एक बालक जिसने 5साल की उम्र में अपनी पहली कविता लिख दी। एक बालक जिसने 6 साल की उम्र

में पूरी श्रीमदभगवत गीता के 700 श्लोक विद चैप्टर और श्लोक नंबर के साथ याद कर लिए।”एक बालक जिसने 7 साल की उम्र में सिर्फ 60 दिन के अंदर श्रीरामचरितमानस की 10 हजार 900 चौपाइयां और छंद याद कर लिए। वही बालक गिरिधर आज पूरी दुनिया में जगदगुरु श्री रामभद्राचार्य जी के नाम से जाने जाते हैं।14 जनवरी 1950 उत्तर प्रदेश में उनका जन्म हुआ था।2 महीने की उम्र में ही वो नेत्रहीन हो गए लेकिन आज वो 22 भाषाओं जानते हैं 230 पुस्तकें और 50 से ज्यादा रिसर्च पेपर बोलकर लिखवा चुके हैं।

एक नेत्रहीन बालक इतना बड़ा विद्वान बन गया कि जब रामजन्मभूमि केस में मुस्लिम पक्ष ने ये सवाल खड़ा किया कि अगर बाबर ने राममंदिर तोड़ा तो तुलसी दास ने जिक्र क्यों नहीं किया ? ये सवाल इतना भारी था कि हिंदू पक्ष के लिए संकट खड़ा हो गया. लेकिन तब श्रीरामभद्राचार्य जिन्होंने इलाहाबाद हाईकोर्ट में गवाही दी और तुलसी दास के दोहाशतक में लिखा वो दोहा जज साहब को सुनाया जिसमें बाबर के सेनापति मीर बाकी द्वारा राम मंदिर को तोड़ने का जिक्र है।चारो ओर जय जय कार हो गई,24 जून 1988 को काशी विद्वत परिषद ने उनको जगदगुरु रामभद्राचार्य की उपाधि दी !श्री रामभद्राचार्य जी तुलसी पीठ के संस्थापक हैं और जगदगुरु रामभद्राचार्य दिव्यांग यूनिवर्सिटी के आजीवन कुलाधिपति हैं ।भारत सरकार द्वारा २०१५ में गुरुजी को भारत के दृतिय सर्वोच्च सम्मान पद्मविभूषण से सम्मनित किया गया

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