ट्रंप पर हुआ जानलेवा हमला, दुनिया भर के Leaders ने की कड़ी निंदा

पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप पर हुए हमले ने दुनिया भर के नेताओं को चौंका दिया है। पेंसिल्वेनिया में एक रैली के दौरान ट्रंप पर हुए इस हमले में एक व्यक्ति की मौत हो गई और दो अन्य गंभीर रूप से घायल हो गए।

विश्व नेताओं की प्रतिक्रिया

विभिन्न देशों के नेताओं ने इस हिंसक घटना की कड़ी निंदा की और अमेरिका के साथ अपनी एकता जताई। उन्होंने लोकतंत्र के मूल्यों और शांतिपूर्ण संवाद के महत्व पर जोर दिया।

ऑस्ट्रेलिया के प्रधानमंत्री एंथनी अल्बनीज ने इस हमले को लोकतांत्रिक मूल्यों पर “क्षमाप्राप्य” हमला करार दिया। उन्होंने कहा, “ऑस्ट्रेलिया और अमेरिका में हमारे लोकतंत्रों का मूल तत्व यह है कि हम अपने विचार व्यक्त कर सकते हैं, अपने मतभेदों पर बहस कर सकते हैं और शांतिपूर्ण तरीके से अपने मतभेदों को सुलझा सकते हैं।”

ऑस्ट्रिया के चांसलर कार्ल नेहमर ने ट्वीट कर कहा, “राजनीतिक हिंसा को हमारे समाज में कोई स्थान नहीं है! मेरी सहानुभूति ट्रंप और अन्य पीड़ितों के साथ है।”

ब्राजील के राष्ट्रपति लुइज इनाशियो लूला दा सिल्वा ने कहा कि यह हमला “अस्वीकार्य” है और इसे “कड़ी निंदा” की जानी चाहिए।

कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो ने ट्वीट कर कहा, “यह कहा नहीं जा सकता कि राजनीतिक हिंसा कभी भी स्वीकार्य है।”

मिस्र के राष्ट्रपति अब्देल फतह अल-सिसी ने कहा कि वह इस हमले की निंदा करते हैं और ट्रंप के जल्द स्वस्थ होने की कामना करते हैं।

अल सल्वाडोर के राष्ट्रपति नायब बुकेले ने ट्वीट कर कहा, “लोकतंत्र में हिंसा के लिए कोई जगह नहीं है।”

फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों ने ट्रंप के जल्द स्वस्थ होने की कामना की और कहा कि “यह हमारे लोकतंत्रों के लिए एक त्रासदी है।”

भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ट्वीट कर कहा, “मेरे मित्र डोनाल्ड ट्रंप पर हुए हमले से गहरी चिंता है। हिंसा को राजनीति में कोई स्थान नहीं है और न ही लोकतंत्रों में।”

इजरायल के राष्ट्रपति इसहाक हर्जोग ने ट्रंप पर हुए हमले की “पूरी तरह से और निर्णायक रूप से निंदा” की।

इटली की प्रधानमंत्री जियोर्जिया मेलोनी ने ट्रंप के जल्द स्वस्थ होने की कामना की और कहा कि वह चाहते हैं कि “अगले कुछ महीनों में अमेरिकी चुनाव शांतिपूर्ण और लोकतांत्रिक तरीके से संपन्न हों।”

जापान के प्रधानमंत्री फुमियो किशिदा ने ट्वीट कर कहा, “हम लोकतंत्र के खिलाफ किसी भी प्रकार की हिंसा का सख्ती से विरोध करते हैं। मैं ट्रंप के जल्द स्वस्थ होने की कामना करता हूं।”

मेक्सिको के राष्ट्रपति आंद्रेस मैनुएल लोपेज ओब्रादोर ने ट्रंप पर हुए हमले की निंदा करते हुए कहा, “हिंसा अनुचित और अमानवीय है।”

दक्षिण कोरिया के राष्ट्रपति यून सुक येओल ने ट्वीट कर कहा कि वह “इस घृणित कार्रवाई” से स्तब्ध हैं और कोरियाई लोग अमेरिकी लोगों के साथ एकजुट हैं।

ताइवान के राष्ट्रपति लाई चिंग-ते ने ट्रंप के जल्द स्वस्थ होने की कामना की और कहा कि “हमारे लोकतंत्रों में किसी भी प्रकार की राजनीतिक हिंसा स्वीकार्य नहीं है।”

फिलीपींस के राष्ट्रपति फर्डिनांड मार्कोस जूनियर ने ट्वीट कर कहा कि वह ट्रंप के ठीक होने पर राहत महसूस कर रहे हैं और कहा कि “लोगों की आवाज हमेशा सर्वोच्च रहनी चाहिए।”

यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोडिमीर जेलेंस्की ने ट्वीट कर कहा कि वह इस घटना से स्तब्ध हैं और कहा कि “ऐसी हिंसा का कोई औचित्य नहीं है और इसका कोई स्थान नहीं है।”

ब्रिटेन के प्रधानमंत्री किर स्टार्मर ने ट्वीट कर कहा कि वह इस “स्तब्धकारी दृश्य” से स्तब्ध हैं और कहा कि “राजनीतिक हिंसा के किसी भी रूप में हमारे समाजों में कोई स्थान नहीं है।”

ट्रंप पर हमले का इतिहास

ट्रंप पर हुए इस हमले ने अमेरिकी राष्ट्रपतियों पर हुए पिछले हमलों को याद दिलाया है। अब तक अमेरिकी इतिहास में कई राष्ट्रपतियों पर हमले हो चुके हैं, जिनमें से कुछ सफल भी रहे हैं।

अब्राहम लिंकन, जेम्स ए. गारफील्ड, विलियम मैकिनले और जॉन एफ. केनेडी जैसे राष्ट्रपतियों पर सफल हमले हुए हैं। वहीं, जेरी फोर्ड, रोनाल्ड रीगन और डोनाल्ड ट्रंप पर भी पहले हमले हो चुके हैं।

इन हमलों ने अमेरिकी राजनीति में गहरी छाप छोड़ी है और लोकतंत्र के लिए चुनौती पेश की है। विशेषज्ञों का मानना है कि इस तरह की हिंसा को रोकने के लिए राजनीतिक और सामाजिक स्तर पर कड़े कदम उठाने की जरूरत है।

ट्रंप पर हुए हमले ने एक बार फिर से अमेरिकी राजनीति में बढ़ते राजनीतिक उग्रवाद और हिंसा के खतरे को उजागर किया है। विश्व नेताओं ने इस हमले की कड़ी निंदा की और लोकतंत्र के मूल्यों और शांतिपूर्ण संवाद के महत्व पर जोर दिया है।

इस घटना से राष्ट्रपति चुनावों के दौरान सुरक्षा और शांति बनाए रखने की चुनौती उभरकर सामने आई है। विशेषज्ञों का मानना है कि राजनीतिक और सामाजिक स्तर पर कड़े कदम उठाने की जरूरत है ताकि इस तरह की हिंसा को रोका जा सके और लोकतंत्र की रक्षा की जा सके।

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