Maharaj Movie: क्या ‘महाराज’ फ़िल्म में इतिहास के साथ हो रही है छेड़छाड़?

नेटफ़्लिक्स पर जल्द ही रिलीज़ होने वाली फ़िल्म ‘महाराज (Maharaj)’ का प्रोमो देखकर चिंता होती है कि कहीं यह फ़िल्म भी हमारे हिंदू धर्म और संस्कृति के खिलाफ एक और साजिश तो नहीं? इस फ़िल्म का कथानक 1861 के एक महाराजा लाइबल केस पर आधारित है, जिसमें करसंदास मुलजी नामक व्यक्ति ने वैष्णव संप्रदाय और भगवान श्री कृष्ण के खिलाफ लेख लिखे थे। इस लेखनी में उन्होंने एक धर्मगुरु के चरित्र पर भी अपमानजनक टिप्पणी की थी। धर्मगुरु ने करसंदास पर मानहानि का मुक़दमा दर्ज कराया था और करसंदास यह केस हार गए थे।

करसंदास मुलजी का विवादित इतिहास

करसंदास मुलजी का नाम इतिहास के पन्नों में सनातन धर्म विरोधी लेखों के लिए दर्ज है। वे निरंतर वैष्णव संप्रदाय, भगवान श्री कृष्ण और अन्य हिंदू धार्मिक मान्यताओं के खिलाफ लिखते रहे। उन्होंने धर्मगुरु के चरित्र पर भी टिप्पणियाँ कीं, जिससे उनकी छवि धूमिल हुई। यह मामला कोर्ट तक पहुंचा, जहां वे केस हार गए। हियरिंग के दौरान, कोर्ट में वेद, उपनिषद और भगवान श्री कृष्ण के बारे में अपमानजनक बातें कही गईं। वेदों के मूल सिद्धांतों को संभोग से जोड़कर प्रस्तुत किया गया, जिससे हिंदू धर्म और इसकी मान्यताओं का अपमान हुआ।

अंग्रेज़ी शासन और हिंदू धर्म पर हमले

अंग्रेज़ी शासन के दौरान भारतीय संस्कृति और धर्म पर लगातार हमले होते रहे। अंग्रेज़ी न्याय व्यवस्था ने भगत सिंह, सुखदेव और राजगुरु को आतंकवादी करार दिया, जबकि हम उन्हें महान स्वतंत्रता सेनानी मानते हैं। इसी प्रकार, अंग्रेज़ी शासन और ईसाई मिशनरियों ने हिंदू धर्मगुरुओं और सनातन धर्म पर हमला किया, ताकि अधिक से अधिक धर्मपरिवर्तन करा सके। यह स्पष्ट है कि अंग्रेज़ी शासन धर्मगुरुओं और हिंदू धर्म को नीचा दिखाने की साजिश रच रहा था।

हिन्दू धर्म के खिलाफ अदालत का पक्षपात

कोर्ट में किसी धर्मगुरु विशेष पर टिप्पणी और आदेश देना एक बात है, लेकिन हिंदू धर्म, वेदों और भगवान श्री कृष्ण पर टिप्पणी करने का अधिकार किसी भी न्यायिक संस्था को नहीं था। 150 साल पहले हम पराधीन थे, अंग्रेज़ी शासन और ईसाई न्याय व्यवस्था का दबाव हमारे ऊपर था। ऐसे में हमारे धर्म और संस्कृति की उचित रक्षा नहीं हो पाई। क्या यह उचित है कि आज, 150 साल बाद, इस केस को फिर से उभारकर हमारे धर्म पर एक और हमला किया जाए?

बॉलीवुड का हिंदू विरोधी एजेंडा?

बॉलीवुड में हिंदू धर्म और संस्कृति के खिलाफ गलत धारणा पेश करने की प्रवृत्ति बढ़ती जा रही है। ‘महाराज’ फ़िल्म के जरिए भी यही प्रयास दिखाई दे रहा है। करसंदास मुलजी ने अपने अंतिम समय में ईसाई धर्म स्वीकार कर लिया था। क्या यह फ़िल्म धर्म परिवर्तन की साजिश का हिस्सा नहीं हो सकती?

हमारे हिंदू धर्म और संस्कृति का अपमान किसी भी रूप में बर्दाश्त नहीं किया जाना चाहिए। ‘महाराज’ फ़िल्म का कथानक और इसकी प्रस्तुति एक बार फिर यह साबित करती है कि बॉलीवुड में हिंदू विरोधी मानसिकता पनप रही है। ऐसे में हमें सतर्क रहना होगा और अपने धर्म की रक्षा के लिए एकजुट होना होगा। इतिहास के साथ छेड़छाड़ और हमारे आराध्य देवताओं का अपमान हमें कतई स्वीकार नहीं है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *