2G स्पेक्ट्रम घोटाला भारतीय इतिहास की प्रमुखविवादित घटनाहै, जिस पर आज भी बहुत प्रश्न चिन्ह है। 2010 में सामने आए इस घटना में आरोप था कि दूरसंचार विभाग )ने मोबाइल सेवाओं के लिए स्पेक्ट्रम आवंटन में नियमों को देखते हुए भी अनदेखा किया , जिससे सरकार कोषों को लाखों करोड़ रुपये का नुकसान हुआ। इस मामले के प्रमुख बिंदु आपके समक्ष निम्न है_
स्पेक्ट्रम क्या है?
सबसे प्रथम हमें यह जानना जरूरी है कि स्पेक्ट्रम क्या है। स्पेक्ट्रम रेडियो तरंगों का एक अनदेखाबैंड होता है, जिसका उपयोग मोबाइल फोन, रेडियो, टेलीविजन और इंटरनेट सहित वायरलेस संचार के मध्य के रूप में किया जाता है। इसकी मात्रा सीमित है और इसकी मांग निरंतर बढ़ रही है।
2G स्पेक्ट्रम आवंटन का मामला
2G तकनीक का इस्तेमाल करने वाली मोबाइल सेवाओं के लिए स्पेक्ट्रम आवंटन का कार्य2008 में शुरू हुआ था। उस वक्त भारत के दूरसंचार मंत्री ए. राजा थे। आरोप था कि श्री राजा ने नियमों को नजर अंदाज कर कुछ खास कंपनियों को अनुचित लाभ पहुंचाने के लिए स्पेक्ट्रम आवंटन की प्रक्रिया में गड़बड़ी की।
सरकारी नियमों के अनुसार, स्पेक्ट्रम का आवंटन नीलामी के जरिए किया जाना चाहिए था, ताकि सरकार को अधिकतम राजस्व प्राप्त हो सके। लेकिन, आरोप है कि श्री राजा ने नीलामी की प्रक्रिया को दरकिनार कर दिया और पहले आओ, पहले पाओ के आधार पर लाइसेंस जारी किए गए। साथ ही, स्पेक्ट्रम को काफी कम कीमत पर आवंटित किया गया, जिससे सरकारी खजाने को भारी नुकसान हुआ।
घोटाले का आरोप और नुकसान का अनुमान
भारत के नियंत्रक और महालेखा परीक्षक की एक रिपोर्ट में दावा किया गया कि 2G स्पेक्ट्रम आवंटन में हुए भ्रष्टाचार के कारण सरकारी खजाने को 1.76 लाख करोड़ रुपये का नुकसान हुआ है। इस रिपोर्ट के बाद ही इस मामले को लेकर देश भर में हंगामा खड़ा हो गया। मीडिया और राजनीतिक दलों ने इस मामले को जोरदार तरीके से उठाया।
सीबीआई जांच और आरोपपत्र
कैग की रिपोर्ट के बाद सीबीआई (केंद्रीय जांच ब्यूरो) ने इस मामले की जांच शुरू की। जांच के दौरान कई लोगों को गिरफ्तार किया गया, जिनमें श्री राजा और कुछ अन्य सरकारी अधिकारी, साथ ही कुछ दूरसंचार कंपनियों के प्रतिनिधि भी शामिल थे। सीबीआई ने आरोपपत्र दायर कर आरोप लगाया कि इन लोगों ने मिलकर साजिश रची और 2G स्पेक्ट्रम आवंटन में भ्रष्टाचार किया।
लंबा चला मुकदमा और विवादास्पद फैसला
2G स्पेक्ट्रम घोटाले का मुकदमा कई सालों तक चला। आखिरकार, दिसंबर 2017 में विशेष सीबीआई अदालत ने सभी आरोपियों को बरी कर दिया। अदालत ने यह माना कि अभियोजन पक्ष पर्याप्त सबूत पेश करने में विफल रहा। इस फैसले ने पूरे देश को चौंका दिया और कई सवाल खड़े कर दिए।
निष्कर्ष
2G स्पेक्ट्रम घोटाला एक ऐसा मामला है, जिसने भारतीय राजनीति और अर्थव्यवस्था को झकझोर कर रख दिया। भले ही अदालत ने सभी आरोपियों को बरी कर दिया हो, लेकिन इस मामले ने देश की छवि को धूमिल किया और भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ाई में सवाल खड़े किए।
हमें इस मामले से सीख लेनी चाहिए और भविष्य में इस तरह के घोटालों को रोकने के लिए सख्त नियम एवं कानून बनाए जाने चाहिए।