मणिपुर की समृद्ध संस्कृति में पारंपरिक मछली पकड़ने की एक अनोखी विधि है जिसे “डांगी ” के नाम से जाना जाता है। यह विधि न केवल मछली पकड़ने का एक कारगर तरीका है, बल्कि सामुदायिक सहयोग और प्रकृति के साथ सद्भाव का भी प्रतीक है। डांगी का तरीका डांगी में, एक बड़े जाल का उपयोग किया जाता है जिसे “थापा” कहा जाता है। यह जाल बांस की पतली छड़ियों और मजबूत रस्सियों से बना होता है। जाल को नदी या झील में फैलाया जाता है, और फिर ग्रामीण एक साथ मिलकर उसे धीरे-धीरे किनारे की ओर खींचते हैं। इस प्रक्रिया में, मछली जाल में फंस जाती हैं। डांगी की खास बात यह है कि इसमें पूरा समुदाय भाग लेता है। पुरुष, महिलाएं और बच्चे सभी मिलकर काम करते हैं, जिससे मछली पकड़ने का कार्य सामाजिक उत्सव का रूप ले लेता है। डांगी का सांस्कृतिक महत्व डांगी सिर्फ मछली पकड़ने का एक तरीका नहीं है, बल्कि मणिपुरी संस्कृति का एक अभिन्न अंग भी है। यह परंपरा पीढ़ियों से चली आ रही है और सामुदायिक जीवन में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। यह ग्रामीणों को एकजुट करती है, सहयोग की भावना को बढ़ावा देती है और प्रकृति के प्रति सम्मान का भाव जगाती है। डांगी का आयोजन अक्सर त्योहारों और विशेष अवसरों पर किया जाता है। मछली पकड़ने के बाद, पकड़ी गई मछलियों को पूरे समुदाय में बाँट दिया जाता है। यह खुशियों को साझा करने का एक विशिष्ट तरीका भी है। डांगी का भविष्य हालांकि मछलियाँ पकड़ने के अन्य आधुनिक तरीके तेजी से लोकप्रिय हो रहे हैं, फिर भी डांगी का सांस्कृतिक महत्व आज भी बना हुआ है। यह परंपरा मछली पकड़ने का न केवल एक टिकाऊ तरीका है, बल्कि सामुदायिक एकता और प्रकृति के साथ सद्भाव को भी बढ़ावा देती है।
Related Posts
अंगूठे की बनावट से जानें व्यक्ति का स्वभाव
हस्तरेखा विज्ञान में अंगूठे की बनावट से व्यक्ति के स्वभाव और व्यक्तित्व के कई महत्वपूर्ण पहलुओं को समझा जा सकता…
जानिए गणेशजी से जुड़े ये महत्वपूर्ण मंत्र
हिंदू धर्म में गणेशजी का विशेष स्थान है। उन्हें प्रथम पूज्य देवता माना जाता है, अर्थात किसी भी शुभ कार्य…
श्रावण सोमवर व्रत गाइड 2024: पूजा विधि और सावन की प्रमुख तिथियां
हिंदू धर्म में, सावन का पवित्र महीना भगवान शिव को समर्पित गहन आध्यात्मिक प्रथाओं और अनुष्ठानों की अवधि की शुरुआत करता…