न्यूज़क्लिक को लेकर हाल ही में काफी विवाद खड़ा हुआ है. भारत के 255 जाने-माने हस्तियों ने भारत के राष्ट्रपति और चीफ जस्टिस को पत्र लिखकर न्यूज़क्लिक चैनल के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की मांग की है. उनका यह आरोप है कि न्यूज़क्लिक भ्रामक न्यूज़ फैलाता है और देशहित के खिलाफ काम करता है. जिससे लोगों की सामाजिक प्रतिष्ठा को आघात पहुंचता है।
लेकिन इस विवाद की वास्तविकता क्या है;असली मुद्दा क्या है? क्या न्यूज़क्लिक वाकई फेक न्यूज़ फैलाता है? या फिर यह व्यक्ति की अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर हमला है?
आपको बता दें कि न्यूज़क्लिक एक ऑनलाइन न्यूज़ पोर्टल है. इसकी खबरों को लेकर अक्सर सवाल उठाए जाते हैं. कुछ लोगों का मानना है कि यह सरकार की आलोचनात्मक रिपोर्टिंग करता है, जिसे कुछ लोग फेक न्यूज़ समझ लेते हैं. वहीं, कुछ का कहना है कि न्यूज़क्लिक जानबूझकर गलत सूचनाएं फैलाता है.
इस मामले में अभी तक कोई निर्णय नहीं आया है. न्यूज़क्लिक ने भी इन आरोपों को खारिज किया है.
विवाद के मुद्दे
विदेशी फंडिंग: आरोप है कि न्यूज़क्लिक को कथित तौर पर विदेशी कंपनियों से फंडिंग मिली थी, जो भारतीय नियमों का उल्लंघन हो सकता है। कुछ लोगों का कहना है कि इस फंडिंग का चीन से संबंध है।
पक्षपातपूर्ण रिपोर्टिंग: कई लोगों का आरोप है कि न्यूज़क्लिक अपनी रिपोर्टिंग में निष्पक्ष नहीं रहता और एक खास विचारधारा को आगे बढ़ाता है।
दिल्ली पुलिस ने न्यूज़क्लिक के दफ्तरों पर छापे मारे और उनके संस्थापक को गिरफ्तार कर लिया।
कई नामचीन हस्तियों ने न्यूज़क्लिक के खिलाफ कार्रवाई की मांग करते हुए राष्ट्रपति और मुख्य न्यायाधीश को पत्र लिखा।
यह मामला अभी अदालत में विचाराधीन है। यह देखना बाकी है कि कोर्ट किस तरह का फैसला सुनाएगा।
यह विवाद मीडिया की भूमिका और दायित्व को भी रेखांकित करता है. मीडिया का काम सत्ता की निगरानी करना और सच सामने लाना है. लेकिन साथ ही, जिम्मेदार रिपोर्टिंग भी जरूरी है.
हम और आप आम पाठक के तौर पर क्या कर सकते हैं?
किसी भी खबर को पढ़ने से पहले उसे परखें. देखें कि खबर कहाँ से आ रही है और उसकी विश्वसनीयता क्या है. उसी के आधार पर फैसला करें कि खबर को सच माना जाए या नहीं.
अंत में, न्यूज़क्लिक विवाद एक जटिल मुद्दा है. इसमें सच्चाई और फेक न्यूज़ के बीच की लकीर खींचना नितांत आवश्यक है।