पर क्या ये जानते है की रामायण सिर्फ भारत मैं ही प्रचलित नहीं है।
वामपंथी राम मंदिर पर सवाल उठाने से अच्छा, अगर थोड़ा पढ़ लेते तो ये जान पते, की दुनिया भर मैं 300 से आधीक अलग अलग रामकथाएं प्रचलित है। भारत के अलावा 9 और देश हैं जहां किसी ना किसी रुप में रामकथा सुनी और गाई जाती है।
थाईलैंड में रामायण को रामकियन कहा जाता है जो थाईलैंड की राष्ट्रीय पुस्तक भी है। इसके अलावा Myanmar में रामायण को ‘यमयान’ कहा जाता है जो अनौपचारिक रूप से बर्मा का राष्ट्रीय महाकाव्य है।
दुनिया का सबसे बड़ा इस्लामिक देश पर यहाँ भी लोग प्रबु राम से अछूते नहीं है। यह पर चार प्रकार की रामायण प्रचलित है- Kakawin Ramayana, Yogesvara Ramayana,Ramakavaca, Ramayana Swarnadwipa.
Cambodia मे उसे रामकर, और फिलीपींस में रामायण को Maharadia Lawana कहा जाता है। फिलीपींस का Singkil का प्रसिद्ध नृत्य वहाँ के रामायण से प्रेरित है।
जापान में रामायण के दो नाम हे, एक को ‘Hobutsushu’ कहा जाता है, और दूसरे को ‘Sambo-Ekotoba’ कहा जाता है।
यही नहीं, इटली के nationalist जो इंडिया मे आकार इधर के traditions पर ऊँगालिया उठा रहे है, उन्हे भी शायद ये पता न हो की उनके शहर में पुरातात्विक खुदाई में प्राचीन इटालियन घरों की दीवारों पर विभिन्न चित्रों की खोज की गई, जो रामायण के दृश्यों पर आधारित हैं।
अंत मैं ये जानना जरूरी है की , दुनिया भर मैं लिखी गई सभी रामायण, महा ऋषि वाल्मीकि रचीत रामायण से ही प्रेरित हे। क्युकी सभी रामायण मैं न राम बदले, ना स्थान, और नाही कोई उदेश मैं परिवर्तन आया।