हेमंत सोरेन तीसरी बार बने झारखंड के मुख्यमंत्री, जेल से आते ही ली शपथ पहले।

एक महत्वपूर्ण राजनीतिक घटनाक्रम में, हेमंत सोरेन ने 7 जुलाई, 2024 को तीसरी बार झारखंड के मुख्यमंत्री के रूप में शपथ ली। यह चंपई सोरेन के इस्तीफे के बाद हुआ, जिन्होंने पूर्व मुख्यमंत्री के लिए 3 जुलाई को पद छोड़ दिया था।

त्यागपत्र और नेतृत्व परिवर्तन

चंपई सोरेन ने मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया, जिससे फरवरी 2024 के बाद से उनका संक्षिप्त कार्यकाल समाप्त हो गया। चंपई ने इस साल की शुरुआत में हेमंत सोरेन की गिरफ्तारी के बाद पदभार संभाला था। झारखंड मुक्ति मोर्चा (जे. एम. एम.) के नेतृत्व वाले गठबंधन के भीतर नेतृत्व परिवर्तन तेजी से हुआ और हेमंत सोरेन ने एक बार फिर सरकार बनाने का दावा किया।

जमानत और कानूनी चुनौतियां

हेमंत सोरेन की सत्ता में वापसी एक हाई-प्रोफाइल भूमि घोटाले के मामले में जमानत पर रिहा होने के बाद हुई। सोरेन को झारखंड उच्च न्यायालय ने लगभग पांच महीने जेल में बिताने के बाद 28 जून को जमानत दी थी। भूमि घोटाले से जुड़े धन शोधन के आरोपों के कारण उन्होंने जनवरी 2024 में मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया था। प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) कथित तौर पर जमानत के आदेश को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती देने की योजना बना रहा है।

राजनीतिक गतिशीलता और गठबंधन समर्थन

भारत गुट के एक प्रमुख सदस्य जे. एम. एम. ने हेमंत सोरेन का समर्थन किया है, जबकि सहयोगी कांग्रेस और राष्ट्रीय जनता दल (आर. जे. डी.) ने उनके नेतृत्व का समर्थन किया है। 2 जुलाई को, जेएमएम के विधायक दल ने सोरेन को अपना नेता चुना, और बाद में उन्होंने राज्यपाल को सरकार बनाने का अपना अनुरोध सौंपा। उन्होंने कहा, “राज्यपाल ने हमें सरकार बनाने के लिए आमंत्रित किया है।” जेएमएम के महासचिव सुप्रियो भट्टाचार्य ने कहा कि शपथ ग्रहण समारोह 7 जुलाई को होगा।

आगामी चुनौतियां और चुनाव की तैयारी

झारखंड को महाराष्ट्र और हरियाणा के साथ-साथ इस साल के अंत में होने वाले राज्य चुनावों के साथ महत्वपूर्ण राजनीतिक चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है। झारखंड में भारत गुट के गठबंधन को फिर से चुनाव सुनिश्चित करने के लिए सत्ता विरोधी भावनाओं को दूर करना होगा। 81 सदस्यीय विधानसभा में गठबंधन के विधायकों की वर्तमान संख्या 45 है, जो लोकसभा चुनावों और अन्य राजनीतिक बदलावों के बाद कम हो गई है।

विपक्ष की आलोचना और भविष्य की संभावनाएं

विपक्षी भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने जेएमएम की आलोचना करते हुए इसे परिवार-उन्मुख पार्टी करार दिया है। पूर्व मुख्यमंत्री और भाजपा नेता बाबूलाल मरांडी ने टिप्पणी की कि हेमंत सोरेन को फिर से नियुक्त करना अन्य आदिवासी नेताओं को दरकिनार करते हुए सोरेन परिवार पर पार्टी की निर्भरता को रेखांकित करता है। इन आलोचनाओं के बावजूद, हेमंत सोरेन का राजनीतिक कौशल और नेतृत्व महत्वपूर्ण होगा क्योंकि राज्य आगामी चुनावों की तैयारी कर रहा है।

मंत्रिमंडल का गठन और रणनीतिक नियुक्तियाँ

हेमंत सोरेन के पदभार ग्रहण करने के बाद, उनके मंत्रिमंडल की संरचना को लेकर अटकलें लगाई जा रही हैं। कोल्हान क्षेत्र के एक प्रमुख नेता चंपई सोरेन को नई सरकार में मंत्री के रूप में समायोजित किए जाने की उम्मीद है। जेएमएम के लिए चुनाव से पहले अपने समर्थन आधार को मजबूत करने के लिए क्षेत्रीय नेताओं का रणनीतिक समावेश महत्वपूर्ण होगा।

हेमंत सोरेन का तीसरा कार्यकाल झारखंड के राजनीतिक परिदृश्य में एक महत्वपूर्ण अध्याय है। इंडिया ब्लॉक और प्रमुख गठबंधन सहयोगियों के समर्थन के साथ, सोरेन का नेतृत्व झारखंड के सामने आने वाली राजनीतिक और आर्थिक चुनौतियों का सामना करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा। आगामी चुनाव जेएमएम के नेतृत्व वाले गठबंधन के लिए एक महत्वपूर्ण परीक्षा होगी, क्योंकि यह सत्ता को बनाए रखने और राज्य की विविध आबादी की आकांक्षाओं को पूरा करने का प्रयास करता है।

झारखंड में राजनीतिक परिदृश्य महत्वपूर्ण बदलाव के लिए तैयार है क्योंकि हेमंत सोरेन ने पद की शपथ ली है। उनका नेतृत्व राज्य को आगामी चुनावी लड़ाई के माध्यम से संचालित करने और उसके नागरिकों के सामने आने वाले महत्वपूर्ण मुद्दों को संबोधित करने में महत्वपूर्ण होगा।

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