Khatu Shyam Baba ने कहां किया था अपने शीश का दान, चुलकाना, सीसवाल या सिसला धाम?

Khatu Shyam Baba

खाटू श्याम बाबा (Khatu Shyam Baba), जिन्हें “बार्बरीक” के नाम से भी जाना जाता है, महाभारत के युद्ध से जुड़ी एक अद्वितीय धार्मिक आस्था का प्रतीक हैं। वे भगवान श्रीकृष्ण के भक्त और महान योद्धा थे, जिनका योगदान और बलिदान महाभारत में अद्वितीय माना जाता है। खाटू श्याम बाबा के शीश दान की कहानी धार्मिक मान्यताओं और श्रद्धालुओं के दिलों में विशेष स्थान रखती है। यह कथा कई सवालों को जन्म देती है, जिनमें सबसे महत्वपूर्ण है—खाटू श्याम बाबा ने अपने शीश का दान कहां किया था? इस संदर्भ में तीन स्थानों—चुलकाना, सीसवाल, और सिसला धाम—का नाम प्रमुखता से आता है। आइए जानते हैं इन स्थानों और इससे जुड़ी मान्यताओं के बारे में।

खाटू श्याम बाबा: महाभारत के महान योद्धा

खाटू श्याम बाबा (Khatu Shyam Baba) का असली नाम बार्बरीक था। वे भीम के पोते और घटोत्कच के पुत्र थे। बार्बरीक अद्वितीय वीरता और अद्वितीय धनुर्विद्या के लिए जाने जाते थे। उनके पास तीन दिव्य बाण थे, जिनसे वे महाभारत के युद्ध को अकेले ही समाप्त कर सकते थे। जब महाभारत का युद्ध प्रारंभ हुआ, तो उन्होंने भी इसमें शामिल होने की इच्छा व्यक्त की। लेकिन उनकी शर्त यह थी कि वे उसी पक्ष के साथ लड़ेंगे जो युद्ध में कमजोर होगा। यह सुनकर भगवान श्रीकृष्ण ने उनकी वीरता की परीक्षा लेने का निश्चय किया।

श्रीकृष्ण ने बार्बरीक से पूछा कि युद्ध में वे किस पक्ष का समर्थन करेंगे। बार्बरीक ने उत्तर दिया कि वे हमेशा कमजोर पक्ष का समर्थन करेंगे, चाहे वह कोई भी हो। तब श्रीकृष्ण ने उन्हें समझाया कि यदि वे युद्ध में शामिल होते हैं, तो केवल वही बचेंगे, और इस प्रकार युद्ध का उद्देश्य पूरा नहीं होगा। इसके बाद, श्रीकृष्ण ने उनसे शीश दान की मांग की। अपनी श्रद्धा और भक्ति में खाटू श्याम बाबा ने अपने शीश का दान श्रीकृष्ण को दे दिया।

शीश दान की कथा और स्थान

खाटू श्याम बाबा (Khatu Shyam Baba) के शीश दान की यह पौराणिक कथा राजस्थान के खाटू श्याम मंदिर से जुड़ी है, जो देशभर के लाखों श्रद्धालुओं के लिए एक प्रमुख तीर्थ स्थल है। लेकिन सवाल यह है कि खाटू श्याम बाबा ने अपना शीश दान कहां किया था? चुलकाना, सीसवाल और सिसला धाम, तीन स्थान ऐसे हैं जो इस कथा से जुड़े हुए माने जाते हैं।

1. चुलकाना

हरियाणा के पानीपत जिले में स्थित चुलकाना गाँव का खाटू श्याम बाबा (Khatu Shyam Baba) की कथा से गहरा संबंध बताया जाता है। यहाँ के लोगों का मानना है कि खाटू श्याम बाबा ने इसी स्थान पर अपना शीश दान किया था। ऐसी मान्यता है कि इस धाम में आज भी वह पीपल का पेड़ मौजूद है, जिसके सभी पत्तों में बार्बरीक ने एक ही बाण से छेद कर दिए थे, और ये छेद आज भी देखे जा सकते हैं। श्रद्धालु इस पीपल के पेड़ पर अपनी मनोकामनाएँ पूरी करने के लिए मन्नत का धागा बांधते हैं और उसकी परिक्रमा करते हैं। कहा जाता है कि यही वह स्थान है जहाँ बाबा ने अपना शीश दान किया था।

2. सीसवाल

सीसवाल, हरियाणा के हिसार जिले में स्थित एक गाँव है, जिसे भी खाटू श्याम बाबा (Khatu Shyam Baba) के शीश दान की कथा से जोड़ा जाता है। जाता है कि लगभग 5,150 साल पहले, महाभारत काल के दौरान, पांडव अपने अज्ञातवास के समय सीसवाल के जंगलों में रुके थे। मां कुंती, जो शिव भक्त थीं, ने प्रवास के दौरान यहां एक शिवलिंग की स्थापना की थी, और यह मंदिर आज भी विद्यमान है। इस मंदिर में भगवान शिव के साथ-साथ बार्बरीक, जिन्हें खाटू श्याम के नाम से जाना जाता है, की पूजा भी होती है। यहाँ के श्रद्धालु मानते हैं कि इसी स्थान पर भगवान श्रीकृष्ण ने बार्बरीक से शीश दान लिया था। 

3. सिसला धाम

कथाओं के अनुसार, महाभारत के युद्ध के समाप्त होने के बाद, दंडक ऋषि वीर बार्बरीक का शीश लेकर आए, जो वर्तमान में हरियाणा के कैथल जिले के सिसला गांव में स्थित है। इस गांव में बाबा श्याम के नाम से बार्बरीक की पूजा होती है। स्थानीय लोगों का मानना है कि यहीं पर बार्बरीक ने अपना शीश दान किया था। सिसला गांव का यह मंदिर लगभग 5600 साल पुराना माना जाता है। बाबा श्याम की प्राचीन मूर्ति सिसला धाम में दंडक ऋषि के टीले से प्राप्त हुई थी।

धार्मिक महत्व और आस्था

तीनों स्थानों—चुलकाना, सीसवाल, और सिसला धाम—की अपनी-अपनी धार्मिक मान्यताएँ हैं, और हर स्थान के श्रद्धालु अपने स्थल को खाटू श्याम बाबा (Khatu Shyam Baba) के शीश दान का वास्तविक स्थान मानते हैं। यह आस्था का विषय है और धार्मिक मान्यताओं में विविधता होना आम बात है। खाटू श्याम बाबा के प्रति लोगों की श्रद्धा और विश्वास उनकी कथाओं में इतनी गहराई से जुड़ी है कि इससे जुड़े स्थानों को भी विशेष धार्मिक महत्व प्राप्त हो जाता है।

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