दिल्ली के कोपरनिकस रोड स्थित LTG ऑडिटोरियम में 21 अक्टूबर 2010 को ‘आजादी- द ओनली वे’ नामक एक कॉन्फ्रेंस का आयोजन किया गया था, जिसमें लेखिका अरुंधति रॉय और प्रो. शौकत हुसैन ने हिस्सा लिया था। इस कॉन्फ्रेंस में दोनों पर भड़काऊ भाषण देने और कश्मीर को भारत का हिस्सा न मानने का आरोप लगाया गया था। अब 14 साल बाद, दिल्ली के उपराज्यपाल वीके सक्सेना ने दोनों के खिलाफ गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम (UAPA) की धारा 45 (1) के तहत मुकदमा चलाने की मंजूरी दे दी है।
2010 का विवादास्पद कॉन्फ्रेंस
कॉन्फ्रेंस में अरुंधति रॉय और प्रो. शौकत हुसैन के अलावा, अलगाववादी नेता सैयद अली शाह गिलानी, एसएआर गिलानी और वरवरा राव सहित अन्य वक्ता भी शामिल थे। कॉन्फ्रेंस के दौरान अरुंधति रॉय और शौकत हुसैन ने कथित रूप से भड़काऊ भाषण दिए थे, जिसमें उन्होंने कश्मीर को भारत से अलग बताया था। इसके बाद 27 नवंबर 2010 को सामाजिक कार्यकर्ता सुशील पंडित ने अरुंधति रॉय और शौकत हुसैन पर एफआईआर दर्ज कराई थी।
मुकदमा चलाने की प्रक्रिया
दिल्ली पुलिस ने अरुंधति रॉय और शौकत हुसैन के खिलाफ भारतीय दंड संहिता की धाराओं 124A, 153A, 153B, 504, 505 और यूएपीए की धारा 13 के तहत मुकदमा चलाने के लिए उपराज्यपाल से अनुमति मांगी थी। उपराज्यपाल वीके सक्सेना ने पिछले साल अक्टूबर में आईपीसी धाराओं के तहत मुकदमा चलाने की मंजूरी दी थी और अब उन्होंने यूएपीए के तहत भी मंजूरी दे दी है।
यूएपीए की धारा 13
यूएपीए की धारा 13 में किसी भी गैरकानूनी गतिविधि को उकसाने, प्रेरित करने या उसकी वकालत करने के लिए अधिकतम 7 साल की सजा का प्रावधान है। भारतीय दंड संहिता की धारा 124A राजद्रोह, 153A धर्म, नस्ल, जन्म स्थान, निवास, भाषा आदि के आधार पर विभिन्न समुदायों में वैमनस्यता बढ़ाना और सद्भाव बिगाड़ने से संबंधित है, जबकि 153B राष्ट्र की संप्रभुता को नुकसान पहुंचाने से संबंधित है। आईपीसी की धारा 504 किसी को जानबूझकर अपमानित करना या उकसाना और धारा 505 जानबूझकर शांति भंग करने के इरादे से की गई बयानबाजी से जुड़ी हुई है।
कश्मीर में अशांति का दौर
यह कॉन्फ्रेंस कश्मीर में तीव्र अशांति के दौर के बीच हुआ था। तुफैल अहमद महू नाम के 17 वर्षीय लड़के की आंसू गैस के गोले से चोटिल होने के कारण मौत हो गई थी, जिसे लेकर घाटी में उग्र विरोध प्रदर्शन हो रहा था। इस परिप्रेक्ष्य में, कॉन्फ्रेंस के दौरान दिए गए भाषणों को लेकर विवाद बढ़ गया था।
अरुंधति रॉय का बयान
