BPSCControversy: तो इसलिए मचा हुआ है हंगामा, जानिए क्या है बिहार में बीपीएससी का पूरा विवाद?
बिहार में कड़ाके की ठंड के बीच युवा छात्र सड़कों पर प्रदर्शन कर रहे हैं। बिहार लोक सेवा आयोग की 70वीं संयुक्त प्रारंभिक परीक्षा, जो 13 दिसंबर 2024 को आयोजित हुई थी, उसे रद्द करने की मांग लगातार तेज होती जा रही है। बीपीएससी परीक्षा को लेकर बवाल (BPSCControversy) मचा हुआ है। छात्र पूरी परीक्षा को रद्द कर फिर से परीक्षा आयोजित करने की मांग कर रहे हैं। छात्रों की मांग है कि नॉर्मलाइजेशन प्रक्रिया को पारदर्शी बनाया जाए और इसका गणितीय मॉडल सार्वजनिक की जाये। दरअसल, पटना के बापू सभागार में आयोजित परीक्षा में प्रश्न पत्र वितरण में देरी और पेपर लीक के आरोपों के चलते परीक्षार्थियों ने हंगामा किया और सड़क पर उतरकर प्रदर्शन किया। छात्रों का आरोप है कि “परीक्षा में अनियमितताएं हुई हैं। प्रश्न पत्र स्तरहीन थे। कुछ प्रश्न निजी कोचिंग संस्थानों के मॉडल प्रश्न पत्रों से मेल खाते थे।” इस तरह छात्र पूरी परीक्षा रद्द कर पुनः आयोजित करने की मांग कर रहे हैं। इस बीच छात्रों की भीड़ को नियंत्रित करने के लिए पुलिस की तरफ से कई बार लाठीचार्ज भी किए गए हैं।
बीपीएससी (BPSCControversy) ने नॉर्मलाइजेशन का उपयोग ठीक से नहीं किया- छात्र
इस बीच बीपीएससी ने छात्रों के आरोपों को खारिज करते हुए कहा कि “परीक्षा पारदर्शी और निष्पक्ष हुई थी।” उन्होंने छात्रों से मुख्य परीक्षा की तैयारी में जुटने की अपील की है। इसके अलावा राज्य सरकार ने कहा है कि “यदि किसी के पास अनियमितताओं के सबूत हैं, तो वे प्रस्तुत करें, सरकार उचित कार्रवाई करेगी।” कुल मिलाकर बात यह कि छात्र नॉर्मलाइजेशन के खिलाफ आंदोलन कर रहे हैं। छात्रों का आरोप है कि बीपीएससी ने नॉर्मलाइजेशन का उपयोग ठीक से नहीं किया। इससे कम कठिनाई वाले शिफ्ट में शामिल छात्रों को अनुचित लाभ हुआ और कठिन शिफ्ट में शामिल छात्रों को नुकसान उठाना पड़ा है। नॉर्मलाइजेशन के कारण कट-ऑफ मार्क्स पर असर पड़ा, जिससे कई अभ्यर्थी नाराज हैं। उनका दावा है कि “इस प्रक्रिया से उनका चयन प्रभावित हुआ, जबकि उनकी मेहनत और प्रदर्शन बेहतर था।” बता दें कि नॉर्मलाइजेशन एक सांख्यिकीय प्रक्रिया है, जिसका उपयोग उन परीक्षाओं में किया जाता है जो अलग-अलग शिफ्टों में आयोजित होती हैं। इसका मुख्य उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि अलग-अलग शिफ्ट के प्रश्नपत्रों के कठिनाई स्तर में संभावित अंतर के कारण किसी भी अभ्यर्थी के साथ अन्याय न हो।
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नॉर्मलाइजेशन प्रक्रिया में सिर्फ सांख्यिकीय डेटा का उपयोग होता है
हालांकि नॉर्मलाइजेशन का उद्देश्य निष्पक्षता सुनिश्चित करना होता है। लेकिन कई बार इसमें सही प्रक्रिया का पालन नहीं होने के चलते विवाद का कारण बन जाता है। बता दें कि नॉर्मलाइजेशन प्रक्रिया में सिर्फ सांख्यिकीय डेटा का उपयोग होता है, जबकि छात्रों की व्यक्तिगत मेहनत, परीक्षा के दिन की परिस्थितियां जैसे पक्ष को नजरअंदाज कर दिया जाता है। इस दरम्यान बड़ी बात यह कि परीक्षा में शामिल हुए छात्रों के साथ ही अन्य छात्र भी इस आंदोलन में हिस्सा ले रहे हैं। परीक्षार्थियों का कहना है कि “यह प्रक्रिया उनके मेहनत और प्रदर्शन के साथ अन्याय है।” जानकारी के मुताबिक कई छात्र संगठन इस मुद्दे (BPSCControversy) को लेकर आंदोलन कर रहे हैं। आइसा और एबीवीपी जैसे संगठन के छात्र सक्रिय तौर पर इस आंदोलन में हिस्सा ले रहे हैं। यहां तक कि छात्रों को कई विपक्षी दलों का साथ भी मिल रहा है। इसके अलावा कुछ शैक्षणिक विशेषज्ञ और कोचिंग संस्थान भी इस विवाद में छात्रों के समर्थन में उतरे हैं।
इस विवाद पर (BPSCControversy) बिहार के चीफ सेक्रेटरी ने छात्रों के एक प्रतिनिधिमंडल को बुलाया मिलने
रविवार शाम को छात्र अपनी (BPSCControversy) मांगों को लेकर जेपी गोलंबर चौक पर प्रदर्शन कर रहे थे। प्रदर्शन कर रहे छात्रों को पुलिस ने जबरन वहां से हटा दिया है। पुलिस ने छात्रों को हटाने के लिए पहले लाठीचार्ज किया और बाद में उनपर वाटर कैनन से पानी की बौछार भी की। इस बीच उग्र होती छात्रों की भीड़ को नियंत्रित करने हेतु जनसुराज के संस्थापक प्रशांत किशोर और पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष मनोज भारती सहित 21 लोगों के खिलाफ पटना के गांधी मैदान थाने में प्राथमिकी दर्ज की गई है। उन पर छात्रों को उकसाने और हंगामा कराने का आरोप है। दर्ज प्राथमिकी में 21 नामजद और 600 से 700 अज्ञात लोगों को आरोपी बनाया गया है। खैर, इस बीच बिहार के चीफ सेक्रेटरी ने पांच छात्रों के एक प्रतिनिधिमंडल को मिलने बुलाया गया है। छात्रों का कहना है कि “अगर बातचीत में कोई निष्कर्ष नहीं निकला, तो इसके बाद वो कल तय करेंगे कि अब आगे कि क्या रणनीति होगी।” दरअसल, गांधी मैदान से सीएम आवास तक मार्च निकाल रहे छात्र मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से मिलकर उनके सामने अपनी मांग रखना चाहते थे।
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