‘आतिशी’ का दिल्ली CM की कुर्सी तक पहुंचने का सफर है फिल्मी, 5 साल में विधायक से सबसे ताकतवर मंत्री, फिर मुख्यमंत्री

CM Atishi

राजधानी दिल्ली में सुषमा स्वराज और शीला दीक्षित के बाद मुख्यमंत्री की कुर्सी तक पहुंचने वाली तीसरी महिला आतिशी (Atishi) इस बार फिर से कालकाजी सीट से चुनावी मैदान में हैं। सीएम आतिशी (CM Atishi) को टक्कर देने के लिए भाजपा ने रमेश बिधूड़ी को मैदान में उतारा है, जबकि कांग्रेस ने अलका लांबा को टिकट दिया है। इन तीनों के बीच जबरदस्त टक्कर देखने को मिल रही है। अरविंद केजरीवाल के बेहद करीबी और विश्वासपात्रों में गिनी जाने वाली आतिशी का सियासी सफर किसी फिल्म से कम नहीं है। 

ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी से कर रखा मास्टर 

पंजाबी राजपूत परिवार से ताल्लुक रखने वाली आतिशी (Atishi) का जन्म 8 जून 1981 को दिल्ली में हुआ। इनके पिता नामविजय सिंह दिल्ली यूनिवर्सिटी में प्रोफेसर थे। आतिशी की शुरुआती पढ़ाई नई दिल्ली स्प्रिंगडेल स्कूल से की और फिर सेंट स्टीफंस कॉलेज से हिस्ट्री में बैचलर किया। इसके बाद शेवनिंग स्कॉलरशिप पर ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी से मास्टर की डिग्री हासिल की। ​​कुछ साल बाद रोड्स स्कॉलर मिलने पर उन्होंने ऑक्सफोर्ड से ही शैक्षिक अनुसंधान में दूसरी मास्टर डिग्री हासिल की। 

एजुकेशन पूरी होने के बाद आतिशी भारत लौट आई और मध्य प्रदेश के एक छोटे से गांव में किसानों को सात साल तक जैविक खेती के गुर सिखाएं। इसके बाद वो प्रगतिशील शिक्षा प्रणालियों और गैर-लाभकारी संगठनों के साथ मिलकर काम किया। अन्ना आंदोलन शुरू पर आतिशी भी इस आंदोलन से जुड़ गई। यहां पर उनकी मुलाकात अरविंद केजरीवाल (Arvind Kejriwal) और उनके साथियों से हुई। साल 2012 में जब आम आदमी पार्टी (AAP) का गठन हुआ तो वह भी पार्टी में शामिल हो गई। 

AAP की नीतियां बनाने में बड़ी भूमिका

दिल्ली विधानसभा चुनाव 2013 (Delhi Assembly Election 2013) में आम आदमी पार्टी (AAP) पहली बार चुनावी मैदान में उतरी थी। उस समय आतिशी पार्टी के घोषणापत्र मसौदा समिति की प्रमुख सदस्य थीं। आप पार्टी के गठन के बाद उसकी शुरुआती नीतियों को आकार देने उन्होंने अहम भूमिका निभाती रही, साथ ही पार्टी प्रवक्ता के तौर पर जनता के सामने भी पार्टी का पक्ष रखा। आतिशी को केजरीवाल के अलावा मनीष सिसोदिया का भी करीबी माना जाता है। आतिशी ने जुलाई 2015 से 17 अप्रैल 2018 तक शिक्षा मंत्री मनीष सिसोदिया के सलाहकार के तौर पर भी काम किया। आतिशी ने पहला चुनाव 2019 में लड़ा था। इस लोकसभा चुनाव में वो पूर्वी दिल्ली सीट से मैदान में उतरी, लेकिन भाजपा उम्मीदवार गौतम गंभीर ने उन्हें 4.77 लाख वोटों से हार दिया। इस चुनाव में आतिशी तीसरे नंबर पर आईं थीं। 

साल 2020 के विधानसभा चुनावों के बाद केजरीवाल (Arvind Kejriwal) ने आतिशी को गोवा का प्रभारी बनाया था। साथ ही दिल्ली विधानसभा चुनाव 2020 में कालकाजी सीट से टिकट भी दे दिया। इस चुनाव में उन्होंने भाजपा उम्मीदवार धर्मवीर सिंह को 11 हजार 393 वोटों से हरा पहली बार विधायक बनी। 

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आतिशी थी दिल्ली सरकार की सबसे ताकतवर मंत्री 

शराब घोटाला उजागर होने के बाद जब आप पार्टी (AAP) के शीर्ष नेता जेल जाने लगे तो केजरीवाल ने आतिशी को 9 मार्च 2023 को कैबिनेट मंत्री बना दिया। साथ ही आतिशी को दिल्ली के सबसे ज्यादा मंत्रालयों का प्रभार भी सौंप दिया। शिक्षा विभाग, जल विभाग, राजस्व, PWD, योजना और वित्त विभाग जैसे मंत्रालय मिलने से आतिशी काफी ताकतवर हो गई। शराब घोटाले में केजरीवाल जब जेल गए तो आतिशी पार्टी से लेकर सरकार तक के सभी मसले पर मोर्चा संभाले नजर आई।  

केंद्रीय जांच एजेंसियों से भिड़ना हो या फिर दिल्ली पुलिस से, पार्टी का रुख रखना हो या फिर अधिकारियों के कामकाज का निरीक्षण करना हो, हर काम में आतिशी आगे नजर आती थी। केजरीवाल (Arvind Kejriwal) जब तिहाड़ जेल में थे और स्वतंत्रता दिवस पर तिरंगा फहराने के लिए आतिशी के नाम को आगे बढ़ाया था। वहीं जब मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दिया, तब भी उस पत्र में आतिशी के नाम का जिक्र किया था। हालांकि उस समय मुख्यमंत्री के दौड़ में कैलाश गहलोत, गोपाल राय और सौरभ भारद्वाज के नाम को आगे माना जा रहा था, लेकिन केजरीवाल ने आतिशी को मुख्यमंत्री बना सभी को चौका दिया। 

आतिशी (Atishi) अभी दिल्ली की मुख्यमंत्री भले हों, लेकिन आगे की राह आसान नहीं। चुनाव में इन्हें भाजपा और कांग्रेस उम्मीदवारों से कड़ी चुनौती मिल रही है। अगर ये चुनाव जीत भी जाती हैं, तब भी दिल्ली की मुख्यमंत्री बनने की संभावना कम ही है। 

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