भारतीय शिक्षा प्रणाली बहुत बड़ी है और लगातार बदल रही है, लेकिन ये बदलाव छात्रों के लिए कई चुनौतियाँ भी लाते हैं. ये चुनौतियाँ पढ़ाई से जुड़ी हो सकती हैं या समाज और आर्थिक स्थिति से जुड़ी. ये चुनौतियाँ हर उम्र के छात्रों को प्रभावित करती हैं-
भारतीय छात्रों के लिए सबसे बड़ी चुनौतियों में से एक है – पढ़ाई में बहुत आगे निकलने का दबाव. हर कोई चाहता है कि बच्चे अच्छे अंक लाए. ऐसा इसलिए होता है क्योंकि हमारे समाज में शिक्षा को तरक्की करने और पैसा कमाने का सबसे अच्छा तरीका माना जाता है. कई बार तो सीमित सीटों वाली अच्छी कॉलेजों में दाखिले के लिए बच्चों में बहुत ज्यादा होड़ लग जाती है. ये दबाव बच्चों को परेशान कर देता है और वो पढ़ाई का असली मजा लेना भूल जाते हैं. पढ़ाई सिर्फ नंबर कमाने का खेल बनकर रह जाती हैं
भारतीय शिक्षा प्रणाली को अक्सर सख्त और लचीला न होने के लिए आलोचना मिलती है. सिलेबस इतने तयशुदा होते हैं कि बच्चों को अपने अनुसार पढ़ाई करने या अपनी पसंद के विषय चुनने की छूट नहीं मिलती. ये तरीका हर बच्चे के सीखने के तरीके के मुताबिक नहीं होता है. हर बच्चा अलग होता है और उसकी सीखने की शैली भी अलग होती है
भारत में, खासकर ऊंची शिक्षा का खर्च बहुत ज्यादा होता है. कई परिवारों के लिए ये खर्च उठाना मुश्किल होता है. इस बोझ की वजह से कई छात्रों को आगे की पढ़ाई छोड़नी पड़ती है या पार्ट-टाइम नौकरी करनी पड़ती है, जिससे उनकी पढ़ाई प्रभावित होती है.
कुछ भारतीय छात्र विदेश में पढ़ाई करने का फैसला करते हैं. उनके लिए भी कुछ अलग चुनौतियाँ होती हैं, जैसे:
संस्कृति और समाज में घुलना-मिलना: नई संस्कृति, भाषा और माहौल के साथ तालमेल बिठाना मुश्किल होता है. इससे छात्र अकेलापन महसूस कर सकते हैं और उन्हें घर की याद आ सकती है.
विदेश में रहने और पढ़ाई करने का खर्च बहुत ज्यादा होता है. इससे छात्रों की आर्थिक स्थिति पर बोझ पड़ सकता है.
विदेशों में पढ़ाने का तरीका, परखने का तरीका और उम्मीदें भारतीय शिक्षा प्रणाली से अलग हो सकती हैं. इससे छात्रों को घुलने-मिलने में दिक्कत आ सकती है.
निष्कर्ष:
अगर पाठ्यक्रम में थोड़ा बदलाव किया जाए और बच्चों को अपनी पसंद के विषय चुनने की छूट दी जाए, तो वो अपनी पढ़ाई को अपनी ताकत और लक्ष्य के मुताबिक बना सकेंगे. इसके अलावा प्रोजेक्ट आधारित पढ़ाई को बढ़ावा दिया जा सकता है.
अगर हम सिर्फ अंकों को नहीं बल्कि सोचने-समझने की शक्ति, समस्या सुलझाने की काबिलियत और खुद कुछ करने के हुनर को भी अहमियत दें, तो पढ़ाई का मज़ा आएगा और बच्चे ज्यादा सीख पाएंगे.