भारतीय न्याय संहिता की धारा 61 यानी आईपीसी 120 बी को लेकर ईडी में नया आदेश जारी हुआ है। ईडी के वरिष्ठ अधिकारियों ने जांच अधिकारियों को यह सख्त हिदायत दी है कि “मनी लॉन्ड्रिंग के मामले दर्ज करने के लिए आपराधिक साजिश यानी कॉन्सपिरेसी का बेवजह इस्तेमाल ना क़रें। बता दें कि ईडी एक सेकंडरी एजेंसी है जो अपने दम पर कोई भी जांच अपने हाथ में नहीं ले सकती। ईडी अन्य एजेंसियों की एफआईएआर को आधार बनाकर अपनी ईसीआईआर दर्ज करती है। सूत्रो के मुताबिक, ईडी डायरेक्टर राहुल नवीन ने अपने आदेश में कहा कि “पीएमएलए यानी प्रिवेंशन ऑफ मनी लाउंड्रिंग एक्ट अपने आप में काफी विस्तृत है। इसमें करीब 150 क्लॉज़ है। लिहाज़ा बीएनएस 61 की जगह इन्हीं क्लॉज़ का इस्तेमाल करने की हिदायत दी है। दरअसल, हाल के दिनों में आपराधिक साजिश में शामिल करने के कारण अदालतों में प्रिवेंशन ऑफ मनी लाउंड्रिंग एक्ट (पीएमएलए) के मामले टिक ही नहीं पाए।
120B एक अकेला अपराध नहीं है और यह पीएमएलए लागू करने के लिए पर्याप्त नहीं है – ED Action
नवंबर 2023 में पावना डिब्बर फैसले में सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि 120B एक अकेला अपराध नहीं है और यह पीएमएलए लागू करने के लिए पर्याप्त नहीं है। मार्च 2024 में सुप्रीम कोर्ट ने कर्नाटक के डिप्टी सीएम डीके शिवकुमार के खिलाफ ईडी के पीएमएलए मामले को रद्द कर दिया था क्योंकि ईडी का पीएमएलए मामला 2018 के आईटी के निष्कर्ष पर आधारित था। ईडी ने आईपीसी की धारा 120B जोड़कर पीएमएलए का मामला दर्ज किया था। डीके शिवकुमार को सितंबर 2019 में गिरफ्तार किया गया था। हालांकि ईडी ने 2019 में ही आरोप पत्र दायर किया था। डीके शिवकुमार को 2019 के ईडी मामले में राहत मिली थी। सुप्रीम कोर्ट ने सीबीआई भ्रष्टाचार मामले को रद्द करने की उनकी याचिका खारिज कर दी, जो 2019 के ईडी निष्कर्षों से सामने आया है। करीबी सूत्रों के मुताबिक, ईडी ने इस मामले में एक और मनी लॉन्ड्रिंग मामला दर्ज किया है जो सीबीआई से जुड़ा है। 2020 में एफआईआर दर्ज की गई थी।
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राज्य पुलिस के एफआईआर दर्ज करने के बाद ही ईडी मनी लॉन्ड्रिंग का मामला दर्ज कर सकती है
ठीक इसी तरह हाल ही में दिल्ली आबकारी घोटाले में पूर्व मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल, डिप्टी सीएम मनीष सिसोदिया समेत ज्यादातर आरोपियों पर बीएनएस 61 (पूर्व में 120 बी) का इस्तेमाल किया था, लेकिन जमानत के विरोध के समय जांच एजेंसी इसे साबित नहीं कर पाई और आबकारी घोटाले में जेल में बंद लगभग सभी आरोपियो को सुप्रीम कोर्ट से जमानत मिल गई। सूत्रों की मानें तो अगर तलाशी के दौरान उन्हें कोई अतिरिक्त सबूत मिलता है तो ईडी पीएमएलए की धारा 66(2) के तहत राज्य पुलिस के साथ भी जानकारी साझा करती है। राज्य पुलिस के एफआईआर दर्ज करने के बाद ही ईडी मनी लॉन्ड्रिंग का मामला दर्ज कर सकती है। यानी अब ईडी अन्य एजेंसियों के साथ पूरा सामंजस्य कायम कर मामलों की जांच कर रही है।
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