दिल्ली बेबी केयर हॉस्पिटल में भीषण आग: 7 नवजात बच्चों की मौत, मालिक गिरफ्तार।

नई दिल्ली: राजधानी दिल्ली के विवेक विहार इलाके में शनिवार रात एक दिल दहला देने वाली घटना हुई। एक बेबी केयर हॉस्पिटल में आग लगने से 7 नवजात बच्चों की मौत हो गई। यह हादसा रात करीब साढ़े 11 बजे हुआ, जब अस्पताल में अचानक आग भड़क उठी। घटनास्थल पर पहुंची दमकल की 9 गाड़ियों ने आग पर काबू पाने की कोशिश की, लेकिन तब तक आग ने अपना भयानक रूप धारण कर लिया था।

दिल्ली अग्निशमन सेवा (डीएफएस) के प्रमुख, अतुल गर्ग ने बताया कि आग लगने की सूचना मिलते ही दमकल की गाड़ियां मौके पर पहुंच गईं। फायरकर्मियों ने तुरंत बचाव अभियान शुरू किया और 12 नवजात बच्चों को सुरक्षित बाहर निकाला। हालांकि, इलाज के दौरान 7 मासूमों की जिंदगी नहीं बचाई जा सकी, जबकि 5 बच्चों का अभी भी इलाज चल रहा है।

घटना के वक्त अस्पताल में मौजूद लोग चीख-पुकार कर रहे थे। बताया जा रहा है कि बिल्डिंग में बड़ी संख्या में ऑक्सीजन सिलेंडर रखे गए थे, जो आग का कारण बने। पुलिस को मौके पर 5 फटे हुए ऑक्सीजन सिलेंडर और 27 अन्य सिलेंडर मिले। इससे सवाल उठ रहे हैं कि आखिर इतनी बड़ी संख्या में ऑक्सीजन सिलेंडर अस्पताल में क्यों रखे गए थे और क्यों बच्चों की सुरक्षा की अनदेखी की गई।

दिल्ली पुलिस ने बेबी केयर सेंटर के मालिक डॉक्टर नवीन खिची और घटना के वक्त ड्यूटी पर मौजूद डॉक्टर आकाश को गिरफ्तार कर लिया है। नवीन को पश्चिम विहार से पकड़ा गया, जबकि डॉक्टर आकाश आग लगते ही मौके से फरार हो गया था। पुलिस ने मामले में IPC की धारा 304 और 308 के तहत मामला दर्ज किया है।

इस बेबी केयर सेंटर का इतिहास भी संदिग्ध रहा है। 2021 में इसी सेंटर के खिलाफ नर्सिंग होम का रजिस्ट्रेशन नहीं कराने और केस हिस्ट्री में हेराफेरी करने के आरोप में FIR दर्ज की गई थी।

इस हादसे की जांच के लिए मजिस्ट्रेट जांच के आदेश दिए गए हैं, जिसमें घटना के पीछे की वजह का पता लगाया जाएगा, जिम्मेदार व्यक्तियों पर कार्यवाही की जाएगी और भविष्य में ऐसी घटनाओं को रोकने के उपाय सुझाए जाएंगे।

इस दर्दनाक घटना ने न केवल दिल्ली की स्वास्थ्य सेवाओं पर सवाल खड़े किए हैं, बल्कि मासूम बच्चों की सुरक्षा को लेकर भी चिंता बढ़ा दी है। लोग मांग कर रहे हैं कि ऐसी घटनाएं दोबारा न हों, इसके लिए सख्त कदम उठाए जाएं।

दिल्ली के निवासियों के लिए यह एक बहुत ही दुखद और सोचने वाली घटना है। मासूम बच्चों की जान गंवाना एक त्रासदी है, और इस पर कठोर कदम उठाए जाने की जरूरत है ताकि भविष्य में ऐसी घटनाएं न हो सकें।

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