कांग्रेस के शीर्ष नेतृत्व ने दिल्ली चुनाव से बनाई दूरी, चुनावी स्पीड पर ऐसे लगा ब्रेक
![Delhi Assembly Election](https://jairashtranews.com/wp-content/uploads/2025/01/Delhi-Assembly-Election.jpg)
दिल्ली विधानसभा चुनाव (Delhi Assembly Election) में जीत हासिल करने के लिए भाजपा और आम आदमी पार्टी (AAP) पूरा जोर लगा रही है। इनके स्टार प्रचारक जहां रैलियां और जनसभाएं कर चुनावी हवा का रूख अपनी तरफ मोड़ने की कोशिश कर रहे हैं, वहीं इन पार्टियों के हजारों कार्यकर्ता डोर टू डोर कैंपनिंग चला पार्टी की घोषणाओं की जानकारी दे रहे हैं। इन सभी के बीच राजधानी की सियासत से अगर कोई गायब है तो वह कांग्रेस (Congress) की टॉप लीडरशिप। कांग्रेस नेता राहुल गांधी (Rahul Gandhi) ने दिल्ली चुनाव में आखिरी रैली 13 जनवरी की सीलमपुर किया था। जिसके बाद से वे चुनाव से गायब है।
कांग्रेस का कहना है कि, राहुल गांधी बीमार हैं, इसलिए चुनाव से दूर हैं। हालांकि यह बात किसी को हजम नहीं हो रहा है। राजनीतिक जानकारों का कहना है कि, चुनावी रैली से कोई नेता तभी दूरी बनाता है, जब उसका गला बैठा हो या फिर उस नेता पर बैठ जाने का दबाव हो। सोनिया गांधी, राहुल गांधी, प्रियंका गांधी (Priyanka Gndhi) और मल्लिकार्जुन खड़गे (Mallika Arjun Khadke) जैसे टॉप लीडरशिप का दिल्ली की सियासत से दूर रहना कहीं न कहीं यह शक जरूर पैदा कर रहा है कि कांग्रेस खुद को पीछे कर आम आदमी पार्टी को आगे बढ़ने का रास्ता दे रही है।
कांग्रेस को है इस बात का डर
अब सवाल यह उठता है कि कांग्रेस (Congress) क्यों मजबूर है? चुनाव से पहले कांग्रेस की दिल्ली इकाई ने पूरी राजधानी में न्याय यात्रा निकाली थी। दिल्ली नेतृत्व लगातार केजरीवाल और उनकी पार्टी पर अटैक कर रही है। राहुल गांधी (Rahul Gandhi) भी अपनी एक रैली में केजरीवाल पर जमकर प्रहार किया था, लेकिन उसके बाद राहुल गांधी अपने स्थानीय नेतृत्व को चुनावी मैदान में अकेला छोड़कर गायब हो गए। राजनीतिक जानकारों का मानना है कि, कांग्रेस को पता चल गया है कि दिल्ली का चुनाव त्रिकोणीय नहीं बन पा रहा। कांग्रेस के पूरे शीर्ष नेतृत्व के मैदान में उतरने के बाद भी शायद ही सम्मान जनक सीटें मिल सकें। ऐसा भी हो सकता है कि कांग्रेस के जोर लगाने से आम आदमी पार्टी के वोट बंट जाएं और भाजपा दिल्ली में सरकार बना ले।
कांग्रेस का शीर्ष नेतृत्व यह दोनों ही स्थिति नहीं चाहता है। साथ ही दिल्ली में आप पार्टी (AAP) के हार से कांग्रेस को इंडिया गठबंधन की नाराजगी भी झेलनी पड़ सकती है। यही कारण है कि राहुल गांधी बीते दिनों दिल्ली का सियासी दंगल छोड़कर बिहार में राजनीति करने पहुंच गए। वहां पर उन्होंने इंडिया गठबंधन को लेकर कई सकारात्मक बयान दिया। माना जा रहा है कि दिल्ली चुनाव से कांग्रेस को बाहर रखने के लिए अरविंद केजरीवाल ने इंडिया गठबंधन के सहयोगियों से मदद मांगी थी। जिसके बाद अखिलेश यादव, ममता बनर्जी समेत गंठबंधन के कई सहयोगियों ने आप पार्टी को अपना समर्थन दिया था। इसके बाद से ही कांग्रेस के शीर्ष नेतृत्व ने दिल्ली सियासत से अपने कदम पीछे खींच लिए थे।
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कांग्रेस उम्मीदवारों को छोड़ दिया गया मैदान में अकेले
दिल्ली चुनाव से सिर्फ राहुल गांधी (Rahul Gandhi) और प्रियंका गांधी ही नहीं गायब हैं, बल्कि एआईसीसी (AICC) के बड़े नेता भी इस चुनाव से दूर हैं। कांग्रेस (Congress) जिस तरह से चुनाव लड़ रही है, उसे देखकर ऐसा लगता है कि कांग्रेस ने अपने उम्मीदवारों को अकेला छोड़ दिया है। लगता है कि कांग्रेस मान कर बैठ गई है कि, जिन उम्मीदवारों को टिकट दिया है, वे अपने दम पर ही चुनाव जीत जाएंगे। अब मतदान को कुछ ही दिन रह गए हैं और कांग्रेस का टॉप नेतृत्व अगर अभी भी चुनाव से गायब है तो कहीं न कहीं गठबंधन और अपनी इज्जत संभालने पर जोर दे रहा है।
साथ ही आम आदमी पार्टी (AAP) से टकराने वाले दिल्ली के उन कांग्रेसी नेताओं को भी साफ संदेश दे दिया गया है कि, अब चाहे डूबो या पार उतरो, उन्हें साथ नहीं मिलेगा। दिल्ली चुनाव से दूरी बनाकर कांग्रेस ने एक बात साफ कर दी है कि, दूरदृष्टि रखने वाले थिंक टैंक की पार्टी में कमी है। इनके नेताओं को यह पता ही नहीं की हमें किस रास्ते चलना।
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