट्रक ड्राइवरों का खाने का कोई समय होता है और न ही सोने का। ऐसे में उनकी सेहत (India truck drivers health) खराब होना लाजमी ही है। खैर, इन्हीं ट्रक चालकों की सेहत को लेकर आई एक रिपोर्ट ने चौंकाने वाला खुलासा किया है। हैरान कर देने वाली इस रिपोर्ट के मुताबिक भारत (India) में तकरीबन 55.1 प्रतिशत ट्रक ड्राइवरों की आंखें कमजोर है। उन्हें दूर की दृष्टि में सुधार की आवश्यकता है। रिपोर्ट के मुताबिक़ 53.3 प्रतिशत को दूर की दृष्टि में सुधार की जरूरत है और 46.7 प्रतिशत को निकट दृष्टिदोष के उपचार की जरूरत है। दरअसल, भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी) दिल्ली द्वारा तैयार की गई रिपोर्ट में कई बातों का खुलासा हुआ है। रिपोर्ट के मुताबिक़ 57.4 प्रतिशत ड्राइवरों में ब्लड प्रेशर का स्तर बढ़ा हुआ है। 

प्रोजेक्ट अभय के तहत तकरीबन 50,713 ट्रक ड्राइवरों की की गई (India truck drivers health) जांच 

बता दें कि इस बात की जानकारी 28 जनवरी (मंगलवार) को जारी एक रिपोर्ट में दी गई। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, ट्रक ड्राइवरों की समस्याओं की पहचान करने और छह राज्यों – उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र, कर्नाटक, राजस्थान, मध्य प्रदेश और तमिलनाडु में सुधारात्मक कदम उठाने हेतु की गई एक पायलट परियोजना में पाया गया कि उनमें से आधे से अधिक की दृष्टि कमज़ोर (India truck drivers health) है। बता दें कि 44% से ज़्यादा का बॉडी मास इंडेक्स (बीएमआई) सीमा रेखा या उससे ऊपर था और लगभग 57% का रक्तचाप बढ़ा हुआ था। मिली जानकारी के मुताबिक प्रोजेक्ट अभय के तहत तकरीबन 50,713 ट्रक ड्राइवरों की जांच की गई। इस प्रोजेक्ट को आईआईटी-दिल्ली के सेंटर फॉर रूरल डेवलपमेंट एंड टेक्नोलॉजी (सीआरडीटी) ने फोरसाइट फाउंडेशन के सहयोग से डिज़ाइन और विकसित किया था। सड़क परिवहन मंत्री नितिन गडकरी ने मंगलवार को ड्राइवरों के सामने आने वाली समस्या के समाधान के लिए निष्कर्षों और उठाए गए कदमों पर रिपोर्ट जारी की। 

 55.1% ट्रक ड्राइवरों की दृष्टि (India truck drivers health) कमज़ोर पाई गई

रिपोर्ट के मुताबिक, स्क्रीनिंग के दौरान लगभग 55.1% ट्रक ड्राइवरों की दृष्टि (India truck drivers health) कमज़ोर पाई गई। जिनमें से 53.3% को दूर की दृष्टि सुधार की आवश्यकता थी और 46.7% को निकट-दृष्टि सुधार की आवश्यकता थी। इस परियोजना के तहत, ड्राइवरों को मौके पर ही चश्मा दिया गया। जिससे यह सुनिश्चित हुआ कि अपवर्तक त्रुटियों वाले 93.7% लोगों को तुरंत सुधार मिले। खबर के मुताबिक इसमें कहा गया कि “ड्राइवरों के बीच बेहतर दृष्टि ने सड़क दुर्घटनाओं की संभावना को सीधे कम कर दिया, जिससे सुरक्षित राजमार्गों और अधिक कुशल रसद संचालन में योगदान मिला।” बता दें कि स्वास्थ्य जांच के दौरान यह पाया गया कि 44.3% ड्राइवरों का बीएमआई सीमा रेखा या उससे ऊपर था, 57.4% का ब्लड प्रेशर बढ़ा हुआ था। यही नहीं, 18.4% में सीमा रेखा या उच्च रक्त शर्करा का स्तर दिखा। रिपोर्ट में किये गए उल्लेख के मुताबिक ड्राइवरों को आहार परिवर्तन और तनाव प्रबंधन सहित जीवनशैली में बदलाव पर परामर्श प्रदान किया गया। यही नहीं, उन्हें आगे की चिकित्सा जांच के लिए तत्काल मामलों को संदर्भित किया गया।

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लगभग 33.9% ड्राइवर तनाव (India truck drivers health) से पीड़ित

इस दरम्यान अचंभित करने वाली बात यह कि लगभग 33.9% ड्राइवरों ने मध्यम तनाव (India truck drivers health) की सूचना दी, जबकि 2.9% में उच्च तनाव का स्तर पाया गया। जानकारी के लिए बता दें कि प्रोजेक्ट अभय के तहत समर्पित मानसिक स्वास्थ्य परामर्श डेस्क ने मार्गदर्शन प्रदान किया और ड्राइवरों को टेली-मानस जैसे संसाधनों से परिचित कराया। यह 24×7 टेली-मानसिक स्वास्थ्य सेवा के माध्यम से मानसिक स्वास्थ्य देखभाल तक पहुंच प्रदान करता है। रिपोर्ट जारी करने के दौरान गडकरी ने कहा कि “सरकार ट्रक ड्राइवरों के कल्याण को बढ़ाकर, टिकाऊ ईंधन को बढ़ावा देकर और उन्नत सुरक्षा तकनीकों को एकीकृत करके भारत के लॉजिस्टिक्स क्षेत्र को बदलने के लिए प्रतिबद्ध है।” उन्होंने आगे कहा कि “सरकार लॉजिस्टिक्स लागत में कटौती करने और पर्यावरणीय प्रभाव को कम करने के लिए भारत के 80% ट्रक बेड़े को सीएनजी या एलएनजी में स्थानांतरित करने की योजना बना रही है।” मंत्री ने यह भी कहा कि भारत में प्रत्येक 100 ट्रकों के लिए केवल 75 ड्राइवर हैं।” बेशक ड्राइवरों की कमी भी एक वजह हो सकती है। 

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