Uddhav Thackeray BJP alliance: क्या इंडिया गठबंधन छोड़ उद्धव ठाकरे थामेंगे बीजेपी का हाथ?

महाराष्ट्र की सियासत में ऊंट किस तरफ करवट लेगा कुछ कहा नहीं जा सकता। कल तक उद्धव ठाकरे बीजेपी को कोस रहे थे, आज वही तरीफ करते नहीं थक रहे हैं। दरअसल, सामना के संपादकीय में सीएम देवेंद्र फडणवीस के काम की तारीफ की गई है। नए साल के मौके पर फडणवीस के गढ़चिरौली के दौरे से उद्धव की शिवसेना (Uddhav Thackeray BJP alliance) खुश है। सामना में लिखा कि “फडणवीस ने नए साल में काम की शुरुआत गढ़चिरौली जिले से की। फडणवीस ने गढ़चिरौली से विकास के एक नए पर्व की शुरुआत की। नए साल के अवसर पर फडणवीस ने नक्सल प्रभावित जिले में कई विकास परियोजनाओं का उद्घाटन और शिलान्यास किया। सामना ने कहा कि “फडणवीस ने जो कहा है,अगर वह सच है तो यह गढचिरौली ही नहीं, पूरे महाराष्ट्र के लिए सकारात्मक होगा। बड़ी बात यह कि शिवसेना फडणवीस के इस कदम से खुश नजर आ रही है और उसे यकीन है कि देवेंद्र फडणवीस गढ़चिरौली में कुछ नया करेंगे। 

सामना ने की देवेंद्र फडणवीस की तरीफ (Uddhav Thackeray BJP alliance)

मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस की तरीफ (Uddhav Thackeray BJP alliance) करते हुए सामना ने लिखा कि “गढ़चिरौली में गरीबी की वजह से नक्सलवाद बढ़ा। पढ़-लिखकर ‘पकौड़े’ तलने के बजाय, हाथों में बंदूकें लेकर आतंक मचाने, दहशत निर्माण करने की ओर युवाओं का झुकाव हुआ। इस संघर्ष में केवल खून ही बहा। पुलिस वाले भी मारे गए और बच्चे भी मारे गए। अब अगर मुख्यमंत्री गढ़चिरौली में इस तस्वीर को बदलने का निर्णय लेते हैं तो हम उन्हें बधाई देते हैं। हमें उम्मीद है कि फडणवीस गढ़चिरौली में कुछ नया करेंगे और आदिवासियों की जिंदगी बदल देंगे। अगर गढ़चिरौली में संविधान का राज आ रहा है तो मुख्यमंत्री फडणवीस प्रशंसा के पात्र हैं।” 

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बीजेपी से हाथ मिला सकते हैं उद्धव (Uddhav Thackeray BJP alliance)

ध्यान देने वाली महत्वपूर्ण बात यह कि सामान में फडणवीस की यह तारीफ (Uddhav Thackeray BJP alliance) ऐसे वक्त में हुई है, जब महाराष्ट्र की सियासत में अटकलों का बाजार गर्म है। एक आदेश यह है कि शरद पवार और अजित पवार में सुलह हो सकती है। दोनों एक साथ आ सकते हैं। खुद शरद पवार से दिसंबर में अजित पवार मिल चुके हैं। दूसरा यह कि उद्धव ठाकरे और राज ठाकरे एकसाथ आ सकते हैं। खैर, कहा तो यह भी जा रहा है कि उद्धव ठाकरे इंडिया गठबंधन में नाराज चल रहे हैं। उद्धव की शिवसेना को भाजपा का साथ छोड़ने का बड़ा पछतावा है। ऐसे में बड़ा सवाल यह कि क्या उद्धव पुनः बीजेपी का दामन थामेंगे? क्या बीएमसी इलेक्शन में दोनों मिलकर साथ लड़ेंगे?

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