22 जुलाई को मनाया जाने वाला राष्ट्रीय ध्वज दिवस, स्वतंत्रता और एकजुटता के प्रतीक के रूप में भारत के तिरंगे को अपनाने की याद दिलाता है। इस वर्ष, राष्ट्रीय ध्वज दिवस 2024, तिरंगा के शाश्वत आदर्शों को मान्यता देता है।
राष्ट्रीय ध्वज दिवस तिरंगे की याद में मनाया जाता है, जो राष्ट्र और स्वतंत्रता के लिए लड़ने वाले लाखों लोगों के बलिदान का प्रतिनिधित्व करता है। यह सद्भाव, सांस्कृतिक विरासत और विविधता में एकजुटता का प्रतिनिधित्व करता है।
ऐतिहासिक महत्व
भारतीय राष्ट्रीय ध्वज का विकास बीसवीं शताब्दी की शुरुआत में विभिन्न प्रकार के डिजाइनों के साथ शुरू हुआ। पहला झंडा, जिसमें लाल, पीली और हरी धारियाँ थीं, 1906 में स्वतंत्रता सेनानी पिंगली वेंकैया द्वारा डिजाइन किया गया था। 1921 तक, महात्मा गांधी ने प्रगति का प्रतिनिधित्व करने वाले चरखे के साथ एक तिरंगे के डिजाइन की सिफारिश की थी। अंत में, 22 जुलाई, 1947 को, संविधान सभा ने राष्ट्रीय ध्वज के वर्तमान डिजाइन को मंजूरी दी, जिसमें केंद्र में अशोक चक्र के साथ केसरिया, सफेद और हरी धारियाँ हैं, जो भारत की स्वतंत्रता और एकता का प्रतीक है।
नेहरू की श्रद्धांजलि प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू ने ध्वज स्वीकार किए जाने पर अपने बयान में उनकी गहरी भावनाओं पर जोर देते हुए कहा, “यह ध्वज… साम्राज्य का ध्वज, साम्राज्यवाद का ध्वज, किसी पर प्रभुत्व का ध्वज नहीं, बल्कि स्वतंत्रता का ध्वज है।” नेहरू ने इस बात पर जोर दिया कि ध्वज ने स्वतंत्रता सेनानियों के बीच साहस और एकजुटता को प्रोत्साहित किया, जो स्वतंत्रता संग्राम के दौरान आशा और शक्ति के प्रकाश स्तंभ के रूप में कार्य करता था।
तिरंगे का प्रतीकात्मक अर्थ (Symbolic Meaning)
भारत का राष्ट्रीय ध्वज, जिसे तिरंगा या तिरंगे के रूप में जाना जाता है, इसकी स्वतंत्रता, संप्रभुता और एकजुटता का एक शक्तिशाली प्रतीक है। शीर्ष पर गहरा केसर साहस, त्याग और शक्ति का प्रतीक है। बीच में सफेद रंग शांति, सत्य और शुद्धता का प्रतिनिधित्व करता है, जबकि नीचे हरा रंग प्रजनन क्षमता, विकास और समृद्धि का प्रतिनिधित्व करता है। अशोक चक्र, एक 24-बोलने वाला चक्र, कानून के शाश्वत चक्र (धर्म चक्र) और निरंतर उन्नति का प्रतीक है।
उत्सव और महत्व
राष्ट्रीय ध्वज दिवस 2024 को विभिन्न गतिविधियों और कार्यक्रमों के साथ मनाया जाएगा जो ध्वज के प्रतीकवाद और ऐतिहासिक महत्व का सम्मान करते हैं। कार्यशालाओं, वार्ताओं और प्रदर्शनियों से प्रतिभागियों को ध्वज के इतिहास और उसके सिद्धांतों की बेहतर समझ हासिल करने में मदद मिलेगी। यह दिन गौरव और देशभक्ति का संचार करता है, राष्ट्रीय प्रतीकों के प्रति सम्मान को बढ़ावा देता है और स्वतंत्रता और एकता की अवधारणाओं को मजबूत करता है।