सुशील पंडित की शिकायत पर दिल्ली पुलिस ने मेट्रोपॉलिटन मजिस्ट्रेट कोर्ट (Metropolitan Magistrate Court) के निर्देश पर मामले में एफआईआर दर्ज की थी। अपनी शिकायत में, पंडित ने आरोप लगाया था कि कॉन्फ्रेंस के दौरान अरुंधति रॉय सहित कई अन्य वक्ताओं ने अपने भाषणों से ‘सार्वजनिक शांति और सुरक्षा को खतरे में डाला’ और ‘कश्मीर को भारत से अलग करने’ की अलगाववादी विचारधारा को बढ़ावा दिया। अरुंधति रॉय पर आरोप है कि उन्होंने कॉन्फ्रेंस के दौरान अपने भाषण में कहा था, ‘कश्मीर कभी भी भारत का हिस्सा नहीं था। उस पर भारत के सशस्त्र बलों ने जबरन कब्जा किया हुआ है’। शिकायतकर्ता सुशील पंडित ने उस कॉन्फ्रेंस की रिकॉर्डिंग मेट्रोपॉलिटन कोर्ट के समक्ष पेश की थी। इसी आधार पर कोर्ट ने दिल्ली पुलिस को अरुंधति रॉय और शौकत हुसैन के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने का निर्देश दिया था।
अरुंधति रॉय की प्रतिष्ठा
अरुंधति रॉय एक जानी-मानी लेखिका हैं। उनकी लिखी किताब ‘द गॉड ऑफ स्मॉल थिंग्स’ को 1997 में बुकर प्राइज मिला चुका है। यह उनका पहला उपन्यास था और बुकर प्राइज जीतने वाली वह पहली भारतीय महिला बनी थीं। टाइम मैग्जीन ने 2014 में अरुंधति रॉय को दुनिया के 100 सबसे प्रभावशाली लोगों की सूची में स्थान दिया था। दुनिया के प्रमुख समाचार पत्रों और पत्रिकाओं में सामाजिक और राजनीतिक मुद्दों पर उनके लेख प्रकाशित होते रहते हैं। सितंबर 2023 में उन्हें, 2021 में प्रकाशित उनके निबंध संग्रह ‘आजादी’ के लिए 45वें यूरोपियन डे ल’एसाई लाइफ टाइम अचीवमेंट अवॉर्ड से सम्मानित किया गया था। कश्मीर और भारतीय सेना को लेकर उनके बयानों पर विवाद होता रहा है। वह मेधा पाटकर के साथ गुजरात में नर्मदा नदी पर बने सरदार सरोवर डैम प्रोजेक्ट के खिलाफ अभियान में शामिल रही हैं।
यूएपीए एक्ट(UAPA Act) की पृष्ठभूमि
यूएपीए एक्ट (UAPA Act) 1967 में बना था। कांग्रेस की अगुवाई वाली संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन सरकार ने 2008 और 2012 में इसमें संशोधन कर इसे और सख्त बनाया। मोदी सरकार ने 2019 में यूएपीए में संशोधन कर इसके प्रावधानों को और कड़ा बना दिया। इस काननू की धारा 15 के मुताबिक, ‘भारत की एकता, अखंडता, सुरक्षा, आर्थिक सुरक्षा या संप्रभुता को संकट में डालने या ऐसा करने की संभावना के इरादे से किया गया कार्य, भारत या विदेश में रहते हुए नागरिकों या किसी तबके में आतंक फैलाने या ऐसा करने की संभावना के इरादे से किया गया कार्य आतंकवादी कृत्य है’। इस परिभाषा में बम धमाकों से लेकर जाली नोटों का कारोबार तक शामिल है।
मुकदमा का अगला कदम
दिल्ली के उपराज्यपाल वीके सक्सेना ने अरुंधति रॉय और डॉ. शौकत हुसैन के खिलाफ UAPA (गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम) की धारा 45(1) के तहत मुकदमा चलाने की मंजूरी दे दी है। इससे पहले, अक्टूबर 2023 में, उपराज्यपाल ने CRPC की धारा 196 के तहत दोनों पर आईपीसी की धारा 153 A/ 153 B और 505 के तहत मुकदमा चलाने की मंजूरी दी थी।
अब जबकि दिल्ली एलजी ने UAPA के तहत भी मुकदमा चलाने की मंजूरी दे दी है, यह देखना दिलचस्प होगा कि इस मामले में आगे क्या होता है। अरुंधति रॉय और शौकत हुसैन के खिलाफ चल रहे इस मुकदमे से भारतीय राजनीति और न्याय प्रणाली पर भी महत्वपूर्ण प्रभाव पड़ सकता है।