मुंबई: महाराष्ट्र की राजनीति में एक नया बवाल खड़ा हो गया है। राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (शरद पवार गुट) के नेता और पूर्व मंत्री जितेंद्र आव्हाड एक विवाद के केंद्र में हैं। उन्होंने महाड के चवदार तालाब में आयोजित एक कार्यक्रम के दौरान मनुस्मृति की प्रतियां जलाईं और इस दौरान बाबा साहब अंबेडकर की तस्वीर फाड़ने का आरोप लगा है। इस घटना के बाद से राजनीतिक गलियारों में हलचल मच गई है।
विरोध प्रदर्शन और कानूनी कार्रवाई
बीजेपी ने इस मुद्दे पर 30 मई को मुंबई में मंत्रालय के सामने डॉ. बाबासाहेब अंबेडकर की प्रतिमा पर विरोध प्रदर्शन करने की घोषणा की है। इसके अलावा, रायगढ़ जिले में जितेंद्र आव्हाड के खिलाफ एट्रोसिटी केस दर्ज करने की भी तैयारी हो रही है।
विवाद की जड़
बात यह है कि जितेंद्र आव्हाड ने महाड के चवदार तालाब में मनुस्मृति दहन का आयोजन किया था। यह कार्यक्रम राज्य सरकार के स्कूली पाठ्यक्रम में मनुस्मृति के कुछ श्लोकों को शामिल करने के प्रस्ताव के खिलाफ था। इस दौरान उन्होंने बाबा साहब अंबेडकर की तस्वीर फाड़ दी, जिससे बवाल मच गया।
आव्हाड की माफी और राजनीतिक प्रतिक्रियाएं
इस घटना के बाद जितेंद्र आव्हाड ने अपनी गलती स्वीकार करते हुए जनता से माफी मांगी। उन्होंने कहा कि उनका इरादा किसी की भावनाओं को आहत करने का नहीं था। लेकिन बीजेपी ने इस माफी को स्वीकार नहीं किया और आव्हाड पर भारतीय संस्कृति और समाज के महापुरुषों का लगातार अपमान करने का आरोप लगाया। बीजेपी का कहना है कि आव्हाड पहले भी छत्रपति शिवाजी महाराज और भगवान श्री रामचंद्र जी का अपमान कर चुके हैं।
एनसीपी (अजित पवार गुट) का कड़ा रुख
एनसीपी (अजित पवार गुट) ने भी इस घटना की कड़ी निंदा की है। पार्टी के मुख्य प्रवक्ता उमेश पाटिल ने जितेंद्र आव्हाड के खिलाफ आपराधिक मामला दर्ज करने की मांग की है। पाटिल ने कहा कि आव्हाड को पार्टी से निकाला जाना चाहिए क्योंकि उन्होंने मनुस्मृति जलाने के नाम पर बाबा साहब अंबेडकर की तस्वीर फाड़ दी है।
पुलिस की कार्रवाई
महाड पुलिस ने कानून व्यवस्था बनाए रखने के लिए जितेंद्र आव्हाड को मनुस्मृति जलाने से रोकने के लिए पहले ही नोटिस जारी किया था, लेकिन आव्हाड ने इस नोटिस को नजरअंदाज करते हुए कार्यक्रम आयोजित किया और मनुस्मृति की प्रतियां जला दीं।
इस घटना ने महाराष्ट्र की राजनीति में नई गर्माहट ला दी है। जनता और राजनीतिक दलों के बीच इस मुद्दे पर तीखी बहस छिड़ गई है। यह देखना दिलचस्प होगा कि आने वाले दिनों में यह विवाद कैसे सुलझता है और इसका राज्य की राजनीति पर क्या असर पड़ता है।