कारगिल विजय दिवस- महावीर चक्र से सम्मानित कैप्टन अनुज नैय्यर कारगिल युद्ध के वो शूरवीर जो आज ही के दिन वीरगति को प्राप्त हुए।

आज कैप्टन अनुज नैय्यर की पुण्यतिथि है। देशवासी उनकी वीरता को सलाम करते हुए उनके योगदान को याद कर रहे हैं।

कारगिल युद्ध, जिसे कारगिल संघर्ष भी कहा जाता है, मई से जुलाई 1999 के बीच भारत और पाकिस्तान के बीच हुआ। यह एक बड़ा सैन्य संघर्ष था। भारत में इसे ऑपरेशन विजय के नाम से जाना जाता है और यह जम्मू और कश्मीर के कारगिल क्षेत्र में नियंत्रण रेखा (एलओसी) पर लड़ा गया था। भारतीय वायु सेना और भारतीय सेना ने पाकिस्तानी बलों को भारतीय ठिकानों से बाहर निकालने के लिए ऑपरेशन सफेद सागर चलाया।

युद्ध तब शुरू हुआ जब पाकिस्तानी सैनिक आतंकवादी बनकर कश्मीर से भारतीय क्षेत्र के प्रमुख हिस्सों में घुस आए। पाकिस्तान ने पहले इसमें किसी भी भूमिका से इनकार किया और इसके लिए कश्मीर के स्वतंत्र आतंकवादियों को दोषी ठहराया। लेकिन बाद में पाकिस्तानी नेताओं के रिकॉर्ड और टिप्पणियों ने पाकिस्तानी अर्धसैनिक बलों की संलिप्तता को साबित कर दिया।

अंतरराष्ट्रीय दबाव के चलते पाकिस्तानी सेना पीछे हट गई, जिससे भारत को अपने अधिकांश स्थानों पर फिर से कब्जा करने का मौका मिला। यह युद्ध परमाणु-सशस्त्र शक्तियों के बीच उच्च-ऊंचाई वाले संघर्षों के दुर्लभ उदाहरणों में से एक था, जिससे दोनों पक्षों के लिए भारी रसद चुनौतियां उत्पन्न हुईं।

कैप्टन अनुज नय्यर: वीरता की मिसाल

कैप्टन अनुज नय्यर, 17 जाट रेजिमेंट के वीर जवान, कारगिल युद्ध के कई नायकों में से एक हैं। उनका जन्म 28 अगस्त 1975 को दिल्ली में हुआ था। कैप्टन नय्यर को उनकी असाधारण बहादुरी के लिए मरणोपरांत महावीर चक्र से सम्मानित किया गया।

कैप्टन नय्यर ने धौला कुआँ के आर्मी पब्लिक स्कूल से पढ़ाई की और फिर राष्ट्रीय रक्षा अकादमी से डिप्लोमा प्राप्त किया। जून 1997 में वे भारतीय सैन्य अकादमी से कमीशन प्राप्त कर जाट रेजिमेंट की 17वीं बटालियन में शामिल हो गए।

प्वाइंट 4875 पर संघर्ष

कारगिल युद्ध के दौरान भारतीय सेना ने कारगिल क्षेत्र में पाकिस्तानी सैन्य घुसपैठ का पता लगाया। कैप्टन नय्यर ने 17 जाट रेजिमेंट की सी कंपनी का नेतृत्व किया। उनका पहला बड़ा ऑपरेशन प्वाइंट 4875 की चोटी, पिंपल II, को सुरक्षित करना था।

प्वाइंट 4875 भारतीय सेना के लिए बहुत महत्वपूर्ण था। 6 जुलाई 1999 को हमला शुरू हुआ। कैप्टन नय्यर ने अपने कंपनी कमांडर के घायल होने के बाद नेतृत्व संभाला। उन्होंने दुश्मन की तेज़ गोलीबारी में नौ पाकिस्तानी सैनिकों को मार गिराया और कई बंकरों को नष्ट कर दिया। 8 जुलाई को चोटी को सुरक्षित कर लिया गया, लेकिन कैप्टन नय्यर इस दौरान शहीद हो गए।

सम्मान और विरासत

कैप्टन अनुज नय्यर को उनकी वीरता के लिए मरणोपरांत महावीर चक्र से सम्मानित किया गया। उनके परिवार को भारत सरकार ने दिल्ली में एक गैस पंप दिया, जिसे कारगिल हाइट्स गैस पंप कहा जाता है।

उनकी कहानी पर आधारित फिल्म ‘धूप’ 2003 में आई, जिसमें उनके माता-पिता की कठिनाइयों को दिखाया गया था। फिल्म में ओम पुरी, रेवती और संजय सूरी ने मुख्य भूमिकाएं निभाईं।

कारगिल विजय दिवस पर श्रद्धांजलि

हर साल 26 जुलाई को कारगिल विजय दिवस मनाया जाता है, जो कारगिल युद्ध में भारत की जीत को याद करने और कैप्टन अनुज नय्यर जैसे वीर जवानों को श्रद्धांजलि देने का दिन है।

आइए हम इस दिन पर कैप्टन अनुज नय्यर और कारगिल युद्ध में अपने प्राणों की आहुति देने वाले सभी सैनिकों की वीरता और समर्पण का सम्मान करें। उनके निस्वार्थ कार्य हमें स्वतंत्रता की कीमत और मानव आत्मा के अदम्य साहस की याद दिलाते हैं।

कारगिल युद्ध में बहादुरी और रणनीतिक जुड़ाव के कई उदाहरण हैं, जो भारत के सैन्य इतिहास में एक महत्वपूर्ण समय बना हुआ है। कैप्टन अनुज नय्यर की विरासत आज भी आने वाली पीढ़ियों को प्रेरित करती है। हम इन नायकों की देशभक्ति और अदम्य (जिनका कोई दमन न कर सके) भावना को सलाम करते हैं।

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