उत्तर प्रदेश के हाथरस में एक धार्मिक सभा के दौरान हुई भगदड़ में 121 लोगों की मौत हो गई। इस घटना के बाद भोला बाबा के वकील ने दावा किया कि भगदड़ इसलिए नहीं हुई क्योंकि लोग बाबा के पैर छूने दौड़ रहे थे, बल्कि यह असामाजिक तत्वों की साजिश थी।
हाथरस घटना के महत्वपूर्ण बिंदु:
- प्रारंभिक रिपोर्ट: सरकारी रिपोर्टों के अनुसार, भगदड़ तब शुरू हुई जब महिलाएं और अन्य भक्त भोला बाबा के “चरण रज” (पैरों की धूल) लेने के लिए दौड़े।
- वकील का दावा: भोला बाबा के वकील ए.पी. सिंह ने इन रिपोर्टों को गलत बताया और कहा कि भगदड़ असामाजिक तत्वों द्वारा फैलाई गई साजिश का परिणाम थी।
- कोई शारीरिक संपर्क नहीं: वकील ने जोर देकर कहा कि भोला बाबा कभी भी भक्तों को अपने पैर छूने की अनुमति नहीं देते और ‘चरण रज’ लेने का दावा झूठा है। इसके लिए कोई वीडियो या तस्वीर भी नहीं है।
- अधिकारियों के साथ सहयोग: वकील ने बताया कि भोला बाबा राज्य सरकार और पुलिस की जांच में पूरा सहयोग करेंगे और साजिश की पूरी तरह से जांच की मांग की।
- पुलिस जांच: प्रारंभिक सरकारी रिपोर्ट के अनुसार, भगदड़ तब हुई जब सुरक्षा गार्डों ने भीड़ को नियंत्रित करने की कोशिश की। पुलिस ने भोला बाबा को किसी भी एफआईआर में आरोपी के रूप में नामित नहीं किया है।
- भोला बाबा की अनुपस्थिति: घटना के दो दिन बाद, मैनपुरी पुलिस ने बताया कि भोला बाबा अपने आश्रम नहीं लौटे थे।
- घटना की जांच: उत्तर प्रदेश की राज्यपाल आनंदीबेन पटेल ने घटना की जांच के लिए इलाहाबाद उच्च न्यायालय के सेवानिवृत्त न्यायाधीश बृजेश कुमार श्रीवास्तव की अध्यक्षता में एक तीन सदस्यीय न्यायिक समिति बनाई है। यह समिति दो महीने में अपनी रिपोर्ट देगी।
- कानूनी आरोप: देवप्रकाश मधुखर, जिन्हें “मुख्य सेवक” कहा जाता है, के खिलाफ भारतीय न्याय संहिता के कई प्रावधानों के तहत पुलिस शिकायत दर्ज की गई है।
- पीड़ितों के लिए समर्थन: वकील ने कहा कि भोला बाबा के स्वयंसेवक और अनुयायी भगदड़ के पीड़ितों को सहायता प्रदान कर रहे हैं।
घटना की गहन जांच की जा रही है ताकि भविष्य में ऐसी घटनाओं को रोका जा सके और जिम्मेदारी तय की जा सके। न्यायिक समिति की रिपोर्ट से सच्चाई का पता चल सकेगा और आवश्यक कदम उठाए जाएंगे।