राजकोट टीआरपी गेम जोन हादसा: आग ने ली 28 की जान, जांच में खुले कई राज।

राजकोट: गुजरात के राजकोट स्थित टीआरपी गेम जोन में हुए भीषण आग हादसे में अब तक 28 लोगों की मौत हो चुकी है और 18 से अधिक लोग लापता बताए जा रहे हैं। हादसे की जांच के लिए बनाई गई एसआईटी ने सीसीटीवी फुटेज रिकवर की है, जिसमें यह खुलासा हुआ है कि एक्सटेंशन एरिया में वेल्डिंग के कारण आग लगी थी। सीसीटीवी फुटेज में दिख रहा है कि वेल्डिंग के कारण निकली चिंगारी नीचे पड़े लकड़ी के तख्तों के ढेर पर गिरी, जिससे आग लगी और कुछ ही मिनटों में वह एक बड़ी आग में बदल गई।


फायर फाइटिंग सिस्टम की कमी बनी मौत का कारण

आग लगने के बाद प्रीमाइसिस में मौजूद फायर एक्सटिंग्युशर्स का उपयोग किया गया था, लेकिन आग की तीव्रता के आगे वे बेअसर साबित हुए। अगर गेम जोन में फायर फाइटिंग सिस्टम लगा होता, तो आग को फैलने से रोका जा सकता था। भीषण गर्मी और लकड़ी के बड़े बोर्डों की मौजूदगी के कारण आग तेजी से फैली। ज्वलनशील सामग्री ने आग को और बढ़ा दिया, जिससे आग पर काबू पाना मुश्किल हो गया।


हादसे में कुल 28 की मौत

इस हादसे में अब तक 28 लोगों की मौत हो चुकी है, जिनमें नौ बच्चे और पांच महिलाएं शामिल हैं। मरने वालों के शव इतने ज्यादा जल गए हैं कि उनकी पहचान के लिए डीएनए टेस्ट किए गए हैं। पुलिस के अनुसार, तीन डेडबॉडी के जेंडर की पहचान में दिक्कत हो रही है। राज्य सरकार की तरफ से गठित एसआईटी से 72 घंटे में रिपोर्ट मांगी गई है। पुलिस ने टीआरपी गेम जोन से जुड़े कुल सात लोगों के खिलाफ केस दर्ज किया है, जिनमें से दो को गिरफ्तार किया गया है और आज उन्हें राजकोट में पेश किया जाएगा।


फायर एनओसी की कमी और प्रशासन की लापरवाही

राजकोट के पुलिस आयुक्त ने स्पष्ट किया है कि टीआरपी गेम जोन के पास फायर के लिए कोई एनओसी नहीं थी, जिसका मतलब है कि गेम जोन में फायर सेफ्टी के मानकों का पालन नहीं किया गया था। इस हादसे के लिए केवल संचालक ही नहीं, बल्कि सरकारी अधिकारी भी जिम्मेदार हैं, जिन्होंने फायर सेफ्टी की अनदेखी की।


आगे की कार्रवाई और सवाल

राजकोट अग्निकांड का सीसीटीवी वीडियो सामने आने के बाद अब जांच के नाम पर कार्रवाई जारी रहेगी। हालांकि, सबसे बड़ा सवाल यह है कि क्या असली गुनहगारों को सजा मिलेगी? इस हादसे के लिए जिम्मेदार लोगों के खिलाफ पुलिस ने एफआईआर दर्ज कर ली है। अब देखना होगा कि जांच में और क्या खुलासे होते हैं और क्या पीड़ितों को न्याय मिल पाता है।

इस हादसे ने एक बार फिर फायर सेफ्टी के महत्व और प्रशासन की जिम्मेदारी पर सवाल खड़े किए हैं। उम्मीद की जानी चाहिए कि ऐसे हादसों से सबक लेकर भविष्य में बेहतर सुरक्षा उपाय किए जाएंगे ताकि ऐसी त्रासदियों से बचा जा सके।

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