पटना, 5 जुलाई, 2024 – राष्ट्रीय जनता दल (राजद) के नेता तेजस्वी यादव ने बिहार में पुल गिरने की घटनाओं पर राज्य सरकार की कड़ी आलोचना की है। हाल ही में मधुबनी जिले के झंझारपुर में एक निर्माणाधीन पुल के गिरने की घटना इसकी ताजा कड़ी है। यह पुल ढहने की घटनाओं की श्रृंखला में सिर्फ 11 दिनों में पांचवीं घटना है, जिसने पूरे राज्य में चिंता पैदा कर दी है।
गिरने की घटनाओं का बढ़ता सिलसिला
झांझरपुर में लगभग 3 करोड़ रुपये की लागत से निर्माणाधीन पुल का ढहना बेहद चिंताजनक है। यह पुल प्रधानमंत्री ग्रामीण सड़क योजना का हिस्सा था और इसका प्रबंधन बिहार के ग्रामीण विकास विभाग द्वारा किया जा रहा था। हाल ही में कई अन्य पुलों के ढहने की घटनाओं ने बिहार में निर्माण मानकों और निरीक्षण की गंभीर खामियों को उजागर किया है।
तेजस्वी यादव की तीखी प्रतिक्रिया
एक्स (पूर्व में ट्विटर) पर तेजस्वी यादव ने बिहार सरकार पर तंज कसते हुए कहा, “बधाई! बिहार में डबल इंजन सरकार की दोहरी शक्ति के कारण सिर्फ 9 दिनों में सिर्फ 5 पुल ढह गए हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के मार्गदर्शन में 6 दलों की डबल इंजन एनडीए सरकार ने 9 दिनों में 5 पुलों के ढहने पर बिहार के लोगों को मंगलराज (सुशासन) की शुभ और उज्ज्वल शुभकामनाएं भेजी हैं।”
तेजस्वी यादव ने सरकार की इस मुद्दे पर चुप्पी और “सुशासन” के दावों का मजाक उड़ाया। उन्होंने जोर दिया कि इन घटनाओं के कारण हुए हजारों करोड़ रुपये के नुकसान को “भ्रष्टाचार” के रूप में देखा जाना चाहिए न कि “शिष्टाचार” के रूप में खारिज किया जाना चाहिए।
असफलताओं का एक पैटर्न
18 जून को 12 करोड़ रुपये की लागत से अरारिया में बकरा नदी पर बना एक पुल ढह गया था। इसके बाद 22 जून को सीवान में गंडक नदी पर चार दशक पुराना पुल और 23 जून को पूर्वी चंपारण में एक निर्माणाधीन पुल ढह गया, जिसकी लागत लगभग 1.5 करोड़ रुपये थी। स्थानीय लोग इन विफलताओं के लिए घटिया सामग्री के उपयोग को जिम्मेदार ठहराते हैं।
हाल ही में, 27 जून को किशनगंज में कंकई और महानंदा नदियों को जोड़ने वाली एक सहायक नदी पर एक पुल ढह गया, जिसका एक वीडियो वायरल हो रहा है। इन घटनाओं ने विपक्ष की ओर से गंभीर सार्वजनिक चिंता और आलोचना को जन्म दिया है।
सरकार की प्रतिक्रिया और जवाबदेही
राज्य के ग्रामीण निर्माण विभाग ने पूरे बिहार में पुलों और पुलियों की स्थिति का आकलन करने के लिए एक समीक्षा बैठक बुलाई है। अधिकारियों को एक सप्ताह के भीतर एक व्यापक रिपोर्ट प्रस्तुत करने का निर्देश दिया गया है, जिसमें उन संरचनाओं की पहचान करने पर ध्यान केंद्रित किया गया है जिनकी तत्काल मरम्मत की आवश्यकता है।
तेजस्वी यादव ने स्थिति की गंभीरता पर प्रकाश डालते हुए ट्वीट किया कि 18 जून से बिहार में 12 पुल ढह गए हैं, और इस मुद्दे पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और मुख्यमंत्री नीतीश कुमार दोनों की चुप्पी पर सवाल उठाया। उन्होंने सुझाव दिया कि जब भी पुल डूबे हों तो विपक्षी नेताओं को इस्तीफा दे देना चाहिए, जो सरकार के भीतर जिम्मेदारी और जवाबदेही की कथित कमी का संकेत देता है।
चुनौतियां और भविष्य के प्रभाव
वैसे एक रिपोर्ट यह भी कहती है कि बिहार में 15 दिनों में अबतक 12 पुल गिर चुके हैं जिसे बिहार सरकार शायद मानने को भी तैयार न हो। बिहार में लगातार बुनियादी ढांचे की विफलताएं राज्य के लोक निर्माण प्रशासन में गंभीर चुनौतियों को रेखांकित करती हैं। खराब निर्माण मानक, कथित भ्रष्टाचार और अपर्याप्त निरीक्षण इन मुद्दों के केंद्र में प्रतीत होते हैं। सरकार ने सभी पुराने पुलों का सर्वेक्षण करने और तत्काल मरम्मत की आवश्यकता वाले पुलों को प्राथमिकता देने का वादा किया है, लेकिन यह देखा जाना बाकी है कि क्या इन कार्यों से महत्वपूर्ण सुधार होंगे।
बिहार में पुल गिरने की घटनाओं ने राज्य के बुनियादी ढांचे के प्रबंधन में गंभीर खामियों को उजागर कर दिया है, जिसकी तेजस्वी यादव जैसे विपक्षी नेताओं ने तीखी आलोचना की है। राज्य सरकार के इन विफलताओं को दूर करने के लिए उठाए गए कदमों की प्रभावशीलता पर बारीकी से नजर रखी जाएगी। भविष्य की घटनाओं को रोकने और बिहार के बुनियादी ढांचे के विकास में जनता का विश्वास बहाल करने के लिए सार्वजनिक कार्यों में गुणवत्ता और जवाबदेही पर जोर देना आवश्यक है।