जब डॉ मनमोहन सिंह की आलोचना कर बुरे फंसे थे प्रधानमंत्री मोदी, फिर दोबारा नहीं लिया कभी नाम 

दो बार देश के प्रधानमंत्री रहे डॉ मनमोहन सिंह का देर रात दिल्ली के एम्स अस्पताल में 92 वर्ष की आयु में निधन हो गया। भारत में आर्थिक सुधारों के मसीहा कहे जाने वाले पूर्व प्रधानमंत्री के निधन पर देश में शोक की लहर है। अपने कार्यकाल में मनमोहन सिंह ने वो कर दिखाया, जिसकी किसी को उम्मीद ही नहीं थी। बता दें कि साल 2004 के लोकसभा चुनाव में यूपीए के बहुमत हांसिल करने के बाद भाजपा नेताओं के विरोध के चलते सोनिया गांधी ने देश की कमान मनमोहन सिंह के हाथों में सौंपी थी। डॉ. सिंह 10 साल तक प्रधानमंत्री रहे। उनका पहला कार्यकाल बहुत अच्छे से रहा। इस कार्यकाल में देश ने न सिर्फ आर्थिक बल्कि उद्यम सहित अन्य कई मोर्चों पर अहम पायदान पर पहुंचा।

दूसरा कार्यकाल विवादों में घिरा रहा 

हालांकि उनका पहला कार्यकाल तो ठीक-ठाक रहा लेकिन दूसरा कार्यकाल विवादों में घिर गया। इस दौरन कई कथित घोटाले सामने आए। विपक्ष ने उन्हें रिमोट कंट्रोल प्रधानमंत्री तक कह दिया। इतना कुछ होने के बावजूद मनमोहन सिंह कभी भी अपनी व्यक्तिगत छवि की चिंता किए बगैर पार्टी के विचारों के अनूरूप देश की सेवा करते रहे। तीखी अलोचना के बाद भी सिंह प्रेस की स्वंतंत्रता के पक्षधर रहे।

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बाथरूम में रेनकोट पहनकर नहाने की कला तो मनमोहन जी ही जानते हैं- नरेंद्र मोदी 

कथित घोटालों के चलते साल 2014 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस को सत्ता गंवानी पड़ी। कांग्रेस की सत्ता गंवाने के बाद मोदी सरकार की स्थापना हुई और उसके बाद मोदी ने कई कड़े फैसले लिए। इस बीच भाजपा की सरकार ने 2016 में नोटबंदी का फैसला लिया। जिससे देश की आर्थिक स्थिति चरमरा गई। इस फैसले के बाद सरकार की बड़ी किरकिरी हुई। सरकार की छवि को बचाने के लिए नोटबंदी के मुद्दे पर प्रधानमंत्री संसद में बोल रहे थे। इस दौरान उन्होंने मनमोहन सिंह के नेतृत्व वाली सरकार पर तीखा हमला बोला। उन्होंने कहा कि “मनमोहन सिंह करीब 35 साल तक देश की इकॉनमी के केंद्र में रहे। उसी दौरान एक के बाद एक कई बड़े घोटाले हुए, लेकिन उन (मनमोहन) पर एक भी दाग नहीं लगा। बाथरूम में रेनकोट पहनकर नहाने की कला तो मनमोहन जी ही जानते हैं।” 

नोटबंदी को जिस तरह से लागू किया गया है, वह ऐतिहासिक कुप्रबंधन है- मनमोहन सिंह 

कांग्रेस ने इस बयान के खिलाफ कड़ा विरोध जताते हुए भाषण के बीच में ही सदन से वॉकआउट कर दिया। विरोध इतना कि बिना विपक्षी सांसदों के ही प्रधानमंत्री ने अपना संबोधन पूरा किया। बता दें, मनमोहन सिंह ने नवंबर में संसद में नोटबंदी का कड़ा विरोध किया था। उन्होंने कहा था कि “नोटबंदी को जिस तरह से लागू किया गया है, वह ऐतिहासिक कुप्रबंधन है। यह संगठित और कानूनी लूट का उदाहरण है।” ताज्जुब यह कि इस घटना के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कभी भी मनमोहन सिंह की अलोचना नहीं की। 

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